Exclusive Interview: मुख्तार अब्बास नकवी बोले- जिन्हें औरंगजेब आदर्श लगता है वह हिंदुस्तान के जख्मों पर छिड़क रहे नमक
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि जिन्हें औरंगजेब आदर्श लगता है वह हिंदुस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने का पाप कर रहे हैं। प्रस्तुत है दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से उनकी खास बातचीत...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ज्ञानवापी को लेकर समाज में जिज्ञासा बढ़ गई है और राजनीति में बयानबाजी गर्म है। मामला तो कोर्ट में है, लेकिन मोदी सरकार के विरोधी इसे सीधे तौर पर सरकार से जोड़ रहे हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी जहां ऐसे आरोपों को नकारते हुए यह दावा करते हैं कि अल्पसंख्यक कल्याण के लिए सबसे ज्यादा काम मोदी सरकार में हुए हैं, वहीं यह कहने से हिचकते नहीं कि जिन्हें औरंगजेब आदर्श लगता है वे हिंदुस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने का पाप कर रहे हैं। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से उनकी कई विषयों पर बात हुई। पेश है एक अंश...
सवाल- मोदी सरकार के आठ साल की उपलब्धियां गिनाई जा रही हैं, लेकिन एक पक्ष है जो यह आरोप लगाता है कि समाज टूट रहा है। आप क्या कहेंगे?
जावाब- पहली बात, यह आठ वर्ष कोई सामान्य समय नहीं रहा है। कोरोना का कहर, युद्ध का वैश्विक दुष्प्रभाव, देश ने तूफान भी झेला, भूकंप भी आया, टिड्डियों का प्रकोप और फिसड्डियों का पाखंड भी चला और चल रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना रुके-बिना थके संकटमोचक की अग्रणी भूमिका में रहे। देश टूट रहा है, समाज बिखर रहा है, असहिष्णुता हो गई है. ऐसे तमाम झूठे-मनगढं़त दुष्प्रचार 2014 से ही शुरू हो गए थे। सच्चाई उलट है। लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंच रहा है। एक समय था कि हर महीने देश का कोई ना कोई हिस्सा दंगों की आग में जल रहा होता था-भागलपुर का छह महीनों तक चला दंगा, हजारों की मौत; भिवंडी का महीनों चला कत्ले आम; मलियाना का नरसंहार; 1984 का सिख नरसंहार-जैसी सैकड़ों दर्दनाक घटनाएं हुई, जो इंसानियत को झकझोर देती हैं। समाज वहां टूट रहा था। अब जुड़ा है।
सवाल- यह हमेशा कहा जाता है कि भाजपा पर मुस्लिमों का विश्वास नहीं है, कोई वोट नहीं देता। पिछले आठ वर्षों में कोई बदलाव आया क्या और कैसे?
जवाब- 'सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास' सिर्फ नारा नहीं है। आज विरोधी भी यह नहीं कह पा रहे हैं कि मोदी सरकार ने विकास के मामले में कहीं भेदभाव किया है। या किसने वोट दिया, किसने नहीं दिया, उसके आधार पर विकास की प्राथमिकता रखी है। अल्पसंख्यकों को आठ वर्षों में पांच करोड़ से ज्यादा स्कालरशिप मिला, जिससे स्कूल ड्राप आउट रेट घटा और प्रवेश बढ़ा। अन्य योजनाएं जो गरीबों-कमजोर तबकों के लिए रहीं, उसका भी बहुत ज्यादा लाभ गरीब अल्पसंख्यकों को हुआ। दो करोड़ 38 लाख गरीबों को घर दिया, तो उसमें 31 प्रतिशत अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय के हैं। 12 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि के तहत लाभ दिया, तो उसमें भी 33 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब किसान हैं। नौ करोड़ से ज्यादा महिलाओं को उज्ज्वला योजना के तहत निश्शुल्क गैस कनेक्शन दिया, तो उसमें 37 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवार लाभान्वित हुए। 35 करोड़ लोगों को मुद्रा योजना के तहत आसान ऋण दिए गए हैं, जिनसे 35.6 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंख्यकों को लाभ हुआ। 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत 11 करोड़ 22 लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है। इसमें लगभग 22 प्रतिशत अल्पसंख्यक लाभार्थी हैं। जन धन योजना, आयुष्मान भारत, हर घर जल आदि योजनाओं में 22 से 37 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।
सवाल- ज्ञानवापी मामले को भी राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा है?
