अब गोवा में नहीं मिलेंगी दूसरेे राज्यों की मछलियां, सरकार ने लगाया बैन
मछली में फार्मलीन पाए जाने की खबरों के बीच गोवा सरकार ने दूसरे राज्यों से आयात होने वाली मछलियों पर रोक लगाने का फैसला किया।
पणजी (जेएनएन)। मछली में फार्मलीन पाए जाने की खबरों के बीच गोवा सरकार ने दूसरे राज्यों से आयात होने वाली मछलियों पर रोक लगाने का फैसला किया। ये प्रतिबंध जुलाई आखिर तक जारी रहेगा। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा, 'यह (प्रतिबंध) विवादों से बचने के लिए नागरिकों के स्वास्थ्य के हित में लिया गया फैसला है।
31 जुलाई तक जारी रहेगा प्रतिबंध
माना जा रहा है कि इस प्रतिबंध के कारण राज्य को मछलियों की कमी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि यहां समुद्री तट पर मछली पकड़ने को लेकर पहले ही प्रतिबंध लगा हुआ है। हालांकि मुख्यमंत्री पर्रिकर का कहना है कि इसके बावजूद राज्य में मछली की कमी का कोई मुद्दा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ये फैसला जनता के हित में लिया गया है। ये प्रतिबंध 31 जुलाई को खत्म हो जाएगा। साथ ही एक अगस्त से आधिकारिक तौर पर मछली पकड़ने का काम भी शुरू हो जाएगा।
इसलिए मानसून में लगता है फीशिंग पर प्रतिबंध
बता दें कि मछलियों के प्रजनन के समय गोवा में फीशिंग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। मानसून के आने के साथ ही हर साल की तरह एक जून से 31 जुलाई तक राज्य में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जाती है। ताकि मछलियों को प्रजनन के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
विवाद को खत्म करने के लिए लिया फैसला
मुख्यमंत्री ने बताया कि हम अपने अधिकारियों को सीमा पर तैनात करेंगे। उन्हें निर्देश जारी किया जाएगा कि सीमा पार से कोई भी मछली से भरे ट्रक को प्रवेश की अनुमति न दें। पर्रिकर ने कहा कि मछली आयात पर प्रतिबंध लगाना केवल विवाद को खत्म करने के लिए लिया गया है।
खारिज की फार्मलीन की खबरें
हालांकि इस बीच मुख्यमंत्री पर्रिकर ने मछलियों में फार्मलीन पाए जाने की खबरों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि लोगों को यह एहसास होना चाहिए कि फर्जी खबरें या अफवाहें हानिकारक हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि गोवा की मछलियां बिल्कुल सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि कोई इस मुद्दे को सही तरीके से नहीं समझ पाया, इसलिए मैं इस पर बिल्कुल नहीं जाऊंगा। मैं मछली के आयात पर प्रतिबंध लगाकर पूरी तरह से इस मुद्दे को खत्म कर रहा हूं।
फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रिया
गोवा के पारंपरिक मछुआरों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। हालांकि थोक व्यापारियों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ का कहना है कि ये फैसला उचित विचार किए बिना लिया गया है। एक थोक मछली व्यापार के एजेंट कांता नाइक ने कहा, ' मछली व्यापार पर हजारों लोगों की आजीविका हैं। गोवा के छोटे-छोटे खुदरा मछली विक्रेताओं का क्या, जो अपनी आजीविका के लिए बाजार में और घर-घर जाकर मछली बेचते हैं।
विवाद के बाद मछलियों के स्टॉक में गिरावट
लगभग 70-80 टन मछलियों को मडगांव थोक बाजार में लाया जाता है। आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु इसके सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। लेकिन व्यापारियों का कहना है कि पिछले बुधवार को फार्मलीन विवाद के बाद मछलियों के स्टॉक में करीब 10-15 टन की गिरावट आई है। अब एक अगस्त से गोवा के ट्रॉलर्स अपनी मछलियों को बेच सकेंगे।
क्या है फार्मलीन?
बता दें कि फार्मलीन या फार्मेल्डिहाइड एक तरह का कीटाणुनाशक है। इसकी मदद से खाना, औषधि, लकड़ी, जीववैज्ञानिक वस्तुएं व अन्य चीजें कीटाणुओं के प्रभाव या अनचाहे रासायनिक बदलाव से खराब होने से सुरक्षित की जाती हैं। इसका इस्तेमाल शवों को सड़ने से बचाने के लिए भी होता है। फार्मलीन कैंसर कारक कैमिकल है।