पूर्व मंत्री बोले, मध्य प्रदेश में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने वालों को एकदम से सेट करने में आ रही दिक्कत
मध्य प्रदेश में 15 महीने तक कांग्रेस की सरकार के दौरान जनप्रतिनिधियों के काम नहीं हुए उनकी नहीं सुनी गई उसका ही दुष्परिणाम है कि 22 कांग्रेस विधायक थोक में अलग हो गए।
अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन। हाल ही में मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफे के बाद और भी विधायकों के टूटने की संभावना बढ़ गई है। पहले सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफे फिर भाजपा में शामिल होने के बाद पिछले सप्ताह ही दो और विधायकों के इस्तीफे होने के बाद पूर्व मंत्री रामपाल सिंह राजपूत के शनिवार को रायसेन में दिए गए एक बयान के बाद कांग्रेस खेमे में हलचल बढ़ गई है।
वहीं, मध्य प्रदेश भाजपा का मनोबल बढ़ा हुआ है। दरअसल मुख्यमंत्री के बेहद खास पूर्व मंत्री सिलवानी विधायक के गत दिवस रायसेन में दिए गए बयान कि कई कांग्रेस विधायक उनके संपर्क में हैं, इसके बाद से कांग्रेस संगठन में बेचैनी बढ़ गई है।
सिंह रायसेन में आगामी सांची विस सीट के उपचुनाव के संबंध में समन्वय बैठक में भाग लेने आए थे। यहां मीडिया से चर्चा में उन्होंने कहा कि प्रदेश में 15 महीने तक कांग्रेस की सरकार के दौरान जनप्रतिनिधियों के काम नहीं हुए, उनकी नहीं सुनी गई, उसका ही दुष्परिणाम है कि 22 कांग्रेस विधायक थोक में अलग हो गए।
यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला
उन्होंने कहा कि प्रद्युम्न सिंह लोधी (हाल ही में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए और कैबिनेट मंत्री के दर्जे से नवाजे गए) मेरे साथ यहां आए हैं और भी कई विधायक हमसे मिल रहे हैं, जिनका कहना है कि हम कांग्रेस में क्या करेंगे। सिंह ने कहा कि अनेक विधायक हमें मिल रहे हैं, हालांकि ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है। जो भाजपा में आ रहे हैं, उन्हें एकदम से सेट करने में हमें दिक्कत आ रही है। सिंह ने बात संभालते हुए यह कहा कि जो आ रहे हैं, उनका स्वागत कर रहे हैं, स्वागत करेंगे उन्हें पूरा सम्मान देंगें। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले सभी लोगों के मन मे अपने क्षेत्र के विकास की चिंता है।
गौरतलब है कि सांची के डॉ. प्रभुराम चौधरी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होकर शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने हैं। सांची में आगामी उपचुनाव के लिए रामपाल सिंह को ही भाजपा का प्रभारी बनाया गया है।
छह बार के विधायक रामपाल नहीं बन पाए थे मंत्री
रामपाल सिंह चार बार रायसेन जिले की उदयपुरा और दो बार सिलवानी सीट से विधायक रहे हैं। छह बार के विधायक रामपाल इस बार शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक डॉ. प्रभुराम चौधरी के समायोजन के कारण मंत्री बनने से वंचित रह गए हैं। शिवराज के सबसे करीबी लोगों में शुमार रामपाल की गिनती पूर्व में भाजपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में होती रही है।