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खुशखबरी: राज्यों के मोहताज नहीं होंगे किसान, पीएम-किसान पोर्टल पर सीधे कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

पीएम-किसान योजना में हर किसान को साल में तीन किश्तों में 6000 रुपये की आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 07:56 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 07:56 PM (IST)
खुशखबरी: राज्यों के मोहताज नहीं होंगे किसान, पीएम-किसान पोर्टल पर सीधे कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन
खुशखबरी: राज्यों के मोहताज नहीं होंगे किसान, पीएम-किसान पोर्टल पर सीधे कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभ के लिए किसानों को अब राज्यों का मोहताज नहीं होगा। केंद्र सरकार ने पीएम-किसान पोर्टल बना दिया है, जिस पर किसान अपने विस्तृत ब्यौरे का साथ रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इसका सबसे ज्यादा लाभ पश्चिम बंगाल के लगभग एक करोड़ किसानों को मिल सकता है, जहां की सरकार ने अभी तक एक भी किसान के नाम इस योजना के लिए केंद्र के पास नहीं भेजा है।

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पश्चिम बंगाल के करीब एक करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ

पीएम-किसान योजना में हर किसान को साल में तीन किश्तों में 6000 रुपये की आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है। देश के ज्यादातर राज्यों के किसानों को इसका लाभ प्राप्त होने लगा है, लेकिन पश्चिम बंगाल की गैर भाजपा सरकार ने इसमें कोई रुचि नहीं दिखाया है। वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सार्वजनिक मंचों से इस योजना की आलोचना करती रही हैं। लिहाजा राज्य के किसानों के सूची इस बाबत केंद्र के पास नहीं भेजी जा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने उन किसानों की सुविधा के लिए अलग पोर्टल बनाया है, जिससे किसान सीधे जुड़ सकता है।

किसानों को देनी होगी ये जानकारी

कृषि मंत्रालय के पीएम-किसान पोर्टल पर किसानों की सुविधा के हिसाब से प्रावधान किये गये हैं, जिसमें किसान अपनी जमीन का ब्यौरा दर्ज कर अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। किसानों के आधार नंबर और अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें इसका लाभ दिया जा सकेगा। कृषि मंत्रालय ने इस बाबत राज्यों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर इसकी जानकारी सभी के पास भेज दी है।

पश्चिम बंगाल के 5000 से अधिक किसानों ने भेजा आवेदन

कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने बताया, 'इससे अन्य सभी राज्यों को भी काफी सहूलियत हो जाएगी। योजना में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद किसान खुद भी अपनी स्थिति को जान सकता है।' अग्रवाल ने बताया कि पश्चिम बंगाल के 5000 से अधिक किसानों ने अपना आवेदन मंत्रालय को भेजा है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब इस पोर्टल पर इसे डाला जा सकता है।


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