अमेरिका पहुंचे विदेश सचिव, वार्ता के एजेंडे में बालाकोट का मुद्दा भी शामिल है
दक्षिण एशिया में आतंकवाद समर्थन की वजह से बिगड़ रही सुरक्षा व्यवस्था का मुद्दा भी विदेश सचिव उठाएंगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश सचिव विजय गोखले वाशिंगटन पहुंच चुके हैं और उनकी वहां के विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ सोमवार को देर रात तक वार्ता भी शुरु हो जाएगी। सरकार की तरफ से दी गई सूचना के मुताबिक गोखले की अमेरिका में आधिकारिक स्तर पर होने वाली विचार विमर्श के अलावा रणनीतिक सुरक्षा वार्ता के अगले दौर के मुद्दों पर भी चर्चा होगी।
हाल ही में पुलवामा में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत की तरफ से पाकिस्तान में जैश के ठिकाने पर हुए हमले को लेकर उपजे हालात को देखते हुए विदेश सचिव के इस दौरे की अपनी अहमियत है, लेकिन उनकी वहां अमेरिका के साथ रणनीतिक सुरक्षा मुद्दों पर होने वाली बातचीत को आगे बढ़ाने का काम अब भारत की नई सरकार ही करेगी। क्योंकि इस बारे में दोनो देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों को मिला कर बनाई गई समिति (टू प्लस टू) की आगामी बैठक अब आम चुनाव के बाद गठित होने वाली नई सरकार के कार्यकाल में ही होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक गोखले इस यात्रा के दौरान ट्रंप प्रशासन में राजनीतिक मामलों में उप सचिव डेविड हेल, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व हथियार नियंत्रण मामलों के उप सचिव एंड्रिया थॉम्पसन के अलावा विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों से भी वार्ता करेंगे। वे द्विपक्षीय मामलों से जुड़े मुद्दों के अलावा तमाम अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी चर्चा करेंगे। उनकी मुलाकात अमेरिकी कांग्रेस के कुछ महत्वपूर्ण सदस्यों से भी होगी।
माना जा रहा है कि दक्षिण एशिया में आतंकवाद समर्थन की वजह से बिगड़ रही सुरक्षा व्यवस्था का मुद्दा भी विदेश सचिव उठाएंगे। इस संदर्भ में बालाकोट पर भी निश्चित तौर पर चर्चा होगी। सनद रहे कि अमेरिकी प्रशासन ने परोक्ष तौर पर बालाकोट में भारतीय वायु सेना की कार्रवाई का समर्थन किया है।
सनद रहे कि जून, 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में यह तय किया गया था कि दोनो देशों के बीच रणनीतिक व सुरक्षा के मुद्दे पर सालाना बैठक होगी। इसके लिए दोनो देशों के विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में टीम बनी।
इसकी पहली बैठक सितंबर, 2018 में हुई और अब अगली बैठक संभवत: अगस्त-सितंबर, 2019 के बाद ही होगी। तब तक भारत में नई सरकार का गठन हो जाएगा। इससे भारत व अमेरिका के रणनीतिक रिश्तों पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। पिछले ढ़ाई दशकों के दौरान केंद्र में कई बार सत्ता परिवर्तन होने के बावजूद इन दोनो देशों के रिश्तों में लगातार मजबूती आई है।