जवाब- मामला कोर्ट में है। हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। लेकिन क्या यह झूठ है कि हिंदुस्तान कुछ आक्रमणकारियों के जुल्म-जुर्म के जख्म को आज भी नहीं भूल पाया है? मैं सभी मुस्लिम शासकों के बारे में नहीं कह रहा हूं। शेरशाह सूरी और बहादुरशाह जफर जैसे भी शासक रहे हैं। इनका सम्मान आज भी हिंदुस्तान करता है। लेकिन औरंगजेब की क्रिमिनल-कम्युनल करतूत इतिहास की काली हकीकत है। जिन्हें औरंगजेब आदर्श लगता है, वे हिंदुस्तान के जख्मों पर नमक छिड़कने का पाप कर रहे हैं।
सवाल- हिजाब, हलाल का मसला भी हाल में खूब गरमाया था और कहा गया कि भाजपा फायदा उठाना चाहती है?
जवाब- इससे भाजपा को क्या फायदा? तीन तलाक कानूनी जुर्म बना तो मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा मिली। हिजाब पर हारर हंगामा, मुस्लिम लड़कियों की तालीम-तरक्की पर तालिबानी ताला जड़ने की साजिश है। दुख तो तब होता है जब कांग्रेस, पाकिस्तान, तालिबान के सुर हिजाब हारर हंगामे पर एक जैसे होते हैं। यह धार्मिक मामला नहीं है। संस्थाओं के अनुशासन एवं ड्रेस से संबंधित है। इस मामले पर बहुत पहले ही मद्रास हाई कोर्ट, केरल हाई कोर्ट, मुंबई हाई कोर्ट फैसला दे चुके हैं कि सभी को स्कूल-कालेज का अनुशासन एवं ड्रेस कोड मानना पड़ेगा।
सवाल- विपक्षी दलों पर भाजपा की ओर से हमेशा तुष्टीकरण का आरोप लगाया जाता है। क्या हाल के दिनों में कोई बदलाव दिखा, क्योंकि कई दल अब चुप्पी साधने लगे हैं।
जवाब- मोदी सरकार ने सियासी तुष्टीकरण के छल को समावेशी सशक्तीकरण के बल से परास्त किया है। जो लोग तुष्टीकरण की सियासत को अपनी विरासत समझते थे, वे बेचैन हैं। वे यह तो नहीं कह पा रहे हैं कि अल्पसंख्यकों के साथ कोई भेदभाव हुआ है, विकास में कोई सौतेला व्यवहार हुआ है, तो अब भय, भ्रम का भौकाल खड़ा कर समाज के बड़े वर्ग को प्रगति की धारा से काटने की साजिश में लगे रहते हैं। लेकिन खुशी है कि समाज के सभी वर्गो के साथ अल्पसंख्यकों का भी मोदीजी के प्रति यकीन पुख्ता हुआ है। हम मजबूत विपक्ष चाहते हैं, विरोधाभासों से भरा मजबूर विपक्ष नहीं। समस्या यह है कि बिना जमीन की जमींदारी, बिना जनाधार की जागीरदारी के जुगाड़ में भाजपा से लड़ते-लड़ते आपस में ही भिड़ रहे हैं। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, वह तो ऐसी 'बेनामी संपत्ति बन गई है, जिसका ना अंदर कोई मोल है, ना बाहर कोई भाव रह गया है।'