मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग और कमलनाथ पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने पूरे मसले पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की मतदाता सूची मे गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और चुनाव आयोग ने सोमवार को एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से कार्रवाई की मांग की। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों और दस फीसद वीवीपैट मतों का ईवीएम से मिलान कराए जाने की कमलनाथ की मांग पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह कांग्रेस की ओर से आयोग को दिये गए ज्ञापन के दस्तावेज जांच कर बताए कि जो दस्तावेज कोर्ट में दिये गए हैं क्या वही दस्तावेज कमलनाथ की ओर से आयोग को भी दिये गए थे। कोर्ट ने ये आदेश आयोग की ओर से कमलनाथ पर फर्जी दस्तावेज दाखिल कर कोर्ट से अपने पक्ष में आदेश लेने की कोशिश करने के लगाए गए आरोपों को देखते हुए दिये थे। हालांकि उसी दिन कमलनाथ की ओर से कपिल सिब्बल ने आरोपों का जोरदार विरोध किया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान दोनों अपनी अपनी बात पर डटे रहे। चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील विकास सिंह ने कहा कि कमलनाथ को सितंबर में याचिका दाखिल करने से पहले मालूम था कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की गड़बडि़यों को ठीक कर दिया है।
आयोग ने उन्हें गत 8 जून को पत्र भी भेजा था। इसके अलावा आयोग ने गत जुलाई में ड्राफ्ट मतदाता सूची भी जारी कर दी थी इसके बावजूद कमलनाथ ने पुराने दस्तावेजों को आधार बनाकर मतदाता सूची में गड़बडि़यों का आरोप लगाते हुए यह याचिका दाखिल की क्योंकि ये अपने हक मे कोर्ट से आदेश लेना चाहते हैं।
इस मामले को कोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए। सिंह ने कहा कि कमलनाथ ने आयोग से टेक्स्ट फार्मेट में मतदाता सूची उपलब्ध कराने की मांग की है। जो कि लोगों के निजता के अधिकार को देखते हुए नहीं दी जा सकती है।
दूसरी तरफ कपिल सिब्बल ने आरोपों का विरोध करते हुए चुनाव आयोग की ओर से जारी मतदाता सूची की खामियां कोर्ट को दिखाईं। उन्होंने कहा कि गत 8 जून के पत्र में आयोग कह रहा है कि कांग्रेस द्वारा बताए गए 36 फर्जी मतदाताओं में से सिर्फ 7 गलत हैं बाकी सब सही हैं जबकि सूची से मिलाया जाए तो एक को छोड़कर बाकी डिलीट किये गए हैं।
उन्होने कहा कि 60 लाख फर्जी मतदाता थे जिसमें से 24 लाख आयोग ने डिलीट किये हैं। उन्होंने मतदाता सूची मे खामियों के और भी उदाहरण कोर्ट मे देते हुए कहा कि कोर्ट इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे क्योंकि मतदाता सूची अपडेट करना आयोग का काम है और कौन ऐसे अधिकारी हैं जिन्होंने अपना यह काम ठीक से नहीं किया।
कांग्रेस ने वीवीपैट के दस फीसद मतों को ईवीएम से मिलान कराने की मांग पर भी सुनवाई मांगी, लेकिन आयोग ने कोर्ट के पूर्व आदेश का हवाला देकर इसका भी विरोध किया।
पीठ ने पूरे मसले पर बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। एक याचिका सचिन पायलेट की भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसमें राजस्थान की मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है।