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Budget 2020: वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा- अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सभी इंजनों को एक साथ लगाना होगा जोर

एलआइसी हम पूरा नहीं बेच रहे। उसमें सरकार की इक्विटी का एक थोड़ा सा हिस्सा ही हम बेच रहे हैं। यह 10 फीसद होगा या कितना होगा इसका फैसला बाद में होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 07:43 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 08:18 PM (IST)
Budget 2020: वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा- अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सभी इंजनों को एक साथ लगाना होगा जोर
Budget 2020: वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा- अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सभी इंजनों को एक साथ लगाना होगा जोर

नई दिल्ली [ जयप्रकाश रंजन ]। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का मानना है कि बजट पेश करने का मतलब बाजार में अस्थायी हलचल पैदा करने के बजाये इकोनोमी के आधार को मजबूत करना चाहिए ताकि तेज विकास दर सुनिश्चित करना सिस्टम का हिस्सा बन जाए। शनिवार को पेश किये गये अपने दूसरे बजट को वह इसी रूप में देखती हैं। रविवार को वित्त मंत्री ने बजट को लेकर 'दैनिक जागरण' के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन के साथ बातचीत की। पेश है एक अंश-

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प्रश्न: देश की बेहद सुस्त पड़ी इकोनोमी की रफ्तार को यह बजट किस तरह से तेज करेगा?

उत्तर: हमारा मानना है कि भारत जैसी दुनिया की एक बड़ी इकोनोमी को सिर्फ एक इंजन आगे नहीं बढ़ा सकती है। इसे आगे बढ़ाने के लिए सभी तरह के इंजन को एक साथ लगाना होगा यानी सरकार, प्राइवेट सेक्टर, विदेशी निवेशक, आम जनता, बाजार, सरकारी उपक्रम जैसे सेक्टर को एक साथ जोर लगाना होगा। हमने कोशिश की है इसे आगे ले जाने वाले सभी सेक्टर की राह की अड़चनें दूर हों, उनका रास्ता सुगम हो। इसके लिए ग्रामीण, कृषि व ढांचागत क्षेत्र के लिए ज्यादा राशि का इंतजाम किया। जहां सरकार की तरफ से खर्च करने की दरकार है, वहां कोई भी कटौती नहीं की गई है। खर्च उस मद में ज्यादा करने की व्यवस्था है जहां संपत्ति का निर्माण हो। हमारी हर घोषणा अलग अलग सेक्टर की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने वाला होगा। एमएसएमई व घरेलू उद्योगों को मजबूत बनाने का रोडमैप है। राज्यों को देश की आर्थिक गतिविधियों में ज्यादा सक्रिय बनाना भी हमारा मकसद है। इन उपायों से कम अवधि से लेकर लंबे समय तक के फायदों का ध्यान रखा गया है। यह सब उपाय विकास दर को तेज करेंगे।

प्रश्न: आपने बजट भाषण में नोमिनल ग्रोथ रेट का जिक्र किया है, क्या आने वाले दिनों में इकोनोमी को आंकने के लिए इसी को मुख्य तौर पर आधार माना जाएगा?

उत्तर: नोमिनल ग्रोथ रेट और वास्तविक ग्रोथ रेट दोनों महत्वपूर्ण है और सरकार के अलावा दूसरे विशेषज्ञों के लिए भी यह हमेशा ही इकोनोमी की स्थिति को जानने का तरीका रहा है। नोमिनल में दूसरे सारे तत्वों के साथ महंगाई को भी शामिल किया जाता है। अब इसका ज्यादा जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि महंगाई दर काफी हद तक नियंत्रण में है। इकोनोमी के आधारभूत तत्व मजबूत हैं जैसे विदेशी मुद्रा भंडार बहुत ही ज्यादा है। ऐसे में अब ज्यादा खुल कर नोमिनल ग्रोथ रेट का इस्तेमाल होने लगा है। लेकिन सरकार की कोई ऐसी मंशा नहीं है कि सिर्फ इसे ही मानक बनाना है।

प्रश्न: कई लोग मान रहे हैं कि आपने व्यक्तिगत कर के स्लैब में जो बदलाव किये हैं वह अस्पष्टता बढ़ा सकता है? आपने यह भी कहा है कि आय कर छूटों को समाप्त किया जाएगा..

उत्तर: देखिए आय कर की दरों को घटाने और स्लैब को घटाने का फैसला किया गया है उसके पहले हमने सितंबर, 2019 में कारपोरेट टैक्स की दरों को घटाया है। कारपोरेट टैक्स व्यवस्था को पूरी तरह से सरलीकरण किया। इसकी सभी सराहना करते हैं। व्यक्तिगत आय कर के बारे में भी हम यही करना चाहते हैं। आप अभी तक की परंपरा को देखिएगा तो पाएंगे कि हर सरकार ने आय कर छूटों में बढ़ावा ही किया है। आज आय कर कानून के तहत 120 छूटों का प्रावधान है। मुझे इस बात से कोई ऐतराज नहीं है कि कोई भी करदाता इसका फायदा उठाये, यह कानूनी तौर पर वैध है। जो लोग कम से कम कर देने के लिए इन छूटों का फायदा उठाते हैं लेकिन सरकार की समस्या यह है कि हम यह आकलन नहीं कर पा रहे कि देश की जनता वास्तविक तौर पर कितना टैक्स दे सकती है। देश के रोजगार क्षेत्र में आने वाले लोग कितना टैक्स दे सकते हैं, हम इसका सही तौर पर अंदाजा ही नहीं लगा पा रहे। यह असंभव हो गया है। हम आयकर दाता का खून नहीं चूसना चाहते लेकिन यह जानना जरुरी है कि वे आसानी से कितना टैक्स दे सकते हैं। इसके लिए जरुरी है कि हम आगे चल कर छूटों को खत्म करे। हम एक झटके में यह कदम नहीं उठाना चाहते, इसीलिए हमने दो ट्रैक का सिस्टम बनाया है। जिसे छूट लेना है वह छूट ले लेकिन जो बिना किसी छूट के कम कर देना चाहता है उसके लिए भी एक विकल्प होगा। यह सिस्टम में बड़े सुधार की तरफ बढ़ा कदम है।

