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Exclusive Interview: बंगाल चुनाव को लेकर गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा दावा, कहा- अब तो लोगों को हमारी जीत पर यकीन है

अमित शाह कहते हैं बंगाल में जनता दीदी से ऊब चुकी है जबकि कांग्रेस के लिए ना असम में कुछ बचा है और ना ही बंगाल में। बंगाल में ध्रुवीकरण के आरोप से लेकर असम में विकास की गाथा तक उन्होंने कई अहम बिंदुओं पर विस्तार से अपनी बात रखी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 08:26 PM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 09:37 AM (IST)
Exclusive Interview: बंगाल चुनाव को लेकर गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा दावा, कहा- अब तो लोगों को हमारी जीत पर यकीन है
गृहमंत्री अमित शाह का विशेष साक्षात्कार (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जेएनएन। भाजपा अध्यक्ष रहते हुए अमित शाह ने उत्तर में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में असम तक भाजपा का झंडा फहरा दिया था। अब जिस तरह से शाह ने बंगाल में जीत का बीड़ा उठाया है, उससे साफ है कि इस प्रदेश में भी भगवा फहराने का संकल्प उन्होंने ले लिया है। वह बंगाल में विधानसभा चुनाव में जीत का दावा कर रहे हैं। अमित शाह कहते हैं, 'बंगाल में जनता दीदी से ऊब चुकी है, जबकि कांग्रेस के लिए न असम में कुछ बचा है और ना ही बंगाल में।' 200 से अधिक सीटें जीतने के दावे पर वह कहते हैं, 2019 में हमने 18 लोकसभा सीटें जीती थीं। तब लोगों के मन में शंका थी। अब तो लोगों को हमारी जीत पर यकीन है। बंगाल में धार्मिक ध्रुवीकरण के आरोप से लेकर असम में विकास की गाथा तक उन्होंने कई अहम बिंदुओं पर विस्तार से अपनी बात रखी। प्रस्तुत हैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता नीलू रंजन की बातचीत के प्रमुख अंश:-

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 - बंगाल में आप 200 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। जमीनी स्तर पर भाजपा के पास संगठन के अभाव में यह कैसे संभव होगा?

लोकसभा चुनाव में हम 18 सीटें जीते और तीन सीटें हम 5000 से कम के अंतर से हारे। वह भी तब जब लोगों के मन में आशंका थी कि भाजपा जीत सकती है या नहीं। अब तो लोगों को भाजपा की जीत पर यकीन है। आज की तारीख में 85 फीसद बूथों पर हमारा संगठन बन चुका है।

 - देखा गया है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव की तुलना में कम वोट मिलते हैं। फिर जीत का दावा किस आधार पर कर रहे हैं?

मोदी जी ने बंगाल के विकास का जो विजन रखा है, मैं मानता हूं कि वहां की जनता इसको स्वीकार करेगी। लोकसभा चुनाव के बाद हमारी स्थिति मजबूत हुई है, कमजोर नहीं हुई है। आधी टीएमसी तो पार्टी छोड़कर चली गई है।

-टीएमसी आप पर चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण करने का आरोप लगा रही है?

जनता के मन में जो मुद्दे हैं यदि उन्हें उठाना धार्मिक ध्रुवीकरण है तो यह धार्मिक ध्रुवीकरण की नई परिभाषा सुन रहे हैं। हम कह रहे हैं कि दुर्गा पूजा बेरोकटोक होनी चाहिए। इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। आपने क्यों रोका? क्या वह ध्रुवीकरण नहीं था? हम कह रहे हैं कि सरस्वती पूजा होनी चाहिए। क्यों रोकी आपने? क्या वह ध्रुवीकरण नहीं था। कोई रमजान मनाये, हमें कहां आपत्ति है। कोई क्रिसमस भी मनाए, हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, दुर्गा पूजा और सरस्वती पूजा पर तो रोक नहीं लगा सकते।

 - बंगाल के घोषणापत्र में आपने सीएए लागू करने का वादा किया है, लेकिन असम में पार्टी का कोई स्पष्ट रुख नहीं है?

सीएए देश का कानून है।

 - ममता बनर्जी तो यहां तक कह रही हैं कि वह प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा तक नहीं देखना चाहती हैं।

यह तो दीदी पर निर्भर करता है, पर बंगाल की जनता मोदी जी को देखना चाहती है। इसीलिए उनकी सभाओं में लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है।

 -बंगाल में भाजपा और टीएमसी दोनों के घोषणापत्र में महिलाओं को विशेष जगह दी गई है। दोनों पार्टियां महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए लड़ रही हैं?

लड़ नहीं रहे हैं, महिला मतदाता हमारे साथ हैं। वह सबसे अधिक प्रताड़ित हैं। देश में महिलाओं पर सबसे अधिक अत्याचार जिन राज्यों में हुआ है, उनमें एक बंगाल भी है।

 - आपने बंगाल में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 30 फीसद आरक्षण देने का वादा किया है। क्या इसे आप अन्य राज्यों में भी दोहराएंगे?

दूसरे राज्यों में जब चुनाव आएगा तब देखेंगे। यह एक रणनीतिक फैसला इसलिए भी है, क्योंकि बंगाल में महिलाओं की उपेक्षा सौ फीसद की गई है। जो गैप बन गया है, उसे तो भरना ही पड़ेगा।

 - टीएमसी के कार्यकर्ताओं पर हिंसा करने के आरोप लगते रहे हैं। इससे कैसे निपटेंगे?

