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Budget indepth analysis: दलित और आदिवासियों के लिये मोदी सरकार ने दिखाया बड़ा दिल

आदिवासियों के कल्याण पर आने वाले वित्तीय वर्ष में 39,135 करोड़ से बढ़कर 50,086 करोड़ खर्च होंगे। दलित और पिछड़ों को लुभाने के लिए सरकार इसके अलावा भी कई बड़े दांव चल चुकी है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 08:18 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 08:18 PM (IST)
Budget indepth analysis: दलित और आदिवासियों के लिये मोदी सरकार ने दिखाया बड़ा दिल
Budget indepth analysis: दलित और आदिवासियों के लिये मोदी सरकार ने दिखाया बड़ा दिल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। समाज के पिछड़े तबकों को जातिगत आधार पर साधने में जुटे राजनीतिक दलों में सेंध लगाते हुए सरकार यह साबित करने में जुटी है कि असली विकास भाजपा की कर सकती है।  एससी-एसटी वर्ग के लिए बजट में न सिर्फ पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था की, बल्कि पिछले साल के मुकाबले इनमें 35 फीसद तक की बढ़ोत्तरी भी की। जो कि अब तक इस वर्ग के विकास के लिए मिलने वाली राशि में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी है। पांच सालों में इसमें करीब 80 फीसद की बढ़ोत्तरी की गई है।

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चुनावी मुहाने पर खड़ी सरकार के लिए यह घोषणा राजनीतिक लिहाज से भी काफी अहम मानी जा रही है। खासकर ऐसे समय में जब हाल ही में विधानसभा चुनावों में भाजपा को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की आदिवासी सीटों को गंवाना पड़ा है। ऐसे में इस दांव को इस वर्ग के बीच अपनी पैठ को फिर से पहले की तरह मजबूत बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि बजट में की गई इस भारी-भरकम बढोत्तरी से एससी-एसटी वर्ग के चलाई जा रही योजनाओं की रफ्तार और तेज होगी।

अनुसूचित जाति के लिए 76,801 करोड़ 
केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए जो घोषणाएं की, उनमें एससी-एसटी वर्ग के कल्याण के लिए राशि में की गई भारी बढ़ोत्तरी भी शामिल है। इसके तहत अनुसूचित जाति (एससी) के बजट में 35 फीसद की बढ़ोत्तरी करते हुए उसे 56,619 से बढ़ाकर 76,801 करोड़ रुपए कर दिए गया है। जबकि अनुसूचित जनजाति के बजट में 28 फीसद की बढ़ोत्तरी की गई है।

आदिवासियों के लिए खर्च होंगे  50,086 करोड़ 
इसके तहत  आदिवासियों के कल्याण पर आने वाले वित्तीय वर्ष में 39,135 करोड़ से बढ़कर 50,086 करोड़ खर्च होंगे। दलित और पिछड़ों को लुभाने के लिए सरकार इसके अलावा भी कई बड़े दांव चल चुकी है। हाल ही में संसद से एससी-एसटी एक्ट को मजबूती देने का कदम भी इसी से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा देश भर के एसी बाहुल्य गांवों को संवारने, दलित परिवारों से जुड़े बच्चों को छात्रवृत्ति देने जैसे कई बड़ी योजनाएं संचालित की जा रही है।

अब घूमंतू परिवारों के जीवन में भी आएगा उजियारा 
विकास की मुख्यधारा से कटे लाखों घूमंतू और विमुक्त परिवारों की भी सरकार ने सुध ली है। इसके तहत उन तक विकास की धारा पहुंचाने के लिए सरकार ने उनके कल्याण के लिए एक बोर्ड के गठन की घोषणा की है। जो इनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाएगा और उसका क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करेगा। 

फिलहाल यह बोर्ड सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन काम करेगा। वर्गीकरण से वंचित विमुक्त, घूमंतू और अर्ध-घूमंतू समुदायों की पहचान के लिए नीति आयोग की निगरानी में एक समिति गठित करने का भी ऐलान किया है। खासबात यह है कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने के चलते अब तक यह परिवार विकास की मुख्य धारा से वंचित है।


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