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    जब जॉर्ज फर्नांडिस ने करवा दी थी रेलवे की सबसे बड़ी हड़ताल, इंदिरा भी रह गई थीं हैरान

    By Tilak RajEdited By:
    Updated: Tue, 29 Jan 2019 02:55 PM (IST)

    जॉर्ज फर्नांडिस का व्‍यक्‍तित्‍व बहुआयामी था। वे एक जबरदस्‍त ट्रेड यूनियनिस्‍ट, र्निभीक पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे। जॉर्ज फर्नांडिस भारत के पूर्व रक्षाम ...और पढ़ें

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    जब जॉर्ज फर्नांडिस ने करवा दी थी रेलवे की सबसे बड़ी हड़ताल, इंदिरा भी रह गई थीं हैरान

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। जबरदस्‍त ट्रेड यूनियनिस्‍ट, र्निभीक पत्रकार और राजनीतिज्ञ जॉर्ज फर्नांडिस हमारे बीच नहीं रहे। वह 88 साल के थे। बताया जा रहा है कि स्वाइन फ्लू के कारण उनकी जान गई है। हालांकि जॉर्ज फर्नांडिस लंबे वक्त से अलजाइमर से पीड़ित थे। देश में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले इस राजनेता के जीवन का सफर विशेष रूप तीन राज्‍यों में गुजरा। कर्नाटक जहां मंगलौर में इन्‍होंने जीवन की शुरुआत की, महाराष्‍ट्र जहां मुंबई में एक आग उगलने वाले मजदूर नेता के रूप में उनकी पहचान बनी और बिहार जहां उन्‍होंने सत्‍ता की राजनीति में कामयाबी हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जॉर्ज फर्नांडिस के निधन पर दुख जताया है।

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    ऐसा रखा गया 'जॉर्ज' नाम
    जॉर्ज फर्नांडिस का व्‍यक्‍तित्‍व बहुआयामी था। वे एक जबरदस्‍त ट्रेड यूनियनिस्‍ट, र्निभीक पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे। जॉर्ज फर्नांडिस भारत के पूर्व रक्षामंत्री भी रहे। भारतीय संसद की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार जॉर्ज फर्नांडिस का जन्म मंगलौर में 3 जून 1930 को हुआ। उनकी मां किंग जॉर्ज फिफ्थ की बहुत बड़ी प्रशंक थीं और उनका जन्‍मदिन भी तीन जून था, इसीलिए उन्‍होंने अपने छह बच्‍चों में सबसे बड़े बेट का नाम जॉर्ज रखा। इन्होंने 21 जुलाई 1971 में लीला कबीर से विवाह किया था। जॉर्ज ने अपने जीवन काल में संघवादी, कृषिविद, राजनीतिक कार्यकर्ता और पत्रकार के रूप में विशेष भूमिकाएं अदा की।

    प्रीस्‍ट थे फर्नांडिस
    बहुत कम लोग जानते हैं कि राजनीति के मैदान में उतरने से पहले उन्‍होंने प्रीस्‍ट बनने का बकायदा प्रशिक्षण लिया था। परंतु बाद में उन्‍हें चर्च की व्‍यवस्‍था में बहुत गड़बड़ियां दिखीं और उसे छोड़ कर मुंबई चले आये। वैसे अच्‍छा ही हुआ अगर वह प्रीस्‍ट बन जाते, तो देश को एक ऐसी राजनीतिक शख्सियत नहीं मिलती है। वह ऐसे नेता थे, जिनका विपक्षी भी सम्‍मान करते थे।

    भाषाविद जॉर्ज
    जॉर्ज फर्नांडिस की प्रतिभा का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उन्‍हें 10 भाषाओं का ज्ञान था। इनमें हिंदी, इंग्‍लिश कोंकणी, तुलु, कन्‍नड़, मराठी, तमिल, उर्दू, मलयाली और लैटिन भाषा शामिल थीं। मुंबई आने के बाद के दौर का जिक्र करते हुए खुद फर्नांडिस ने एक बार बताया था कि जब तक उन्‍हें काम नहीं मिला था, वे मुंबई मे चौपाटी में वो फुटपाथ पर सोया करते थे। जहां कई बार पुलिसवाला आकर उन्‍हें उठा कर वहां से जाने को कहता था। इतना संषर्घ का सामना करने के बाद भी जॉर्ज फर्नांडिस ने हिम्‍मत नहीं हारी और उस मुकाम पर पहुंच, जहां उन्‍हें सदा याद रखा जाएगा।

