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चुनाव आयोग के नए प्रस्ताव पर भड़की कांग्रेस, कहा- इससे होगी लोकतंत्र की हत्‍या

कांग्रेस के महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि यह निश्चित रूप से चुनाव आयोग का कामकाज नहीं है। ध्यान रहे कि चुनाव आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों को अपने सभी चुनावी वादों की वित्तीय संभावना को मतदाताओं के बारे में बताने को कहा है।

By AgencyEdited By: Arun kumar SinghPublished: Thu, 06 Oct 2022 11:54 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 11:54 PM (IST)
कांग्रेस के महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने कहा

 नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग के हाल के आचार संहिता में बदलाव लाने का प्रस्ताव राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की भावना के खिलाफ है। साथ ही, यह लोकतंत्र के ताबूत में एक और कील का काम करेगी। कांग्रेस के महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि यह निश्चित रूप से चुनाव आयोग का कामकाज नहीं है। ध्यान रहे कि चुनाव आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों को अपने सभी चुनावी वादों की वित्तीय संभावना को मतदाताओं के बारे में बताने को कहा है।

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19 अक्टूबर तक सभी दलों से उनके विचार मांगे

आयोग ने यह चेतावनी भी दी है कि अपर्याप्त जानकारी देने के बहुत खराब नतीजे हो सकते हैं। चुनाव आयोग ने 19 अक्टूबर तक सभी दलों से उनके विचार मांगे हैं। इस मुद्दे पर एक पूर्व चुनाव आयुक्त ने अपनी पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के रेवड़ि‍यों बनाम कल्याणकारी योजनाओं की याचिका पर फैसले के बाद लिया जाना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में कहा था कि इस याचिका को तीन जजों की खंडपीठ के समक्ष सुना जाएगा। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में गहन सुनवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग को इस मामले में दखल देना चाहिए था।

जनता को बताएं कैसे पूरे करेंगे चुनावों के दौरान किए गए वादे

चुनावी रेवड़ि‍यों पर बहस के बीच निर्वाचन आयोग ने पिछले दिनों कहा था कि राजनीतिक दल जनता को बताएं कि चुनावों के दौरान किए गए वादे कैसे पूरे करेंगे? आयोग ने इसके लिए आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। इससे राजनीतिक दलों को चुनावी वादों की वित्तीय व्यावहारिकता पर मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने के लिए कहा जा सकेगा। निर्वाचन आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को लिखे पत्र में 19 अक्टूबर तक प्रस्ताव पर विचार प्रस्तुत करने के लिए कहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि खोखले वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे। हम चुनावी वादों पर पूर्ण जानकारी नहीं देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकते हैं।

पत्र के अनुसार, देश में अक्सर चुनाव होते रहते हैं। इससे राजनीतिक दलों के पास यह अवसर होता है कि वे एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धा में बढ़-चढ़कर चुनावी वादे कर सकें। कई चरणों में होने वाले चुनावों में ऐसा बहुत होता है। 

रिजिजू बोले, बड़े चुनाव सुधारों के लिए कदम उठाएगी सरकार

उधर, कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि केंद्र सरकार बदलते समय और स्थिति के अनुसार आवश्यक चुनाव सुधारों के लिए कदम उठाएगी। चुनाव सुधारों के संबंध में कानून मंत्रालय ने गुरुवार को ट्वीट किया। इसमें रिजिजू के हवाले से कहा गया, बदलते समय के अनुसार चुनाव सुधारों के लिए केंद्र सरकार उचित परामर्श के बाद कदम उठाएगी। चुनाव आयोग ने हाल में ही कहा था कि मतदाताओं को चुनावी वादों के वित्तीय प्रभावों की सही जानकारी देना राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्य कर दिया जाए। इसके लिए आयोग ने आदर्श आचार संहिता में संशोधन का सुझाव दिया है।


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