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गठन के चार माह बाद हुई लोकपाल सर्च कमेटी की पहली बैठक

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकपाल प्रमुख और सदस्यों की नियुक्तियों से संबंधित तौर-तरीकों पर चर्चा की।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 10:24 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 10:26 PM (IST)
गठन के चार माह बाद हुई लोकपाल सर्च कमेटी की पहली बैठक
गठन के चार माह बाद हुई लोकपाल सर्च कमेटी की पहली बैठक

नई दिल्ली, प्रेट्र। भ्रष्टाचार निरोधक संस्था लोकपाल के अध्यक्ष व सदस्यों के चुनाव के लिए गठित आठ सदस्यीय समिति ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक की। मोदी सरकार द्वारा गठन के चार महीने बाद समिति ने पहली बैठक की है।

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सुप्रीम कोर्ट दे चुका है फरवरी के अंत तक प्रस्तावित नामों की सूची सौंपने का निर्देश

अधिकारियों के अनुसार, माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकपाल प्रमुख और सदस्यों की नियुक्तियों से संबंधित तौर-तरीकों पर चर्चा की। हालांकि, उन्होंने इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी।

गौरतलब है कि 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों के प्रस्तावित नामों की सूची सौंपने के लिए सर्च कमेटी को फरवरी अंत तक का वक्त दिया था।

सरकारी सेवकों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त के गठन संबंधी कानून वर्ष 2013 में पारित हुआ था। बीते वर्ष सितंबर में गठित कमेटी में भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश और इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरन कुमार सदस्य बनाए गए हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख सब्बीरहुसैन एस खंडवावाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी ललित के पंवार और रंजीत कुमार कमेटी के अन्य सदस्य हैं।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सर्च कमेटी का गठन कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की चिंताओं को दरकिनार करते हुए किया गया था। इसके कारण वह सर्च कमेटी की बैठकों का बहिष्कार कर रहे थे। खड़गे कमेटी की बैठक का यह कहते हुए बहिष्कार कर रहे थे कि उन्हें इसका पूर्ण सदस्य नहीं बनाया गया है।

पूर्ण सदस्य बनाए जाने के लिए कानून में संशोधन चाहते थे खड़गे

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से लोकपाल कानून में संशोधन की मांग की थी। उनका कहना था कि अध्यादेश के जरिये कानून में संशोधन करते हुए लोकसभा की एकल बड़ी पार्टी के नेता को इसका सदस्य बनाया जाए। लोकपाल और लोकायुक्त कानून के अनुसार चयन समिति में नेता विपक्ष ही सदस्य होगा, जबकि खड़गे को इसका दर्जा प्राप्त नहीं है।


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