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बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी से मिले सुब्रह्मण्यम स्वामी, दोनों नेताओं में करीब आधे घंटे तक हुई बातचीत, तेज हुई अटकलें

भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुरुवार को राज्य सचिवालय नबान्ना में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के कट्टर आलोचक वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी से करीब आधे घंटे तक बात की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 10:39 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 10:39 PM (IST)
बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी से मिले सुब्रह्मण्यम स्वामी, दोनों नेताओं में करीब आधे घंटे तक हुई बातचीत, तेज हुई अटकलें
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुरुवार को राज्य सचिवालय नबान्ना में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक की।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने गुरुवार को राज्य सचिवालय नबान्ना में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के कट्टर आलोचक वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी से करीब आधे घंटे तक बात की। हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि दोनों नेताओं के बीच किस मुद्दे पर चर्चा हुई। हालांकि अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि कहीं पूर्व राज्यसभा सदस्य तृणमूल कांग्रेस में तो शामिल नहीं होने जा रहे।

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बता दें कि सुब्रह्मण्यम स्वामी पिछले साल के अंत में बंगाल आना था। उन्होंने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी थी लेकिन उस समय वह राज्य में नहीं आ पाए थे। सुब्रह्मण्यम स्वामी को हमेशा तृणमूल नेत्री की तारीफ करते देखा गया है। सुब्रह्मण्यम स्वामी खासतौर पर केंद्र की आर्थिक नीतियों का विरोध करते नजर आए हैं। पिछले अप्रैल में उन्होंने टिप्पणी की थी कि मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर चीज में पूरी तरह से विफल रही है।

ट्विटर पर उन्होंने लिखा था कि पिछले आठ वर्षों में हमने देखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी आर्थिक विकास के लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे हैं। वरन साल 2016 से विकास दर घटने लगी है। राष्ट्रीय सुरक्षा से भी गंभीर रूप से समझौता किया गया है। मोदी चीन से भी अनभिज्ञ हैं।

दरअसल, सुब्रह्मण्यम स्वामी को दो बार केंद्रीय कैबिनेट की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन वह पीएम मोदी की नई कैबिनेट में फिट नहीं हुए। आलोचकों का दावा है कि इसीलिए वह नरेन्‍द्र मोदी पर सवाल उठाने से नहीं चूकते हैं। इससे पहले भी उन्हें अपनी पसंद का मंत्रालय नहीं मिलने पर सरकार की आलोचना करते हुए देखा गया था। पिछले साल सुब्रह्मण्यम स्वामी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति से हटाना पड़ा था। इसके बाद से उन्होंने विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं। 


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