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आलोक वर्मा के बाद राकेश अस्थाना की भी छुट्टी, तीन और अफसरों पर हुई कार्रवाई

गुजरात कैडर के वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना कभी सीबीआइ निदेशक पद के प्रबल दावेदार माने जाते थे।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 09:27 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 07:20 AM (IST)
आलोक वर्मा के बाद राकेश अस्थाना की भी छुट्टी, तीन और अफसरों पर हुई कार्रवाई
आलोक वर्मा के बाद राकेश अस्थाना की भी छुट्टी, तीन और अफसरों पर हुई कार्रवाई

नीलू रंजन, नई दिल्ली। सीबीआइ के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा के बाद अब भ्रष्टाचार की लपेट में आए विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की भी छुट्टी हो गई है। विशेष निदेशक के तौर पर राकेश अस्थाना और निदेशक आलोक वर्मा के बीच लड़ाई और एक-दूसरे खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आरोप-प्रत्यारोपों को देखते हुए सरकार ने 24 अक्टूबर को दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। राकेश अस्थाना के साथ ही विवादों के घेरे में रहे तीन अन्य अधिकारियों की भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है।

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कार्मिक व प्रशिक्षण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नियुक्ति संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में विवादों के केंद्र में रहे चार अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति तत्काल प्रभाव से खत्म करने का फैसला लिया गया। प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना और संयुक्त निदेशक रहे 1987 बैच के आइपीएस अधिकारी अरुण कुमार शर्मा को वापस अपने कैडर राज्य गुजरात जाना होगा। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पर राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाने वाले और इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले मनीष कुमार सिन्हा को वापस आंध्रप्रदेश कैडर भेज दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी मनीष कुमार सिन्हा की याचिका के सुनवाई के पहले ही मीडिया में जारी किये जाने पर नाराजगी जताई थी। मनीष कुमार सिन्हा 2000 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। इसके साथ ही 2004 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आइपीएस अधिकारी जयंत जे नैकनावरे को भी वापस भेज दिया गया है। गुजरात कैडर के वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना कभी सीबीआइ निदेशक पद के प्रबल दावेदार माने जाते थे। एपी सिंह के सेवानिवृत होने के बाद उन्हें कार्यवाहक निदेशक भी बना दिया गया था। लेकिन निदेशक पद पर स्थायी नियुक्ति की अर्हता पूरी नहीं कर पाने के कारण आलोक वर्मा निदेशक बनाए गए थे। लेकिन एक साल के भीतर ही आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच लड़ाई शुरू हो गई।

राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा के खिलाफ मोइन कुरैशी मामले में सतीश बाबु सना से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने समेत कई अनियमितताओं की शिकायत कैबिनेट सचिव और सीवीसी से कर दी। वहीं आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना के खिलाफ 2.95 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एफआइआर दर्ज करा दिया।राकेश अस्थाना भले ही वापस चले गए हों, लेकिन सीबीआइ में उनके खिलाफ सतीश कुमार सना से 2.95 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोपों की जांच होती रहेगी।

एफआइआर को निरस्त करने की अस्थाना की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि चूंकि इसी मामले में आलोक वर्मा के खिलाफ भी दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है और सतीश बाबु सना का इस संबंध में सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान भी दर्ज है, इसीलिए आलोक वर्मा को भी जांच का सामना करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वापस निदेशक पद संभालने के दो दिन बाद ही चयन समिति ने उन्हें सीबीआइ से हटाकर फायर सर्विस का महानिदेशक बना दिया था। लेकिन वर्मा ने इसे नहीं स्वीकार करते हुए इस्तीफा दे दिया था। 


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