आखिर कैसे साफ होगी हमारी गंगा, नितिन गडकरी ने दिया इसका पूरा ब्यौरा
गंगा को निर्मल बनाने के लिए मोदी सरकार ने पहली बार अलग से मंत्रालय बनाया। अविरलता बरकरार रखने के लिए सरकार कमर कसे हुए हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जीवनदायिनी गंगा देश के एक चौथाई से अधिक क्षेत्रफल को सुख-समृद्धि से हरा-भरा करती बहती हैं। देश की करीब आधी आबादी पानी के लिए गंगा पर निर्भर है। ऐसे में इनके अस्तित्व का संघर्ष आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से बड़ी चिंता है। गंगा को निर्मल बनाने के लिए मोदी सरकार ने पहली बार अलग से मंत्रालय बनाया। अविरलता बरकरार रखने के लिए सरकार कमर कसे हुए हैं। चुनौतियों को लेकर दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता हरिकिशन शर्मा ने केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश:
मोदी सरकार ने गंगा के लिए चार साल में क्या किया? यह पूर्व की सरकारों से किस प्रकार अलग है?
हमने गंगा की 250 परियोजनाएं चिह्नित की हैं। इसमें से 47 पूरी हो गई हैं। नमामि गंगे मतलब सिर्फ गंगा नहीं है, इसमें यमुना समेत 40 नदियां और नाले शामिल हैं। यमुना में ही 34 परियोजनाएं चल रही हैं जिसमें 12 दिल्ली में हैं क्योंकि ज्यादा प्रदूषण यहीं से होता है। बारह में से ग्यारह परियोजनाओं पर काम शुरु हो गया है।
क्या हरियाणा में भी परियोजनाएं हैं?
हरियाणा में पांच परियोजनाएं हैं। इसमें से दो-सोनीपत और पानीपत में पूरी हो गयी हैं। अभी हम लोग गुड़गांव को भी इसमें शामिल कर रहे हैं। दो या तीन प्रोजेक्ट मथुरा में हैं। मथुरा में एक नया प्रोजेक्ट शुरू कर रहे हैं, जिसमें इंडियन ऑयल को पानी शुद्ध करके बेचेंगे। आगरा और इटावा में भी यमुना में बहने वाले नालों पर रोक लगाने की तैयारी है।
कानपुर में गंगा सबसे प्रदूषित है, वहां के लिए क्या उपाय किए गए हैं?
कानपुर में सात प्रोजेक्ट शुरू हैं। इसमें कुछ पुराने थे, जिन्हें अपडेट किया है, बाकी नए हैं। इसमें सीसामऊ नाला पर काम शुरू किया जाएगा। इलाहाबाद में पांच में से तीन परियोजनाओं पर काम शुरू हो गया है। इसी तरह वाराणसी में चार में से दो काम शुरू हो गया है। पटना में 11 प्रोजेक्ट हैं। इसमें से सात पर काम शुरू हो गया है। झारखंड में दो प्रोजेक्ट हैं, दोनों पर काम शुरू हो गया है। बंगाल में 14 प्रोजेक्ट हैं, उसमें से आठ पर काम शुरू हो गया है।
2014 में सरकार बनते वक्त गंगा की सफाई बड़ा मुद्दा था, अलग मंत्रालय भी बनाया गया लेकिन अब तक आप परियोजनाओं की पहचान कर रहे हैं। चूक कहां हुई?
आप समझे नहीं, पहली बार गंगा के लिए मंजूर किए गए लगभग 250 में से 47 प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं और 115 से 120 पर काम शुरू हुआ है। करीब 50 से 60 प्रोजेक्ट के डीपीआर बनाए जा रहे हैं। 30-40 प्रोजेक्ट की टेंडर प्रक्रिया जारी है। यह पिछले पचास साल में नहीं हुए।
तीस साल पहले शुरु की गई गंगा की सफाई और आज के प्रयासों में अंतर क्या है?
