Exclusive: ‘मैं 20 प्रतिशत राजनीति करता हूं और 80 प्रतिशत समाजसेवा’- नितिन गडकरी
देश किस तरह से आगे जाए और लोगों के जीवन को कैसे सुगम बनाया जाए इस एक ध्येय के साथ काम करने वाले नितिन गडकरी ने कभी अपने भीतर विफलता या निराशा का भाव नहीं आने दिया।
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और आजादी के आंदोलन में शहीद हुए लोगों की कहानियां सुनते हुए नितिन गडकरी का बचपन देश के लिए बड़े सपने संजोते हुए गुजरा। नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलसीबाग शाखा में संघ के बड़े नेताओं के सानिध्य में इस सपने को दिशा मिली। माता-पिता दोनों स्वयंसेवक थे, सो समाजसेवा का भाव घुट्टी में पिलाया गया, जिसका प्रभाव उनके हर काम में देखा जा सकता है। 1975 में लगे आपातकाल के खिलाफ सक्रियता उन्हें राजनीति की तरफ ले गई। इस क्षेत्र में आकर भी समाजसेवा को ही अपना मुख्य ध्येय बनाए रखा। खुद गडकरी कहते हैं, ‘मैं 20 प्रतिशत राजनीति करता हूं और 80 प्रतिशत समाजसेवा करता हूं।’
देश किस तरह से आगे जाए और लोगों के जीवन को कैसे सुगम बनाया जाए, इस एक ध्येय के साथ काम करने वाले नितिन गडकरी ने कभी अपने भीतर विफलता या निराशा का भाव नहीं आने दिया। वे कहते हैं, ‘मुझे कोई निराशा आती नहीं और न ही मैं महत्वाकांक्षी हूं।’ इसका उदाहरण साफतौर पर देखा जा सकता है कि भाजपा का दूसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का अवसर उनके हाथ से फिसल गया। वह बहुत विचलित नहीं हुए। वे अपने काम के प्रति सजग रहते हैं और दी गई जिम्मेदारी को पूरे मनोयोग से निभाने का प्रयत्न करते हैं। शायद यही कारण है कि महाराष्ट्र में और फिर बाद में केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में उनके योगदान की प्रशंसा विरोधी भी करते नहीं थकते हैं।
नितिन गडकरी की मानें तो वे दीन दयाल उपाध्याय के ‘अंत्योदय’ से बहुत प्रभावित हैं। गांव, गरीब, मजदूर और किसान का कल्याण उनकी प्राथमिकता में है। हजारों किमी की हाईवे परियोजनाओं को लागू करने वाले नितिन गडकरी के अनुसार उन्हें बहुत ज्यादा खुशी होती है, जब किसी को नौकरी मिल जाती है। किसी के दिल का ऑपरेशन हो जाता है। किसी गरीब आदमी को मकान मिल जाता है।
बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि नितिन गडकरी गढ़चिरौली व अन्य जगहों पर 1100 एकल विद्यालय भी चलाते हैं। उन्होंने दिल की बीमारी से ग्रस्त 8000 गरीबों का मुफ्त ऑपरेशन कराया है। 850-900 लोगों को कृत्रिम पैर भी लगवाया। अन्नपूर्णा नाम से एक एयरकंडीशन रेस्टोरेंट भी चलाते हैं, जो ‘नो प्रॉफिट नो लॉस’ पर चलता है। किसानों की आत्महत्या से आहत गडकरी ने विदर्भ के इलाके में कई प्रकल्प शुरू किये। इनमें आज लगभग 15 हजार लोगों को रोजगार मिला है।
नितिन गडकरी के जीवन व व्यक्तित्व पर उनकी मां भानूताई गडकरी का गहरा असर है। खुद गडकरी कहते हैं कि आज वे जो कुछ हैं अपनी मां की वजह से हैं। मां के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी होने के कारण गडकरी को अनुशासन और देशभक्ति की शिक्षा बचपन से ही मिली लेकिन इसको धार मिली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में जाकर। मैट्रिक पास करते ही वे आपातकाल के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े और उसके बाद विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए। वे कहते हैं कि विद्यार्थी परिषद ने उन्हें जीवन का दृष्टिकोण दिया। जिसमें यशवंत राव केलकर, बाल आप्टे, मदनदास देवी और सुधाकर भालेराव का अहम योगदान है।
नितिन गडकरी के पास अपने काम की वजह से सबका दिल जीतने की कला है। वे काम को काम के रूप में देखते हैं और जाति, धर्म, विचारधारा को लेकर किसी के साथ भेदभाव नहीं करते हैं। यही कारण है कि विपक्षी भी उनकी तारीफ करते हैं। लेकिन इसके साथ ही वे अपनी बेबाकी के लिए भी उतने ही पसंद किये जाते हैं। अपनी विफलता को छुपाना उन्हें नहीं आता है। वे खुलेआम स्वीकार करते हैं कि देश में सड़क दुर्घटनाओं को कम नहीं कर पाए और यह उनकी सबसे बड़ी विफलता है। पर उनकी एक खूबी यह भी यह भी वे कभी हार नहीं मानते हैं। जितनी बड़ी चुनौती होती है, उससे निपटने के लिए उनके पास जोश और जच्बा उससे भी बड़ा होता है। ऐसे वक्त में संगीत उन्हें बहुत भाता है और खासकर मुकेश।
राजनीति में शिखर तक पहुंचने, भाजपा का अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी राजनीति में उनका मन नहीं लगता है। 62 साल के हो चुके गडकरी कभी 60 साल की उम्र में राजनीति से सेवानिवृत्त होने का मन बना चुके थे। लेकिन राजनीतिक मजबूरियों की वजह से ऐसा नहीं कर सके। उनके आदर्श पुरूष हैं नानाजी देशमुख। पर उनकी सार्वजनिक पहचान है एक बेबाक राजनीतिज्ञ की, जो बेहिचक कुछ भी कह सकते हैं, जिनके विचार क्रांतिकारी होते हैं और चौंकाते है।
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