शिवसेना के एक और नेता ने राहुल को सावरकर मामले में दी नसीहत
महाराष्ट्र के गृह मंत्री एकनाथ खडसे ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी को हिंदू विचारक विनायक दामोदर सावरकर का सम्मान करना चाहिए।
मुंबई, एजेंसियां। शिवसेना सांसद संजय राउत के बाद पार्टी के एक और नेता ने सावरकर मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को नसीहत दी है। महाराष्ट्र के गृह मंत्री एकनाथ खडसे ने रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी को हिंदू विचारक विनायक दामोदर सावरकर का सम्मान करना चाहिए। राहुल के बयान-मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए खडसे ने कहा कि सावरकर ने देश के लिए जो बलिदान दिया, उसके बारे में हर कोई जानता है।
इस बीच, भाजपा ने भी कांग्रेस नेता पर इस मामले में हमला जारी रखा है। पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि वीर सावरकर का अपमान करने के लिए राहुल गांधी को देश कभी माफ नहीं करेगा। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल और सावरकर में कोई तुलना नहीं है, जिनका उपनाम तक उधार का है।
शाहनवाज ने कहा कि शिवसेना को सत्ता और स्वतंत्रता सेनानी में किसी एक को चुन लेना चाहिए। सावरकर के अपमान पर सिर्फ एक ट्वीट कर देने से काम नहीं चलेगा। उद्धव ठाकरे को तय करना होगा कि क्या वे कांग्रेस के साथ सत्ता में साझीदार होंगे, जिसने राष्ट्रीय प्रतीक और स्वतंत्रता सेनानी का अनादर किया है?
बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी और उनके परिवार के सदस्यों को फर्जी गांधी करार दिया। उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने कहा है कि वे राहुल सावरकर नहीं हैं। राहुल सावरकर होना उनके लिए असंभव है। राहुल चाहे कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन विनायक दामोदर सावरकर जैसे देशभक्त के खिलाफ बोलना कांग्रेस की कुंठा को दिखाता है।'
गौरतलब है कि राहुल गांधी के इस बयान के बाद से ही महाराष्ट्र ही नहीं देश की राजनीति में उबाल आ गया। शिव सेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने भी कांग्रेस को आगाह कि भविष्य में वह इस तरह के बयानों से बचे। इसके बाद भाजपा नेता व महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की और उन्होंने शिव सेना से भी जवाब मांगा।
वहीं महाराष्ट्र के सीएम ने नागपुर में सभा के दौरान कहा कि हमारी सरकार (शिव सेना-कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन) न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत काम करती है, न कि किसी खास विचारधारा पर। सावरकर पर हमारी सोच अब भी पहले जैसी ही है। नागरिकता संशोधन कानून पर उन्होंने कहा कि देखते हैं कि अदालत क्या फैसला करती है, इसके बाद हम अपना पक्ष रखेंगे।