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सरकार के पास नहीं है भीड़ के हाथों मारे गए लोगों का आंकड़ा

गृह राज्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) देश में इस विशेष तरह से की गई हत्याओं का कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है।

By Arti YadavEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 07:44 AM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 08:55 AM (IST)
सरकार के पास नहीं है भीड़ के हाथों मारे गए लोगों का आंकड़ा
सरकार के पास नहीं है भीड़ के हाथों मारे गए लोगों का आंकड़ा

नई दिल्ली (प्रेट्र)। देश में भीड़ द्वारा की गई हत्याओं का सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं है। राज्यसभा में बुधवार को गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने हालांकि यह भी कहा कि मौजूदा कानूनों के तहत इस तरह के मामलों से निपटने के लिए राज्य पूरी तरह से सक्षम हैं। उधर, लोकसभा में शून्य काल में बोलते हुए भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने भीड़ द्वारा की गई हत्याओं को आर्थिक विषमता की वजह बताया।

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गृह राज्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) देश में इस विशेष तरह से की गई हत्याओं का कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर समय-समय पर गृह मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी भेजता रहता है। साथ ही ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहता है, जो लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं।

गृह राज्यमंत्री का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें कोर्ट ने भीड़ और गोरक्षकों द्वारा की गई हत्याओं से निपटने के लिए संसद से इस संदर्भ में नया कानून बनाने को कहा था।

अनुमानों पर था भारत को खतरनाक बताने वाला सर्वे

गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में बताया है कि हाल ही में भारत को महिलाओं के लिहाज से सबसे ज्यादा खतरनाक देश बताने वाला सर्वे अनुमानों और दोषपूर्ण कार्यप्रणाली पर आधारित था। यह सर्वे एक ब्रिटिश मीडिया संगठन ने किया था।

दो साल में दर्ज हुए दुष्कर्म के 1,10,333 मामले

वर्ष 2014 से 2016 तक देश में 1,10, 333 दुष्कर्म के मामले दर्ज किए गए। राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि वर्ष 2016 में 38,947 दुष्कर्म के मामले में दर्ज किए गए वहीं वर्ष 2015 में 34,651 ऐसे मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2014 की बात करें तो इनकी संख्या 36,735 थी। महिलाओं पर होने वाले सभी तरह अपराधों की बात करें तो वर्ष 2016 में इनकी संख्या 3,38,954 थी। वर्ष 2015 में 3,29,243 और वर्ष 2014 में 3,39,457 थी।

प्राकृतिक आपदाओं में गई 1,006 की जानें

मई और जून महीने में प्राकृतिक आपदाओं में एक हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है। राज्यसभा में रिजिजू ने कहा कि सबसे ज्यादा इस तरह से हताहत होने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में 252 रही। ओडिशा में 97, प. बंगाल और बिहार में 74, आंध्र प्रदेश में 73, कर्नाटक और केरल में 71 , झारखंड में 51, राजस्थान में 45 और असम में 44 लोगों की जान गई है। 635 लोग घायल भी हुए हैं।


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