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कांट्रैक्ट खेती कानून के दायरे में, पशुधन भी शामिल

केंद्र ने सभी राज्यों को इसी साल मई में कांट्रैक्ट (अनुबंध) खेती कानून का मॉडल मसौदा भेजा था। हालांकि पहले वाले कांट्रैक्ट खेती कानून को 21 राज्यों में टुकड़ों-टुकड़ों में लागू किया गया है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 10:08 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 10:08 PM (IST)
कांट्रैक्ट खेती कानून के दायरे में, पशुधन भी शामिल
कांट्रैक्ट खेती कानून के दायरे में, पशुधन भी शामिल

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कृषि क्षेत्र में सुधार की रफ्तार को बढ़ाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। किसानों को घाटे से उबारने के लिए कांट्रैक्ट खेती कानून बनाने की दिशा में केंद्र सरकार की पहल पर उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु और कर्नाटक ने तैयारियां शुरू दी हैं। नए मॉडल कानून का दायरा बढ़ाकर इसमें खेती के साथ पशुधन भी शामिल कर लिया गया है। केंद्र ने सभी राज्यों को इसी साल मई में कांट्रैक्ट (अनुबंध) खेती कानून का मॉडल मसौदा भेजा था। हालांकि पहले वाले कांट्रैक्ट खेती कानून को 21 राज्यों में टुकड़ों-टुकड़ों में लागू किया गया है।

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कृषि क्षेत्र में कानूनी सुधार होने से उत्पादकता में वृद्धि होने का अनुमान है। राज्यसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान पूछे सवालों के जवाब में कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हालिया तैयार कांट्रैक्ट खेती कानून का मॉडल मसौदा तीन महीने पहले 22 मई को ही भेजा गया है। मौजूदा कांट्रैक्ट खेती कानून में कई महत्त्‍‌वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिसमें किसानों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। कांट्रैक्ट खेती कानून में किसान के साथ करार करने वाली कंपनी अथवा व्यक्ति के अलावा सरकारी पक्ष भी होगा।

कृषि राज्य मंत्री शेखावत ने नए मॉडल कानून को चार प्रमुख राज्यों में लागू करने की तैयारी के बारे में जानकारी दी। कहा कि फिलहाल उनके पास अन्य किसी राज्य से कोई जानकारी नहीं मिली है। जबकि पहले वाले कांट्रैक्ट खेती कानून पर अमल करते हुए आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में अश्वगंधा की खेती की गई और उत्पाद को निर्यात किया गया।

राज्यसभा में ही दिए एक अन्य लिखित सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया कि कांट्रैक्ट कृषि के मॉडल कानून को समग्रता में बनाया गया है। इसमें फसलों की खेती के साथ पशुधन व डेयरी क्षेत्र को भी शामिल किया गया है। इसमें पैदावार वाली उपज की प्रोसेसिंग इकाइयों की सीधी खरीद की छूट के प्रावधान के साथ निर्यात को रियायती बनाया गया है। कानून के दायरे में फसलों की बुवाई से लेकर कटाई, मड़ाई और पशुधन व डेयरी से लेकर विपणन तक शामिल किया गया है।


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