पर्यावरण मंत्री का बड़ा ऐलान, अगले दस सालों में पचास लाख हेक्टेयर बंजर भूमि बनेगी उपजाऊ
मरुस्थीलकरण को लेकर 2 से 13 सितंबर के बीच होने वाले सम्मेलन में शामिल होंगे 196 देशों के प्रतिनिधि
जागरण ब्यूरो,नई दिल्ली। बढ़ते मरुस्थलीकरण को लेकर दिल्ली में दो सितंबर से होने वाले जमावड़े से पहले भारत ने बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि अगले दस सालों में पचास लाख हेक्टेयर बेकार या बंजर पड़ी भूमि को उपजाऊ बनाया जाएगा। साथ ही मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में एक उत्कृष्ट सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। जो इससे जुड़े सभी उपायों को लेकर काम करेगा। साथ ही विशेषज्ञ और तकनीकी मदद भी देगा।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में मरुस्थीलकरण को लेकर 02 से 13 सितंबर तक होने वाले सम्मेलन की जानकारी दी। कॉप-14 के नाम से आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में दुनिया के करीब 196 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनमें करीब 100 देशों के मंत्री भी शामिल होंगे। फिलहाल यह सभी नौ और दस सितंबर को मंत्रियों के सम्मेलन सत्र में हिस्सा लेंगे। इस सत्र को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संबोधित करेंगे। इस दौरान नौ सितंबर को एक घोषणा पत्र भी जारी होगा, जिसे दिल्ली घोषणा-पत्र के नाम से जाना जाएगा। यह सम्मेलन ग्रेटर नोयडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित किया गया है।
बढ़ते मरुस्थलीकरण को लेकर दुनिया की यह चिंता 1992 में ब्राजील के रियो में जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित सम्मेलन में सामने आयी। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे निपटने के लिए एक संगठन का गठन किया, जिसका भारत शुरू से ही सदस्य है। इस बार इस कार्यक्रम की मेजबानी भारत के पास है, जबकि इससे पहले इस सम्मेलन की मेजबानी चीन ने की थी।
जमीन के उपजाऊ होने से पैदा होगी 75 लाख नई नौकरियां
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने एक सवाल के जवाब में बताया कि 50 लाख हेक्टेयर बेकार और बंजर भूमि के उपजाऊ बनने से देश में करीब 75 लाख नई नौकरियां भी पैदा होगी। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक एक हेक्टेयर बंजर जमीन के उपजाऊ बनाने से डेढ़ नई नौकरियां पैदा होती है। यही वजह है कि पूरी दुनिया इस मरुस्थलीकरण की इस चुनौती से निपटने के लिए पूरी ताकत से जुटी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में पूरी दुनिया में मौजूदा भूमि का करीब एक तिहाई हिस्सा मरुस्थलीकरण से प्रभावित है। भारत में इससे करीब 960 लाख हेक्टेयर भूमि इससे प्रभावित है। एक अन्य सवाल के जवाब में जावडेकर ने बताया कि भूमि के बंजर या बेकार होने के कई कारण है। इनमें जलवायु परिवर्तन सहित ज्यादा खाद के इस्तेमाल व बाढ़ जैसी कई वजहें है।