सरकारें जब बदलती हैं तो इसकी भनक सबसे पहले गुंडों और पुलिस को लगती है। जब सरकार बदलने लगती है तो कोई भी आनेवाली सरकार के खिलाफ हिंसा नहीं करता है। देखिएगा शांत तरीके से चुनाव होने वाला है।

 -भाजपा में टीएमसी से आए लोगों को बड़ी संख्या में टिकट देने के कारण भाजपा के पुराने कार्यकर्ता नाराज हैं और एक-दो जगहों पर उम्मीदवार भी बदलने पड़े हैं। चुनाव पर इसका क्या प्रभाव पडे़गा?

हो सकता है, पर मना लेंगे। हमारे घर का मामला है। हमारी अनुशासित कैडर आधारित पार्टी है। इसका जरा भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह चुनाव बंगाल की जनता का चुनाव है। हमारा कैडर हमारे साथ है और एकजुट होकर बंगाल में परिवर्तन के लिए हम काम करेंगे।

 -असम में कांग्रेस और एआइयूडीएफ के बीच गठबंधन है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में सीएए लागू नहीं करने का एलान किया है?

घुसपैठ असम की बड़ी समस्या रही है और यह साफ है कि बदरुद्दीन अजमल के साथ रहकर आप घुसपैठ रोक नहीं सकते। मैं मानता हूं कि असम में हमारी विजय का कारण ही कांग्रेस का गठबंधन है।

 - कांग्रेस आरोप लगा रही है कि पिछले पांच साल में असम का विकास नहीं हुआ और भाजपा सिर्फ वोटों के ध्रुवीकरण के आधार पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है?

पांच साल में 2000 से ज्यादा सशस्त्र उग्रवादी हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आए हैं। हम उनका पुनर्वास भी कर रहे हैं। एक समय असम में आंदोलन, कर्फ्यू, आतंकवाद, हत्याएं आए दिन होती थीं। आज पांच साल से असम में शांति है और प्रदेश विकास के रास्ते पर चल पड़ा है। पिछले 60 साल में असम में जो नहीं हुआ, मोदी जी के नेतृत्व में हमने वह कर दिखाया है। आतंकवाद मुक्त असम, घुसपैठिया मुक्त असम बना दिया है और अब हम असम को बाढ़ मुक्त भी बनाने जा रहे हैं। ब्रह्मपुत्र पर पांच पुल बनाए गए हैं, 20 हजार किलोमीटर सड़क बनाई गई हैं। बड़ी संख्या में अस्पताल खोले गए हैं, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजाइन को यहां लाया गया है।

 असम में भाजपा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?

ये पांच साल ऐसे रहे हैं जब असम में पांच-सात दिन से ज्यादा कफ्र्यू नहीं रहा। मैं मानता हूं कि यह भाजपा की बहुत बड़ी उपलब्धि है। असम के गौरव के लिए भूपेन हजारिका जी को भारत रत्न देने का काम भी भाजपा की सरकार ने किया है। हमने काजीरंगा के जंगलों और शंकरदेव के जन्मस्थान व कर्मस्थान को घुसपैठियों के कब्जे से मुक्त कराने का काम किया है। ये सभी बातें असम की जनता को मालूम हैं।

 -क्या आपको नहीं लगता कि कांग्रेस के साथ गठबंधन से अजमल बदरुद्दीन को असम की मुख्यधारा की राजनीति में स्थापित होने में मदद मिलेगी?

मुझे तो कांग्रेस पार्टी की बातें ही समझ में नहीं आती हैं। असम में बदरुद्दीन अजमल के साथ, बंगाल में फुरफुराशरीफ के पीरजादा के साथ और केरल में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया है। यह किस प्रकार की सेक्युलर पार्टी है, मेरी समझ में नहीं आता।

 -प्रियंका गांधी और राहुल गांधी बंगाल एक बार भी नहीं गए, लेकिन दोनों असम का बार-बार दौरा कर रहे हैं और चायबागान भी जा रहे हैं?

उनके लिए ना बंगाल में कुछ बचा है और ना ही असम में। आप परिणाम आए तो देख लेना बंगाल में भी 200 से ज्यादा सीटों के साथ भाजपा की सरकार बनेगी। असम में भी पूर्ण बहुमत के साथ हमारी सरकार बनेगी और हम पिछली बार से अधिक सीटें जीतकर आएंगे। कांग्रेस के शासन में चाय बागान के मजदूरों जो पैसा मिलता था, उसको ढाई गुना बढ़ाने का काम हमने पिछले पांच साल में किया है। चाय बागान में गर्भवती महिलाओं को 12500 रुपये देने का काम किया है। पहले उनकी मजबूरी से कट मनी ली जाती थी। भाजपा की सरकार ने साढ़े सात लाख बैंक खाते खोलकर पैसा सीधे मजदूरों के खाते में पहुंचाने का काम किया है। इस बार के बजट में मोदी जी ने चाय बागान मजदूरों के स्वास्थ्य, स्कूल और आवास के लिए 1000 करोड़ रुपये रखे हैं। चाय बागान के श्रमिक जानते हैं कि उनके लिए कौन सी पार्टी काम कर रही है। पर्यटन और फोटो सेशन के लिए आना अलग बात है, लेकिन चाय बागान के श्रमिकों का दर्द जानकर उसका निवारण करने का काम भाजपा सरकार ने किया है।

 - कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि वह सीएए लागू नहीं करेगी?

कांग्रेस यह तो कह रही है कि सीएए लागू नहीं करेगी, लेकिन कांग्रेस यह क्यों नहीं कह रही है कि हम एनआरसी नहीं लाएंगे। राहुल गांधी को असम की जनता को बताना चाहिए कि एनआरसी पर उनकी नीति क्या है।

 -तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव हैं। वहां भाजपा की स्थिति कैसी रहेगी?

तीनों राज्यों में हम भाजपा की स्थिति बेहतर करेंगे और तमिलनाडु में तो भाजपा की सरकार बनेगी।


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