नमामि गंगे में डीपीआर बने, उसका टेंडर हुआ। राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट में सुधार किया गया। भूमि अधिग्रहण जैसी कई सारी दिक्कतें थी। उमा जी ने शुरुआत में काफी काम किया। उन पर दोष लगाना गलत है। मुख्यत: दो काम हैं- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट। सॉलिड वेस्ट मैनेजममेंट मेरे पास नहीं है। फिर भी मैंने मीटिंग करके इसे देखा। सॉलिड और लिक्विड के इतर पूरे साल गंगा का प्रवाह बना रहे ऐसी हमारी योजना है।
गंगा का न्यूनतम पारिस्थिति की प्रवाह तय किया जाना था लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ?
यह तय किया जा रहा है। हालांकि मैं इसका कोई आंकड़ा नहीं दे सकता। मेरी कोशिश रहेगी कि अगले साल मार्च तक गंगा को 70-80 फीसद करके निर्मल किया जाए और दिसंबर तक हम सभी परियोजनाओं को शुरू कर दें।
यह प्रतिशत अभी कितना है?
अभी थोड़ा सुधार हुआ है। अभी मैं सटीक नहीं बता पाऊंगा लेकिन इतना कह सकता हूं कि स्थिति सुधार की ओर है।
गंगा को निर्मल बनाने के अभियान से जुड़े साधु संत नाराज हैं?
ऐसा नहीं है। क्लीन गंगा का मतलब क्या है? मैं आपको सभी परियोजनाओं का ब्योरा देता हूं, अपने रिपोर्टर को भेजकर जमीनी हकीकत का पता करो और फिर आपको पता लगेगा कि हकीकत क्या है।
गंगा 70 -80 फीसद साफ कैसे होगी?
देखिए, गंगा की 70 फीसद गंदगी की वजह कानपुर है। इसके बाद दिल्ली, वाराणसी और इलाहबाद जैसे शहर हैं। इन शहरों के सभी प्रोजेक्ट हमने ले लिए हैं। इसलिए मैं 70 से 80 फीसद साफ होने की बात कह रहा हूं।
गंगा के लिए कानून कब बनेगा?
मसौदा तय है। जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए एक नोट भेजा जाएगा।
गंगा में जलमार्ग विकसित करने की योजना की क्या प्रगति है?
गंगा में वाराणसी से हल्दिया 1680 किमी जलमार्ग बनाया जा रहा है। इसमें चार मल्टी मॉडल हब है। मल्डी मॉडल हब मतलब जहां, रोड़, राष्ट्रीय राजमार्ग, जलमार्ग और रेलवे भी है। वाराणसी, गाजीपुर, साहेबगंज और हल्दिया चार जगह पर मल्टी मॉडल हब हैं और 50-60 रिवर पोर्ट बनाए जा रहे हैं। वाराणसी से हल्दिया तीन मीटर का मिनिमम ड्राफ्ट बना रहे हैं। जिस पर 1700 करोड़ का पांच साल के लिए काम दे दिया है। जैसे एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम होता है, वैसे पटना तक वाटर ट्रैफिक सिस्टम बनाया गया है। फिर वाराणसी तक के लिए इसे अक्टूबर में बढ़ाया जाएगा।
कानपुर में आपने टेनरी से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कदम उठाया है?
टेनरी के लिए प्रोजेक्ट चल रहा है। इसमें स्पेन या किसी अन्य देश की तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। मैंने पुरानी तकनीक को बदल दिया है। इसके अलावा गंगा में प्रदूषण करने वाली शुगर मिलों को भी नोटिस जारी किया है और जीरो डिस्चार्ज मानक का पालन करने को कहा है।
अगले साल इलाहबाद में कुंभ आयोजित होगा, इसके लिए क्या तैयारियां हैं?
कुंभ के लिए गंगा नदी में पर्याप्त शुद्ध जल उपलब्ध होगा। इसके अलावा हमने वाराणसी से इलाहाबाद तक ड्रेजिंग करने का निर्णय किया है। एक मीटर का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। इस साल नवंबर-दिसंबर में मैं नाव में बैठकर वाराणसी से इलाहाबाद तक जाऊंगा। कुंभ के दौरान आप वाराणसी से नाव में बैठकर इलाहबाद आएंगे और फिर नाव में बैठकर वापस निकल जाएंगे। आपको इलाहबाद शहर में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए इलाहबाद में चार नदी पोर्ट बनाए जा रहे हैं।