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Money laundering case: डीके शिवकुमार और उनकी बेटी को पूछताछ के लिए लाया गया ED कार्यालय

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेती डीके शिवकुमार और उनकी बेटी एश्वर्या को पूछताछ के लिए आज ईडी ऑफिस लाया गया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 08:32 AM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 11:31 AM (IST)
Money laundering case: डीके शिवकुमार और उनकी बेटी को पूछताछ के लिए लाया गया ED कार्यालय
Money laundering case: डीके शिवकुमार और उनकी बेटी को पूछताछ के लिए लाया गया ED कार्यालय

नई दिल्ली,एजेंसी। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री डी के शिवकुमार की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। आज (गुरूवार) परिवर्तन निदेशालय उन्हें पूछताछ के लिए अपने कार्यालय लाया है। ईडी इस मामले में उनकी बेटी एश्वर्या से भी पूछताछ करेगी। फिलहाल, दोनों इडी कार्यालय पहुंच गए हैं। दरअसल, ईडी को जांच के दौरान उनकी बेटी जिस ट्रस्ट को संभालती है उससे संबंधित दस्तावेज मिले हैं। 

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ईडी के अधिकारी के मुताबिक ट्रस्ट के कामकाज और उसके वित्तीय लेन-देन का ब्योरा हासिल करने के लिए हमने एश्वर्या से पूछताछ करेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि मामले में दो दिन तक शिवकुमार से पूछताछ के बाद तीन सितंबर को उन्हें गिरफ्तार किया था। इसके बाद दिल्ली की एक अदालत ने शिवकुमार को ईडी की हिरासत में भेज दिया था। गौरतलब है कि शिवकुमार 2016 में विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के बाद से आयकर विभाग और ईडी की रडार पर हैं।

क्या है पूरा मामला 
जांच एजेंसी ने पिछले साल सितंबर में शिवकुमार तथा नई दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन के एक कर्मी हनुमंथैया के खिलाफ धन शोधन का एक मामला दर्ज किया था। यह मामला आयकर विभाग द्वारा शिवकुमार के खिलाफ पिछले साल दाखिल एक आरोपपत्र के आधार पर दर्ज किया गया। बेंगलुरु की विशेष अदालत में दाखिल इस आरोपपत्र में शिवकुमार पर कर चोरी तथा हवाला के जरिये करोड़ों रुपये के लेनदेन का आरोप लगाया गया है।

बता दें कि 2 अगस्त, 2017 को कांग्रेस नेता शिवकुमार के दिल्ली स्थित आवास पर आयकर विभाग ने छापा मारा था, इस दौरान उनके यहां से 8.59 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई थी। इसके बाद, आयकर विभाग ने कांग्रेस नेता और उनके चार अन्य सहयोगियों पर मामले दर्ज किया था। एजेंसी ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 277 और 278 के तहत और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 (बी), 193 और 199 के तहत मामला दर्ज किया था।


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