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'हर व्यक्ति को घर' योजना से होगा 20 लाख करोड़ का कारोबार

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में भारतीय रियल एस्टेट कंपनियों के सबसे बड़े संगठन क्रेडाई का सालाना सम्मेलन नाटकॉन-2018 का आयोजन किया गया है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 09:01 PM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 09:01 PM (IST)
'हर व्यक्ति को घर' योजना से होगा 20 लाख करोड़ का कारोबार
'हर व्यक्ति को घर' योजना से होगा 20 लाख करोड़ का कारोबार

जयप्रकाश रंजन, बर्लिन। हाउसिंग फॉर आल यानी वर्ष 2022 तक देश के हर व्यक्ति को मकान देने की केंद्र सरकार की योजना को लेकर रियल एस्टेट सेक्टर खासा उत्साहित है। रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों का मानना है कि 500 वर्ग फीट आकार के चार करोड़ मकान बनाने से देश में कम से कम 20 लाख करोड़ रुपये का कारोबारी अवसर पैदा होने जा रहा है। यह योजना दूसरे कई उद्योगों में रौनक लगाने के साथ ही बड़े पैमाने पर रोजगार भी मुहैया कराएगी।

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जर्मनी की राजधानी बर्लिन में भारतीय रियल एस्टेट कंपनियों के सबसे बड़े संगठन क्रेडाई का सालाना सम्मेलन नाटकॉन-2018 का आयोजन किया गया है। सम्मेलन के पहले दिन इन कंपनियों की तरफ से साफ तौर पर यह कहा गया कि आने वाले दिनों में उनका फोकस महंगे रिहायशी मकान बनाने वाली परियोजनाओं के साथ ही सस्ते मकान बनाने की तरफ होगा क्योंकि उनकी मांग सबसे ज्यादा होगी।

क्रेडाई के चेयरमैन गीतांबर आनंद का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार की योजना के मुताबिक वर्ष 2022 तक चार करोड़ नए सस्ते मकान बनाने की जरूरत है। इनमें से अधिकांश मकान ग्रामीण, अर्धशहरी या छोटे शहरों में बनाए जाएंगे। यह सीधे तौर पर रियल एस्टेट सेक्टर को 20 लाख करोड़ रुपये का कारोबार देगा। इसके लिए 150 अरब डॉलर (10.2 लाख करोड़ रुपये) के होम लोन की जरूरत होगी।

जाहिर है कि यह देश के बैंकिंग उद्योग के लिए बहुत बड़ा अवसर होगा। यही नहीं इन आवासों के लिए 20 करोड़ दरवाजों, 24 करोड़ खिड़कियों, 12 करोड़ कपबोर्ड, 28 करोड़ बल्ब आदि की भी जरूरत होगी। साथ ही पेंट, बाथरूम फिटिंग्स, फर्नीचर, लाइटिंग, टेक्सटाइल जैसे दर्जनों उद्योगों में भी भारी मांग लाएगा।

पहली छमाही में आवासों की मांग 25 फीसद बढ़ी
क्रेडाई के प्रेसिडेंट जक्षय शाह का कहना है कि मोदी सरकार की सभी को घर देने की योजना तब रफ्तार पकड़ रही है जब रियल एस्टेट सेक्टर हर तरह से मंदी से निकलने को तैयार है। शुक्रवार को क्रेडाई की तरफ से जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए शाह बताते हैं कि वर्ष 2018 के पहले छह महीनों में देश में आवासीय इकाइयों की बिक्री में 25 फीसद का इजाफा हुआ है। क्रेडाई ने यह रिपोर्ट रियल एस्टेट सेक्टर पर रिसर्च और सुझाव देने वाली दो कंपनियों जेएलएल इंडिया और कुशमैन एंड वेकफील्ड के साथ मिलकर जारी की है। इसमें कहा गया है कि जनवरी-जून में मुंबई में आवासीय इकाइयों की बिक्री में 11 फीसद, दिल्ली में 26 फीसद, बेंगलुरु में दो फीसद, चेन्नई में 57 फीसद, हैदराबाद में 182 फीसद, कोलकाता में 280 फीसद और पुणे में दो फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

आसपास के अनधिकृत निर्माण की सूचना देंगी रियल एस्टेट कंपनियां
हाल के दिनों में नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद समेत देश के दूसरे हिस्सों में निजी क्षेत्र के बिल्डरों के मकान गिरने की खबरों से सबक लेते हुए रियल एस्टेट कंपनियों ने फैसला किया है कि वह अपनी परियोजनाओं के आसपास होने वाली अनाधिकृत निर्माण की सूचना खुद ही अधिकारियों को देंगी। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि छोटे व असंगठित क्षेत्र के बिल्डरों की तरफ से होने वाले घटिया काम से उनकी साख पर कोई असर नहीं पड़े। आज इस बारे में रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई के चेयरमैन गीतांबर आनंद ने बताया कि आम जनता को यह बताने की जिम्मेदारी हमारी है कि संगठित क्षेत्र की बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां और छोटे छोटे बिल्डर में अंतर होता है।

हमने देश के 200 से ज्यादा शहरों में फैले अपने सभी सदस्यों को कहा है कि वे अपनी परियोजनाओं के आसपास पर नजर रखें और अगर उन्हें किसी गैर अनधिकृत परियोजनाओं या उनकी खामियों के बारे में पता चलता है तो उसकी जानकारी मीडिया, सरकार या स्थानीय प्रशासन को दे ताकि उन पर समय रहते लगाम लगाई जा सके। वह बताते हैं कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन के स्तर पर काफी चुस्ती बरतने की जरूरत है।


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