पूर्व मंत्री अश्वनी कुमार बोले, नेतृत्व की अनिश्चितता दूर करना राहुल गांधी का कर्तव्य
अश्वनी कुमार ने रविवार को कहा कि कांग्रेस के प्रति राहुल गांधी का यह कर्तव्य बनता है कि दोबारा अध्यक्ष पद संभाल कर भविष्य के नेतृत्व को लेकर जारी अनिश्चितता को दूर करें।
नई दिल्ली, प्रेट्र। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने रविवार को कहा कि कांग्रेस के प्रति राहुल गांधी का यह कर्तव्य बनता है कि दोबारा अध्यक्ष पद संभाल कर भविष्य के नेतृत्व को लेकर जारी अनिश्चितता को दूर करें। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के पास ज्यादा वक्त नहीं है।
कांग्रेस में गांधी परिवार की प्रमुख भूमिका
अश्वनी कुमार ने यह भी कहा कि यह बुनियादी सच्चाई है कि कांग्रेस में जब तक गांधी परिवार सक्रिय है, उसकी भूमिका केंद्र में रहेगी। अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते हैं, तभी किसी दूसरे नेता का चुनाव किया जा सकता है और वह भी सर्वसम्मति से चुनाव से नहीं।
राहुल गांधी दोबारा नेतृत्व संभालें
पीटीआइ को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुमार ने कहा, 'आज देश में राजनीति की वास्तविकता को देखते हुए, मैं समझता हूं कि पार्टी के प्रति राहुल गांधी का कर्तव्य है कि वो दोबारा नेतृत्व संभालें, पार्टी के नेताओं को प्रेरित करें और बेहतर तरीके से राष्ट्र का भरोसा जीतें।'
सोनिया गांधी का स्थान लें राहुल गांधी
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी के लिए लगभग एकमत राय है कि वो अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का स्थान लें और जरूरत पड़ने पर उन्हें ऐसा करने के लिए निर्देशित भी किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है। राजनीतिक वफादारी के बदलते दौर में जनता हमें अपने को सुधारने के लिए ज्यादा वक्त नहीं देगी।
भविष्य के नेतृत्व पर अनिश्चितता दूर करना आवश्यक
उन्होंने कहा, 'भविष्य के नेतृत्व पर अनिश्चितता दूर करना आवश्यक है। इसमें पहले ही बहुत देर हो चुकी है। अगर आवश्यक हो तो राहुल गांधी को नेतृत्व संभालने का निर्देश दिया जा सकता है।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि सोनिया गांधी ने सिर्फ अंतरिम अध्यक्ष बनना ही स्वीकार किया था। कुमार ने कहा कि देश में आज विपक्षी एकता प्रमुख आवश्यकता है और कांग्रेस ही इसे गति दे सकती है। इसलिए भी कांग्रेस नेतृत्व के मसले का समाधान अत्यंत आवश्यक है।
सर्वसम्मति का रास्ता ही सबसे बेहतर
पूर्व राज्यसभा सदस्य ने नेतृत्व के मुद्दे को हल करने के लिए संगठनात्मक चुनाव कराने के पार्टी के कुछ नेताओं के सुझावों को भी खारिज कर दिया और कहा कि सर्वसम्मति का रास्ता ही सबसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि चुनाव से पार्टी का कायाकल्प हो जाए बल्कि इससे पार्टी के अंदर कड़वाहट ही पैदा होगी। उन्होंने कांग्रेस में वंशवाद के भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि गांधी आग में तप के निकले हैं।