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मप्र: कर्जमाफी योजना का फर्जीवाड़ा, खेती है नहीं; फिर भी वकील परिवार को बनाया कर्जदार

Farm Loan Waiver, वकील वरणदेव शर्मा 25 साल से शहर में रह रहे हैं। उनका खेती से कोई वास्ता नहीं, फिर भी उनके चारों भाइयों का नाम ऋण माफी की सूची में शामिल है।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 12:36 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 12:36 PM (IST)
मप्र: कर्जमाफी योजना का फर्जीवाड़ा, खेती है नहीं; फिर भी वकील परिवार को बनाया कर्जदार

ग्वालियर, नईदुनिया। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से संबद्ध 76 साख सहकारी समितियों पर बांटे फर्जी ऋण वितरण को लेकर हर कोई हैरान है। वकील वरणदेव शर्मा 25 साल से शहर में रह रहे हैं। उनका खेती से कोई वास्ता नहीं, फिर भी उनके चारों भाइयों का नाम ऋण माफी की सूची में शामिल है। गांव से फोन करके उन्हें इसकी जानकारी दी गई। यह गड़बड़ी बनवार साख सहकारी समिति के सामने आई है। वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक बृजेन्द्र तिवारी के आंदोलन के साथ जुड़े किसानों का भी वैरीफिकेशन शुरू कर दिया गया है।

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अधिवक्ता शर्मा को बनवार गांव छोड़े 25 साल हो गए हैं। बड़े भाई भूदेव, रविदेव व विश्वदेव भी गांव में नहीं रहते हैं। चारों भाइयों ने समिति से कभी ऋण नहीं लिया, लेकिन गांव में ऋण माफी की जो सूची में चारों भाइयों के साथ दिवंगत मां काशीबाई का नाम भी है। सूची में हम पर 50 हजार से एक लाख रुपये तक का ऋण दिखाया गया है। वरणदेव का कहना है कि उनके पूरे परिवार के नाम से ऋण कैसे मंजूर हुआ और पैसा किसने निकाला वे इसकी जांच के लिए आवेदन कर रहे हैं। जिला सहकारी बैंक की चीनौर, आंतरी, भितरवार, डबरा, पिछोर साख से संबद्ध समितियों में भी ऐसी गडबड़ियां सामने आ रही हैं। इस संबंध में सहकारिता विभाग की उपायुक्त अनुभा सूद से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

एक बार कर्ज माफी करा चुके प्रबंधक
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पहले कार्यकाल में देशभर में किसानों के ऋण माफ किए थे। तब समिति प्रबंधकों ने फर्जी ऋण वितरण को माफ कर दिया। ऋण माफ होने के बाद उन्होंने बड़े घोटाले को अंजाम दिया और फर्जी ऋण वितरण कर किसानों को कर्जदार बना दिया। लेकिन ऋण माफी नहीं आने से बैंक का बकाया बना रहा। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद फिर से ऋण माफी की योजना आई है। पंचायत पर सूची चस्पा होने के बाद प्रबंधकों के फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। खाद, बीज व नकदी के नाम पर समिति प्रबंधकों ने किसानों के नाम पर फर्जी ऋण वितरण कर अपनी तिजोरियां भर लीं।

ऐसे स्वीकृत किए जाते हैं ऋण, लेकिन प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ

  • अगर किसी किसान को समिति से ऋण दिया जा रहा है, तो उस समिति क्षेत्र में किसान की जमीन के साथ ही समिति का सदस्य होना भी जरूरी है। लेकिन इसका कोई ध्यान नहीं रखा गया।
  • जिन किसानों का आवेदन ऋण के लिए आता है, उनका प्रस्ताव जिला सहकारी बैंक की ऋण कमेटी के समक्ष रखा जाता है। कमेटी प्रस्ताव पास कर देती है, उसके बाद ऋण देने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
  • बैंक का शाखा प्रबंधक टीप लगाता है और बॉन्ड भरता है। इसके बाद जमीन भी बंधक रखी जाती है। 
  • ऋण स्वीकृत होने के बाद किसान के कर्ज की राशि उसके खाते में जमा कर दी जाती है, लेकिन किसान ने बैंक में खाता ही नहीं खुलवाया और दस्तावेज भी नहीं दिए। बावजूद इसके उन्हें कर्जदार बना दिया।ऋण माफी के चलते यह खुलासे हो रहे हैं।

लाल फार्म में दे आपत्ति
साख सहकारी समिति पर लाल फार्म रखा गया है। अगर किसी किसान को लगता है कि उसके नाम पर फर्जी ऋण दिखाया गया है तो वह अपनी आपत्ति भरकर दे सकता है। इसके बाद बैंक के द्वारा मामले की जांच कराई जाएगी। -मिलिंद सहस्त्रबुद्धे, महाप्रबंधक जिला सहकारी बैंक


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