नए कृषि कानून के तहत एमपी में हुई पहली कार्रवाई, प्रशासन ने उच्चतम मूल्य पर धान खरीदने के दिए आदेश
नया कानून किसानों के हित में है। किसानों को यह अधिकार पहली बार मिल रहा है कि वह अपनी मर्जी से फसल बेच सकेगा। यदि किसानों को बाजार में अनुबंध से ज्यादा दाम मिलेगा तो वह यह अनुबंध तोड़ने के लिए स्वतंत्र है।
भोपाल/होशंगाबाद, राज्य ब्यूरो। किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए किसान (सशक्तीकरण व संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा कानून से किसानों को न्याय मिलने की शुरुआत हो चुकी है। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में प्रदेश का ऐसा पहला मामला सामने आया है। अनुबंध के बावजूद दिल्ली की कंपनी फॉर्चून राइस लिमिटेड ने धान नहीं खरीदा तो किसानों की शिकायत पर जिला प्रशासन ने मामले की सुनवाई की और कंपनी को मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीदने के आदेश दिए हैं। जिला प्रशासन की इस कार्रवाई पर राज्य सरकार ने भी उसकी पीठ थपथपाई है।
मुख्यमंत्री ने 24 घंटे के भीतर किसानों को न्याय दिलाने में जिला प्रशासन की थपथपाई पीठ
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 24 घंटे के भीतर किसानों को न्याय दिलाने में जिला प्रशासन, होशंगाबाद की भूमिका सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने ऐसा कर किसानों के प्रति संवेदनशीलता का प्रमाण दिया है। मुख्यमंत्री ने नए कानून के प्रति किसानों की जागरूकता की भी प्रशंसा की है।
मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा- यह फैसला किसानों के बीच नए कानून के प्रति बढ़ाएगा भरोसा
पिपरिया के किसान पुष्पराज पटेल और ब्रजेश पटेल ने कंपनी द्वारा धान नहीं खरीदने की शिकायत 10 दिसंबर को थी, इस पर तत्काल सुनवाई करते हुए एसडीएम नितिन टाले ने कंपनी को 24 घंटे के भीतर जवाब देने के आदेश दिए। इसके साथ ही नए कानून के प्रविधान के अनुसार दोनों पक्षों में सुलह के लिए समझौता बोर्ड बनाया गया और इसमें कंपनी ने किसानों की धान की फसल को 2950 रुपये प्रति क्विंटल उच्चतम मूल्य और 50 रुपये प्रति क्विंटल बोनस पर खरीदने की सहमति दे दी। इस तरह किसानों को एक दिन में ही न्याय मिल गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह फैसला किसानों के बीच नए कानून के प्रति भरोसा बढ़ाएगा।
धान के भाव बढ़ते ही कंपनी ने बंद कर दी थी खरीदी
एसडीएम नितिन टाले के मुताबिक कंपनी ने तीन जून 2020 को मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीदने के लिए किसानों से अनुबंध किया था। कंपनी पिछले कुछ दिनों से लगातार अनुबंध के तहत धान खरीद रही थी, लेकिन जैसे ही मंडी में धान के भाव तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल हो गए तो कंपनी के कर्मचारियों ने खरीदी बंद कर दी और फोन भी बंद कर लिए। इसकी शिकायत पुष्पराज और ब्रजेश ने प्रशासन को की थी। इस पर जिला प्रशासन ने कृषि विभाग से मार्गदर्शन मांगा।
अनुबंध से पीछे हटे तो कंपनी को उच्चतम मूल्य पर किसानों से धान खरीदने का दिया आदेश
विभाग ने नए कांट्रैक्ट फार्मिंग कानून की धारा 14 के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके बाद तत्काल कंपनी को जवाब देने के आदेश दिए गए। कंपनी के डायरेक्टर अजय भलोटिया द्वारा जवाब देने के बाद समझौता बोर्ड का गठन किया गया। इस बोर्ड में तहसीलदार और किसानों के प्रतिनिधि शामिल थे। कंपनी के डायरेक्टर ने माना कि धान के मूल्य बढ़ने के बाद खरीद बंद कर दी गई थी। बोर्ड से विचार विमर्श के बाद कंपनी उच्चतम मूल्य पर धान खरीद करने के लिए राजी हो गई।
नया कानून किसानों के हित में
नया कानून किसानों के हित में है। किसानों को यह अधिकार पहली बार मिल रहा है कि वह अपनी मर्जी से फसल बेच सकेगा। यदि किसानों को बाजार में अनुबंध से ज्यादा दाम मिलेगा तो वह यह अनुबंध तोड़ने के लिए स्वतंत्र है- कमल पटेल, कृषि मंत्री, मध्य प्रदेश।