E Cigarette के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश जारी
केंद्र सरकार ने गुरुवार को ने ई-सिगरेट (E Cigarette) के उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगाने के लिए अध्यादेश जारी किया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने गुरुवार को ने ई-सिगरेट (E Cigarette) के उत्पादन, बिक्री प्रचार पर पूरी तरह से बैन लगाने के लिए अध्यादेश जारी किया। इससे पहले बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी, जिसमें ई-सिगरेट पर पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया था। इस अध्यादेश पर अब राष्ट्रपति से मंजूरी ली जाएगी। इसके बाद इसे संसद के अगले सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
इस अध्यादेश में पहली बार नियमों के उल्लंघन पर एक साल तक की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माने का प्रस्ताव किया गया है। इसके बाद इस नियम को तोड़ने पर 5 लाख रुपये जुर्माना और 3 साल तक जेल या दोनों की सिफारिश की गई है। इसके अलावा ई-सिगरेट के भंडारण पर अब छह महीने की कैद या 50,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
युवाओं की जिंदगी पर जोखिम
इससे पहले, ई-सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 की जांच प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देशों के बाद मंत्रियों के एक समूह (GoM) ने की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया। कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इससे लोगों, विशेष रूप से युवाओं की जिंदगी पर जोखिम पैदा हो रहा है।150 से ज्यादा फ्लेवर्स में ई-सिगरेट मिलती है, ऐसे कहा जाता है कि इसके माध्यम से सिगरेट छोड़ने में आसानी होती है, जबकि अध्ययन से खुलासा हुआ है कि इससे सिगरेट की आदत को बढ़ावा मिलता है।
उन्होंने अमेरिका में की गई रिसर्च का हवाला देते कहा कि ई सिगरेट में लिक्विड निकोटिन होती है जो गर्म करने पर एरोसोल में बदल जाती है, लेकिन विकसित देशों में खासकर युवाओं और बच्चों में ये नई महामारी में बदलती दिख रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार ई- सिगरेट से आम सिगरेट जैसा ही नुकसान होता है।
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