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जागरण राउंड टेबल: हर यात्री को कंफर्म टिकट मिले, इस दिशा में तेजी से हो रहा कामः रेल मंत्री

दैनिक जागरण की संपादकीय टीम के साथ उन्होंने रेलवे को लेकर जनता में अवधारणा और बदलती दिशा पर लंबी बात की।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 11:39 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 03:07 PM (IST)
जागरण राउंड टेबल: हर यात्री को कंफर्म टिकट मिले, इस दिशा में तेजी से हो रहा कामः रेल मंत्री
जागरण राउंड टेबल: हर यात्री को कंफर्म टिकट मिले, इस दिशा में तेजी से हो रहा कामः रेल मंत्री

नई दिल्ली [जेएनएन]। केंद्र में वर्तमान में रेल और कोयला के साथ साथ वित्त जैसे अहम मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे पीयूष गोयल को रेल जैसे बड़े और राजनीतिक मंत्रालय की कमान तब दी गई जब दुर्घटनाओं के लिए रेल बदनाम हो रही थी। प्रधानमंत्री ने उनकी क्षमताओं को पहचानते हुुुए बड़ी जिम्मेदारी दी। इससे पहले उर्जा, रिन्यूएबल इनर्जी और खनन मंत्रालय में भी वह रह चुके हैं।

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दैनिक जागरण की संपादकीय टीम के साथ उन्होंने रेलवे को लेकर जनता में अवधारणा और बदलती दिशा पर लंबी बात की।

प्रश्न : चार साल पहले तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभू ने कहा था कि ज्यादातर ट्रेनो का एलान राजनीतिक वजहों से किया जाता है। लेकिन अब बिना बजट के धड़ाधड़ नई ट्रेने चलाई जा रही हैं। चार साल में 800 से ज्यादा ट्रेने चलाई गई हैं? क्या ट्रेनों के लेट होने की एक वजह यह भी नहीं है?

उत्तर : ऐसा कोई संस्थान नहीं कह सकता कि वो हाथ बांधकर काम करेगा। हां, सुरेश प्रभू जी के कहने का सार ये था कि वो नई ट्रेनों को चलाने में राजनीति नहीं करेंगे। पहले तमाम ट्रेनों को चलाने की घोषणा होती थी। लेकिन सालों बाद भी ट्रेनें नहीं चलती थीं। जबकि हमने जो काम किए, उसे पूरा किया। घोषणा की, मगर उसका कोई राजनीतिकरण नहीं किया। यह बड़ा बदलाव है इस सरकार में। मुझे 800 नई ट्रेनों के चलने को लेकर संदेह है। जैसे कुछ रूट में ट्रेन भरकर चलती है। ऐसे में हमें मानवीय आधार पर कुछ व्यवस्था करनी होगी। फिर हमने कुछ चीजें अक्लमंदी से की हैं। जैसे आज देश की सबसे अच्छी ट्रेन गतिमान है। दिल्ली से आगरा और आगरा से दिल्ली में चार घंटे लगते थे। मैंने गतिमान को आगरा से आगे ग्वालियर और फिर वहां से झांसी तक बढ़ा दिया। और इस तरह दिल्ली से बुंदेलखंड की दूरी को कम कर दिया। मोदी और पंडित दीनदयाल की सोच है कि देश की सभी चीजों पर पहला हक गरीब का है, यह उसका उदाहरण है।

प्रश्न : गरीबों के हक से गतिमान रेल कैसे जुड़ती है, क्या बुंदेलखंड का गरीब गतिमान में सफर करने की आर्थिक क्षमता रखता है?

उत्तर : आप वहां जाएंगे तो आप वहां खर्च भी करेंगे। तो उसका लाभ वहां के लोगों को मिलेगा। एक रास्ता तो खुला वहां तक पहुंचने का।

 प्रश्न- सीएजी ने हाल में एक रिपोर्ट दी थी और रेलवे के खाने पर बड़ा सवाल उठाया था। वह खाने योग्य नहीं होता है। आप क्या कहेंगे?

