'पद्मावत' पर सियासत: प्रदर्शनकारियों के बचाव में उतरे दिग्विजय और वीके सिंह
दिग्विजय सिंह ने पद्मावत के रिलीज की आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी धर्म या जाति की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली फिल्में नहीं बनानी चाहिए।
नई दिल्ली, एजेंसी। भले ही तमाम बाधाओं को पार करते हुए 'पद्मावत' ने देश भर के सिनेमाघरों में दस्तक दे दी हो, मगर प्रदर्शनकारियों के तेवर में कोई बदलाव नहीं आया है। वहीं इस फिल्म पर सियासत भी जारी है। कुछ हस्तियां इसके समर्थन में हैं तो कुछ खुलकर इसके विरोध में सामने आए हैं। जैसे कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह को ही ले लीजिए, जिन्होंने फिल्म में एतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ को गलत बताया है।
दिग्विजय सिंह ने पद्मावत के रिलीज की आलोचना करते हुए कहा कि किसी भी धर्म या जाति की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली फिल्में नहीं बनानी चाहिए। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, 'अगर कोई फिल्म एतिहासिक तथ्य से परे है और किसी धर्म या जाति विशेष के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती हो तो सबसे अच्छा विकल्प यही है कि इसे नहीं बनाया जाए।'
वहीं वीके सिंह ने प्रदर्शनकारियों का बचाव करते हुए कहा कि जब चीजें सहमति से नहीं होती है तो वहां गड़बड़ी का होना लाजिमी है। उन्होंने कहा, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतिहास को तोड़फोड़ करने की इजाजत नहीं देती है। जो विरोध कर रहे हैं, उनके साथ बैठ के इसको सुलझाया जाए। जब चीजें सहमति से नहीं होती हैं तो फिर उसमें गड़बड़ होती है।'
उधर, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस विवाद को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पार्टी गंदी राजनीति कर रही है और राष्ट्र को हिंसा की आग के हवाले कर दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ हिंसा का कोई भी कारण बड़ा नहीं हो सकता है। हिंसा और नफरत कमजोरी के हथियार हैं। भाजपा हिंसा और नफरत का इस्तेमाल कर पूरे देश को आग के हवाले कर रही है।
आपको बता दें कि देश भर में हिंसक प्रदर्शनों के बीच आज पद्मावत रिलीज हो गई। करणी सेना समेत कई राजपूत संगठन इसके विरोध में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद इस फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हुआ है। फिल्म विरोधियों को आपत्ति है कि पद्मावत में एतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। हालांकि फिल्मकार संजय लीला भंसाली ने इससे इंकार किया है। फिल्म देखने वाले भी कह रहे हैं कि इसमें कुछ ऐसा नहीं है जिसको लेकर इतना बवाल हो रहा है। प्रदर्शनों की वजह से कुछ राज्यों में सिनेमाहॉल मालिकों ने बुकिंग होने के बावजूद लोगों को फिल्म दिखाने से मना कर दिया है।