प्रश्न: आपने पहली बार देश में टैक्स चार्टर बनाने की बात कही है, इसका क्या उद्धेश्य होगा?

उत्तर: इसके पीछे भी काफी गहन विमर्श शामिल है। दरअसल, पिछले साल का बजट पेश करने के बाद से ही हमारे पास टैक्स उत्पीड़न की शिकायतें आने लगी। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने पीएम से भी शिकायत की। मेरी भी जिन लोगों से बात हुई उसमें इस तरह की बातें आई। मैंने अपने स्तर पर अधिकारियो को बताया कि कानून लागू करो लेकिन अपनी तरह से बहुत ज्यादा दबाव मत बनाओ। इसे खत्म करने के कई तरह के सुझावों पर बात हो रहा था और हमने तकनीकी इस्तेमाल भी शुरु किया और डीआइएन (डॉक्यूमेंट आइटेंडिफिकेशन नंबर) भी लागू किया। उत्पीड़न को पूरी तरह से खत्म करने पर विचार चल रहा था कि हमारे सलाहकार संजीव सन्याल ने बताया कि अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया में टैक्स चार्टर है जो आम आयकर दाताओं के अधिकार को सुरक्षित रखता है। मैंने पीएम से बात की, उन्होंने विस्तार से सुना और फिर मुझे इस पर आगे बढ़ने का निर्देश दिया। मुझे लगता है कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक भी आयकर दाता के मन में यह बात नहीं आनी चाहिए कि उनका सरकार के विभाग या अधिकारी की तरफ से उत्पीड़न हो रहा है। मुझे लगता है कि आयकर दाता को तभी विश्वास होगा जब उसे कानूनी तौर पर उत्पीड़न से मुक्ति का प्रावधान हो। हम इमानदार टैक्स पेयर्स का सही सम्मान करना चाहते हैं।

प्रश्न: इस साल भी आपने दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का विनिवेश लक्ष्य रखा है, पिछले बजट में भी 1.05 लाख करोड़ रुपये का था लेकिन असलियत में काफी कम मिला है? इतना बड़ा लक्ष्य कैसे हासिल होगा?

उत्तर: विनिवेश प्राप्ति लक्ष्य से कम होने के लिए एक वजह समय की कमी भी है। आप सरकार की क्षमता पर संदेह मत कीजिए। लेकिन पिछले बजट में जो भी टार्गेट था उसको लेकर काम लगातार चल रहा है। यह मत भूलिये कि इस साल हमें सिर्फ सात महीने मिले हैं। दो महीना और मिला होता तो एयर इंडिया में विनिवेश पूरा हो गया होता। विनिवेश के काम में समय लगता है। निवेशक काफी विचार विमर्श के बाद फैसला करता है। दूसरा कारण यह है कि सभी सूचीबद्ध कंपनियां हैं उनके लिए एक पूरी प्रक्रिया का पालन करना होता है। लेकिन जो काम चल रहा है उसको लेकर मुझे पूरा भरोसा है कि अगले वित्त वर्ष में हम विनिवेश के लिए जो भी लक्ष्य रखा हुआ वह पूरा होगा।

प्रश्न: क्या एलआइसी के बलबूते इतना बड़ा विनिवेश लक्ष्य रखा है?

उत्तर: नहीं नहीं, एलआइसी हम पूरा नहीं बेच रहे। उसमें सरकार की इक्विटी का एक थोड़ा सा हिस्सा ही हम बेच रहे हैं। यह 10 फीसद होगा या कितना होगा, इसका फैसला बाद में होगा।

प्रश्न: कई उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है, क्या यह घरेलू स्तर पर दबाव बनाने वाले वर्ग की वजह से हुआ है?

उत्तर: यह आरोप लगाने वालों को पहले ध्यान से देखना चाहिए कि हमने किस तरह के उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाया है। हमने उन उत्पादों का चयन किया है जिसमें भारतीय कंपनियां पूरी तरह से गुणवत्ता उत्पाद बनाने में सक्षम है। साथ ही जिसमें आयातित कच्चे माल का इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं है। और ना ही किसी इंटरमीडियरी वस्तुओं की जरुरत है। साथ ही ये सारे उत्पाद हमारे देश के छोटे व मझोले उद्योग बनाने में सक्षम है। हम नहीं चाहते कि हर तरह के फर्नीचर, खिलौने जैसे उत्पादों के निर्माण में भी हमें दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़े। सरकार का यह कदम घरेलू उद्योग को बढ़ावा देगा, रोजगार बढ़ाएगा, विदेशी मुद्रा का बचत करेगा।


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