उत्तर- मैं मानता हूं कि खाने में सफाई और गुतणवत्ता बहुत जरूरी है। देशभर में 68 बेस किचन तैयार किए जा रहे हैं। कोशिश यह है कि हर पांच सौ किलोमीटर पर एक बेस किचन हो ताकि ताजा खाना मिल सके। सितंबर 2019 तक सारे किचन स्थापित हो जाएंगे। लेकिन मैं आपको बताउं कि रेलवे किचन रोज 12 लाख लोगों के लिए खाना बनाती है जिसमें से औसतन दस लाख यात्रियों को खाना पसोसा जाता है। इसलिए कभी कभी खाने को लेकर शिकायतें आती है। खैर हमारी तो कोशिश है कि यह शिकायत आए ही नहीं। इसीलिए नए कैटरिंग पालिसी लागू की है। किचन में सीसीटीवी कैमरों और आर्टिफिशयल इंटैलिजेंस के जरिए चौबीस घंटे नजर रखी जाएगी। कैटरिंग की व्यवस्था को दो हिस्सो में बाट दिया है। एक एजेंसी खाना बनाएगी और दूसरी उसे सर्व करेगी। बदलाव आप देखेंगे।

प्रश्न : रेलवे होटल और अन्य माध्यमों से मुनाफा कमाने की कोशिश कर रहा है और इसे निजीकरण की राह के रूप में देखा जा रहा है। आप क्या कहेंगे?

उत्तर : रेलवे का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है। उसका काम सेवा देना है। आज भी टिकट का किराया खर्च के आधे दाम पर है। प्रत्येक टिकट पर सरकार 43 फीसदी सब्सिडी देती है। तो ऐसी परिस्थिति में रेलवे के निजीकरण का कोई सवाल ही नहीं उठता है। रेल में गरीब भी चलता है। मैं समझता हूं कि आज देश में पांच रुपये में आपको कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन रेलवे के अंतर्गत आने वाली कलकत्ता मेट्रो में आप पांच रुपये के टिकट पर सफर कर सकते हैं। इसका स्वरूप अलग है। केवल कंटेनर जैसी कुछ चीजों में और छोटे स्तर पर निजीकरण हुआ है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत कुछ लाइने भी बनी हैं।

 प्रश्न : ट्रेनों में कंफर्म सीट पाना सपने जैसा है। क्या इस समस्या का कभी निदान हो सकेगा?

उत्तर : वर्तमान में, प्रतिवर्ष 830 करोड़ यात्री भारतीय रेलों में सफर करते हैं। इस तरह देखा जाए तो आस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर यात्री प्रतिदिन रेलों में यात्रा करते हैं। इससे न केवल हमारी लय और गति पर भारी दबाव पड़ता है, बल्कि प्रतीक्षा सूची के यात्रियों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी होती है। ज्यादा ट्रेनें चलाने के लिए अवसंरचना और रेल लाइन क्षमता में वृद्धि करना आवश्यक है। इस दिशा में हमने तेज कदम उठाए हैं। नई लाइन, दोहरीकरण, तीसरी चौथी लाइन एवं विद्युतीकरण के साथ-साथ सिगनलिंग आदि में तेजी से बदलाव किया जा रहा है। डेडीकेटेड फे्रट करीडोर पर भी तेजी से काम हो रहा है। इसके पूरा होने से माल गाडिय़ां इस पर शिफ्ट हो जाएंगी और हमें मौजूदा लाइनों पर पैसेंजर ट्रेने चलाने के लिए ज्यादा क्षमता मिल जाएगी। इससे गाडिय़ों की संख्या में और वृद्धि करने में मदद मिलेगी तथा अधिक यात्रियों को कंफर्म टिकट मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।  


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