    जॉर्ज ने संभाला था तीन मंत्रालयों का दायित्‍व
    जॉर्ज फर्नांडिस अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने पर उनके मंत्री मंडल में रक्षा मंत्री थे और एक मात्र क्रिश्‍चियन थे। फर्नांडिस ने विभिन्‍न सरकारों के नेतृत्‍व में तीन मंत्रालय का दायित्‍व संभाला, जिनमें उद्योग मंत्रालय, रेल मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय शामिल रहा। वे बिहार से राज्‍यसभा के सदस्‍य रहे और जनता दल के महत्‍वपूर्ण सदस्‍य भी थे। फर्नांडिस समता पार्टी के संस्‍थापक भी थे।

    9 बार जीता लोकसभा चुनाव
    जॉर्ज फर्नांडिस ने 1967 के आम चुनाव में जीत हासिल की थी। इसके बाद राजनीति के क्षेत्र में यह काफी तेजी से सीढ़ियां चढ़ने लगे थे। खास बात तो यह है कि जॉर्ज फर्नांडिस ने 1967 से 2004 तक एक नहीं, बल्कि 9 बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की। जार्ज 1989 में रेल मंत्री के रूप में चुने गए। यह संचार, उद्योग विभागों के भी मंत्री रहे। बहुत कम लोगों को पता है कि जॉर्ज फर्नांडिस कर्नाटक की वर्तमान सत्ताधारी पार्टी जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी देवेगौड़ा के कभी राजनीतिक सहयोगी थे। हालांकि वक्त के साथ-साथ इनकी राहें अलग हो गर्इ थीं। जॉर्ज फर्नांडिस ने 1994 में जनता दल छोड़कर समता पार्टी का गठन कर लिया था।

    आपातकाल में गिरफ्तारी
    इंदिरा गांधी के शासन काल में वे आपातकाल का विरोध करने पर गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत हो गये थे। हालांकि बाद में उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मशहूर बड़ौदा डाइनामाइट केस में मुकदमा चला और सजा दी गयी। 1977 में उन्होंने जेल से ही चुनाव लड़ा था और बिहार के मुजफ्फरपुर से भारी मतों से जीत हासिल की। जॉर्ज फर्नांडीज आपातकाल के हीरो बन गए थे, जब 1977 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्हें मंत्री बनाया गया।

    1998 से 2004 तक रहे रक्षा मंत्री
    इसके बाद फिर 1999 में एक बार और जनता दल का विभाजन हो गया। इस दौरान कुछ नेता जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी के साथ मिल गए और पार्टी का नाम जनता दल (यूनाइटेड) रखा। वहीं बाकी बचे नेताओं ने एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्युलर) का गठन किया। जॉर्ज फर्नांडिस ने एनडीए के शासन काल में 1998 से 2004 तक रक्षा मंत्री का पद संभाला था। आपको जानकार हैरानी होगी कि जॉर्ज फर्नांडिस को 50 और 60 के दशक में ट्रेड यूनियन पॉलिटिक्स में किसी फायरब्रांड नेता से कम नहीं आंका जाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन ट्रेड यूनियन वर्कर्स के लिए एक नहीं कई लड़ाइयां लड़ीं।

    कई बंद और हड़तालों के प्रणेता
    फर्नांडिस ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के प्रेसिडेंट भी रहे और उनके नेतृत्‍व में ही भारतीय रेलवे की 1974 में सबसे बड़ी हड़ताल हुई। उनके कार्यकाल में ही कारगिल युद्ध हुआ, जिसके बाद उन्‍होंने पोखरण न्‍यूक्‍लियर परीक्षण करवाया।

    पीएम मोदी ने जताया दुख
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जॉर्ज फर्नांडिस के निधन पर दुख जताते हुए कहा, 'जॉर्ज साहब ने भारत के राजनीतिक नेतृत्व का सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधित्व किया। वे स्पष्टवादी और निडर, बेबाक और दूरदर्शी थे, उन्होंने हमारे देश के लिए अहम योगदान दिया है। वह गरीबों और हाशिए पर रहे लोगों के अधिकारों के लिए सबसे प्रभावी आवाज़ों में से एक थे। उनके निधन की खबर सुनकर दुख हुआ।