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Goa Election 2022: गोवा में भाजपा का सिरदर्द बनी पणजी समेत ये 4 सीटें, अपने ही 'विद्रोह' पर उतारू

पणजी में पूर्व मुख्यमंत्री और गोवा से भाजपा के अब तक के सबसे बड़े नेता दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर सत्ताधारी पार्टी के अतानासियो मोनसेराते के खिलाफ निर्दलीय के रूप में खड़े हैं। मंड्रेम से भाजपा के पूर्व मुख्‍यमंत्री निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं।

By TilakrajEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 05:47 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 05:47 PM (IST)
मंड्रेम से भाजपा के पूर्व मुख्‍यमंत्री निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे

पणजी, पीटीआइ। गोवा के विधानसभा चुनाव इस बार काफी दिलचस्‍प रहने वाले हैं। आम आदमी पार्टी भी इस बार गोवा में सत्‍ता हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। आप पार्टी के संयोजक और दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी गोवा के कई चक्‍कर लगा चुके हैं। भाजपा के सामने गोवा में सत्‍ता में बने रहने की चुनौती है। इसके साथ ही भाजपा को अपने दल के नाराज नेताओं के विद्रोह का सामना भी करना पड़ रहा है। गोवा में बहुचर्चित विधानसभा सीट पणजी समेत चार सीटें ऐसी हैं, जो भाजपा के लिए सिरदर्द बन गई हैं। इन सीटों पर भाजपा के अपने ही नेता विद्रोह करने पर उतारू हो गए हैं।

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पणजी सीट से पर्रिकर के बेटे हुए 'बागी'

गोवा में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ज्यादातर क्षेत्रों में पार्टी नेताओं के असंतोष को नियंत्रित करने में सफल रही है, लेकिन प्रतिष्ठित पणजी निर्वाचन क्षेत्र सहित चार सीटें चिंता का कारण बनी हुई हैं। पणजी में पूर्व मुख्यमंत्री और गोवा से भाजपा के अब तक के सबसे बड़े नेता दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर, सत्ताधारी पार्टी के अतानासियो मोनसेराते के खिलाफ निर्दलीय के रूप में खड़े हैं। अतानासियो मोनसेराते ने 2019 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। पणजी सीट से उत्‍पथ ने भाजपा द्वारा किसी उम्‍मीदवार का नाम घोषित करने से पहले ही चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने उन्‍हें पणजी से उम्‍मीदवार घोषित नहीं किया। हालांकि, उत्पल ने दावा किया है कि उनका दिल अभी तक भाजपा के साथ है, लेकिन वह यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव लड़ रहे थे कि एक 'गलत व्यक्ति', उस सीट से नहीं चुना जाना चाहिए; जिसका उनके पिता ने कई बार प्रतिनिधित्व किया था। .

मंड्रेम से भाजपा के पूर्व मुख्‍यमंत्री निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे

मंड्रेम विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर, जो भाजपा के घोषणापत्र समिति के प्रमुख थे, उन्‍होंने पार्टी छोड़ दी है और दयानंद सोपटे के खिलाफ निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। लक्ष्मीकांत पारसेकर को 2017 में दयानंद सोपटे ने हराया था, तब वह कांग्रेस पार्टी में थे। 2017 में दयानंद ने भाजपा के दिग्गज नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर को 7119 वोटों से मात दी थी। दयानंद को इस चुनाव में कुल 16490 मत मिले थे। ऐसे में इस बार दोनों के बीच कड़ी टक्‍कर देखने को मिलेगी।

सावित्री कावलेकर ने भी किया विद्रोह

सांगुम विधानसभा सीट से उपमुख्यमंत्री चंद्रकांत कवेलर की पत्नी सावित्री कावलेकर जो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई थीं, उन्‍होंने विद्रोह कर दिया है और सत्ताधारी पार्टी के पूर्व विधायक सुभाष फलदेसाई के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। संगुम जो कि क्यूपेम विधानसभा सीट के पास है, यहां से चंद्रकांत कावलेकर भाजपा के उम्मीदवार हैं। लक्ष्मीकांत पारसेकर ने पिछले सप्ताह भाजपा से इस्तीफा दे दिया था और उन्‍होंने मंड्रेम विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।

कुम्भरजुआ सीट भी पर भी उठे विरोध के स्‍वर

कुम्भरजुआ विधानसभा सीट से भाजपा, केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक के बेटे सिद्धेश को शांत करने में कामयाब रही। सिद्धेश ने घोषणा की थी कि वह सत्ताधारी पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिए जाने पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, मौजूदा विधायक पांडुरंग मडकाइकर की पत्नी और भाजपा उम्मीदवार जैनिता मडकाइकर को पूर्व सहयोगी रोहन हरमलकर से मुकाबला करना होगा, जो कुम्भरजुआ से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।


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