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छत्तीसगढ़: राजनीति में बाप के बिगड़े बोल बन रहे बेटों के रास्ते में रोड़ा

नंदकुमार बघेल की ओर से कांग्रेस के बड़े नेताओं के टिकट काटने वाले बयान के बाद दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने भूपेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 01 Aug 2018 11:09 PM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2018 11:09 PM (IST)
छत्तीसगढ़: राजनीति में बाप के बिगड़े बोल बन रहे बेटों के रास्ते में रोड़ा

रायपुर, नईदुनिया, राज्य ब्यूरो। देश की राजनीति में बाप के बयान अब बेटी के रास्ते का रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस हो या फिर भाजपा, दोनों दल नेताओं के पिता के बड़बोले नेताओं के बयान से आहत हैं। कई बार तो स्थिति ऐसी बन रही है कि नेता पुत्र न तो जवाब देने की स्थिति में होते हैं। न ही संगठन उनके साथ खड़ा होता है। देश की राजनीति में वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा के बयान अगर केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के लिए मुसिबत का सबब बन रहे हैं। तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के लिए उनके पिता नंदकुमार बघेल का बयान सियासी समीकरण बिगाड़ने वाला बनता जा रहा है।

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बागी भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार के एक दर्जन फैसलों का विरोध किया। नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। वहीं, भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल इनसे दो कदम आगे बढ़कर सिर्फ एक समाज के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की वकालत कर रहे हैं। यही नहीं, उन्होंन कांग्रेस की 50 सीट पर जीत का अपना एक फार्मूला भी पेश कर दिया है।

नंदकुमार का चौंकाने वाला बयान उस समय आया, जब उन्होंने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की टिकट काटने की बात कह दी। बघेल ने कहा कि गरीब ब्राह्मणों को टिकट मिलना चाहिये। मोतीलाल वोरा, सत्यनारायण शर्मा, रविंद्र चौबे जैसे ब्राह्मणों को टिकट नहीं देना चाहिए। उन्होंने राजपरिवार के सदस्यों को टिकट देने का भी विरोध किया। नंदकुमार बघेल की ओर से कांग्रेस के बड़े नेताओं के टिकट काटने वाले बयान के बाद दिग्गज कांग्रेसी नेताओं ने भूपेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसका असर यह हुआ कि भूपेश को यह आदेश जारी करना पड़ा कि नंदकुमार बघेल कांग्रेस कोई पदाधिकारी नहीं हैं और उनके कार्यक्रमों में जो भी शामिल होगा, उस पर कार्रवाई होगी।

नंदकुमार बघेल के बिगड़े बोल

नंदकुमार बघेल ने कहा कि प्रदेश में स्पष्ट बहुमत के लिए कांग्रेस को अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और क्षेत्रीय दल संविधान की रक्षा नहीं कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव में हारे नेताओं को टिकट नहीं मिलना चाहिए। राजपरिवार के सदस्यों को टिकट देने से कांग्रेस को नुकसान हो रहा है।

जाति के आधार पर बांटने का फार्मूला

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल सभी नेताओं और जातियों को साधकर कांग्रेस का 15 साल का बनवास दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं उनके पिता ने ब्राह्मणों को आर्थिक आधार पर बांटने का फार्मूला दिया। जाति के आधार पर विधानसभा का टिकट देने का प्रस्ताव दिया। यही नहीं, गैर सवर्ण 50 उम्मीदवारों की एक लिस्ट भी तैयार कर ली।

बघेल के बयान का यह है असर

राजनीति के जानकारों की मानें तो नंदकुमार बघेल के बयान के कारण कांग्रेस में फिर गुटबाजी उभर रही है। बघेल ने भूपेश को सीएम बनाने की वकालत की, जबकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फार्मूला दिया था। सवर्ण नेताओं और पिछले चुनाव में हारे वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं देने के फार्मूले से वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी बढ़ रही है।

यशवंत ने यह दिया था विवादित बयान

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा था कि भारत ने घाटी के लोगों को भावनात्मक तौर पर खो दिया है। पाकिस्तान कश्मीर मसले में जरुरी तीसरा पक्ष है। यशवंत ने बोला था कि पहले मैं नालायक था, अब मेरा बेटा नालायक हो गया है। यशवंत ने भाजपा सांसदों के नाम एक चिट्ठी में लिखा थी, जिसमें पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने की अपील की थी।


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