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मोदी सरकार का वेतन सुधार से पहले ही बैंक कर्मियों को एरियर के रूप में दीपावली का तोहफा

आमतौर पर वेतन सुधार को लेकर किसी समझौते पर पहुंचने के बाद ही एरियर दिया जाता है लेकिन इस मामले में पहले ही एरियर देने का फैसला किया गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 11:46 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 01:42 AM (IST)
मोदी सरकार का वेतन सुधार से पहले ही बैंक कर्मियों को एरियर के रूप में दीपावली का तोहफा
मोदी सरकार का वेतन सुधार से पहले ही बैंक कर्मियों को एरियर के रूप में दीपावली का तोहफा

चेन्नई, आइएएनएस। वेतन बढ़ोतरी पर कोई सहमति बनने से पहले ही सरकार ने सरकारी बैंकों के कर्मचारियों को एरियर देने का फैसला किया है। भारत के बैंकिंग इतिहास में यह पहला ऐसा मौका है, जब वेतन वृद्धि को लेकर कोई समझौता होने से पहले ही एरियर दिया जा रहा है। यह कर्मचारी नवंबर, 2017 से ही वेतन बढ़ाए जाने का इंतजार कर रहे हैं।

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एरियर की न्यूनतम धनराशि 50,000 रुपये

सूत्रों के मुताबिक बैंक के कर्मचारी एरियर लेने या नहीं लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। अगर बैंक का कोई कमर्चारी एरियर लेना स्वीकार करता है तो उसके खाते में 50,000 रुपये से कम राशि नहीं आएगी। कई मामलों में यह राशि एक लाख रुपये से भी ज्यादा होगी। मूल वेतन में कम से कम 12 परसेंट इजाफे के हिसाब से ही एरियर का निर्धारण किया जाएगा। क्योंकि जब वेतन सुधार को लेकर बातचीत शुरू हुई थी, तब बैंक प्रबंधन ने 12 परसेंट इजाफे का प्रस्ताव रखा था।

कई दौर की वार्ता में वेतन को लेकर सहमति नहीं बनी

युनाइटेड फोरम फॉर बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) और इंडियन बैंक एसोसिएशन (आइबीए) के बीच 2017 से अब तक 30 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन अभी तक वेतन को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी है। वेतन समझौते को लेकर वार्ता सुस्त होने के बावजूद एरियर देने के फैसले में काफी तत्परता दिखाई गई है।

आइबीए ने लिखा बैंकों को पत्र

इससे पहले इसी महीने की एक तारीख को आइबीए ने सरकारी और प्राइवेट बैंकों के प्रमुखों को पत्र लिखा था। इस पत्र में उनसे कहा गया था कि फिलहाल बैंक कर्मचारियों के खातों में कुछ अस्थायी राशि दी जा सकती है। इसके बाद जब वेतन को लेकर अंतिम फैसला हो जाएगा, तब यह राशि वेतन में जोड़ ली जाएगी। सरकार ने जनवरी, 2016 में बैंकों के सीईओ को वेतन में सुधार करने का निर्देश दिया था। उस समय सरकार ने कहा था कि एक नवंबर 2017 तक इस मामले में अंतिम फैसला ले लिया जाए।

बैंक कर्मचारियों में निराशा को दूर करने का प्रयास

आमतौर पर वेतन सुधार को लेकर किसी समझौते पर पहुंचने के बाद ही एरियर दिया जाता है, लेकिन इस मामले में पहले ही एरियर देने का फैसला किया गया है। जानकारों का कहना है कि इस निर्णय के माध्यम से सरकार ने बैंक कर्मचारियों में व्याप्त निराशा को दूर करने का प्रयास किया है।

एरियर दिए जाने का फैसला अनुचित

हालांकि यूएफबीयू इस फैसले से खुश नहीं है। तीन अक्टूबर को आइबीए को लिखे गए एक पत्र में इसने कहा है कि अस्थायी राशि दिए जाने का फैसला अनुचित है। पत्र में इस फैसले को एकतरफा, मनमाना और संगठन के मोल-भाव करने के अधिकार का हनन बताया गया है।


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