Move to Jagran APP

राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन को सदन में मिला समर्थन, अन्नदाता को भारत रत्न दिए जाने की उठी मांग

भाजपा सांसद विजय सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के पीएम किसान निधि के तहत किसानों को दी जा रही छह हजार रुपये की सालाना मदद को बढ़ाकर दस हजार करने का प्रस्ताव भी रखा है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 09:36 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 09:36 PM (IST)
राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन को सदन में मिला समर्थन, अन्नदाता को भारत रत्न दिए जाने की उठी मांग
राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन को सदन में मिला समर्थन, अन्नदाता को भारत रत्न दिए जाने की उठी मांग

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खेती व खेतिहर की हालत में सुधार के मद्देनजर राज्यसभा में सभी दलों ने एक सुर से राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन के प्रस्ताव का समर्थन किया। आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और देश की खाद्य सुरक्षा को संभालने वाले अन्नदाता को भारत रत्न जैसे सम्मान से नवाजे जाने की मांग की गई।

loksabha election banner

भाजपा के सांसद विजयपाल सिंह तोमर ने राज्यसभा में यह संकल्प रखते हुए पूरे सदन से समर्थन मांगा, जिसे सभी दलों के सदस्यों ने सराहा। हालांकि सदन में बहस के दौरान कृषि क्षेत्र में सरकार के कुछ उपायों की आलोचना भी की गई।

सांसद तोमर ने अपना प्रस्ताव पेश करते हुए किसानों के बातों को उठाने के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की मांग करते हुए संवैधानिक अधिकारों से लैस करने की बात कही। तोमर ने केंद्र सरकार के पीएम-किसान निधि के तहत किसानों को दी जा रही छह हजार रुपये की सालाना मदद को बढ़ाकर 10 हजार करने का प्रस्ताव भी रखा, जिसे सदन ने सराहा।

उन्होंने कहा कि देश का पेट भरने के साथ खाद्य सुरक्षा जैसे संवेदनशील मसले पर अपना खून पसीना बहा रहा है, जिसके लिए उसे शीर्ष सम्मान से नवाजने की जरूरत है।

55 फीसद से अधिक आबादी खेती पर निर्भर 
सदन में अपना संकल्प पेश करते हुए तोमर ने कहा कि भारत मूलत: कृषि आधारित आर्थिक व्यवस्था वाला देश है। देश की 55 फीसद से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। जबकि 15 फीसद आबादी कृषि संबंधित धंधों में संलग्न है। यानी 70 फीसद आबादी की निर्भरता इसी सेक्टर पर है। देश की अर्थव्यवस्था तभी फूलेगी और फलेगी, जब देश का किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा।

तीन फसलों की खेती की क्षमता
बहस की शुरुआत करते हुए तोमर ने कहा कि भारत में तीन फसलों की खेती की क्षमता है। फिर भी किसानों में खुदकशी की प्रवृत्ति बढ़ी है। किसानों की जान बचाने के लिए कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा में सरकार को उचित कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि खुदकशी रुकने से सिर्फ किसानों की जान नहीं बचेगी, बल्कि इस देश की खेती और परंपरा संरक्षित होगी। कृषि के क्षेत्र में अपनाई जाने वाली प्रौद्योगिकी और तकनीकों के बारे में किसानों को जागरुक बनाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी योजना की सफलता तभी संभव होगी, जब किसानों को उसके लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

कृषि उपकरणों को जीएसटी से मुक्त किया जाए
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी कार्यालयों में इंटरनेट और वाईफाई की सुविधा मुहैया कराई जाए। कृषि उपज को किसी भी हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे पर बेचने व खरीदने की पाबंदी लगाई जानी चाहिए। इसकी अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया जाए। किसान क्रेडिट कार्ड पर अगले पांच सालों के लिए न्यूनतम चार फीसद की ब्याज दर पर किसानों को कर्ज मुहैया कराया जाए। कृषि उपकरणों को जीएसटी से मुक्त कर दिया जाए।

भंडारण सुविधा के लिए कृषक समितियों को दायित्व सौंपने चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य एसएस रॉय, कांग्रेस की छाया वर्मा, भाजपा के हरनाथ सिंह यादव व सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने बहस में हिस्सा लेते हुए संकल्प का समर्थन किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.