Ayodhya Case: सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास 35 दिन, नवंबर तक आ सकता है फैसला
Chief Justice Ranjan Gogoi नवंबर में ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मामले में फैसला नवंबर से पहले आ जाएगा।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला नवंबर तक आने की उम्मीद जगी है। कोर्ट ने आदेश में साफ कर दिया कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ छह अगस्त से मामले में रोजाना सुनवाई करेगी और सभी पक्षों की बहस पूरी होने तक सुनवाई जारी रहेगी। सुनवाई कर रही पीठ के अध्यक्ष प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि मामले में फैसला 17 नवंबर से पहले आ जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में सामान्य तौर पर जब किसी मामले की नियमित सुनवाई शुरू होती है तो फिर जो पीठ सुनवाई कर रही होती है वही पीठ सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाती है। बीच में सुनवाई पीठ को बदला नहीं जाता। लेकिन अगर पीठ का कोई न्यायाधीश बीच में सेवानिवृत्त हो जाता है या किसी कारणवश उपलब्ध नहीं होता तो पीठ का दोबारा गठन किया जाता है और सुनवाई पीठ में शामिल होने वाला नया न्यायाधीश नए सिरे से पूरे मामले की सुनवाई की मांग कर सकता है।
हालांकि यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि पीठ में शामिल होने वाला न्यायाधीश नए सिरे से सुनवाई की मांग करता है या फिर उसे तब तक हुई सुनवाई के बारे में जरूरत भर का बता दिया जाए और वह आगे सुनवाई करे। लगता नहीं है कि जिस मुकदमे पर देशभर की निगाहें लगी है उसमें इस तरह की कोई पेंचीदगी आएगी।
सुनवाई के लिए 35 दिन के 175 घंटे हैं सुप्रीम कोर्ट के पास
माना जा रहा है कि कोर्ट अगर रोजाना सुनवाई करेगा तो नियमित मुकदमों पर मंगलवार, बुधवार और गुरुवार यानी सप्ताह में तीन दिन सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में दशहरा और दिवाली की छुट्टियों के साथ शनिवार और रविवार की छुट्टियों को भी मिला लिया जाए तो प्रधान न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने तक करीब 35 दिन का समय सुनवाई के लिए बचता है।
सुप्रीम कोर्ट में एक दिन में पांच घंटे सुनवाई होती है यानी 35 दिन में कुल 175 घंटे सुनवाई के लिए हैं। ज्यादातर लोगों का मानना है कि एक मुकदमे की सुनवाई पूरी करने के लिए यह पर्याप्त समय है। हालांकि राम जन्मभूमि का मुकदमा थोड़ा अलग है और सुप्रीम कोर्ट में फर्स्ट अपील पर सुनवाई होनी है। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कोर्ट से कहा कि उन्हें अकेले बहस करने के लिए 20 दिन का समय चाहिए। धवन का दावा नवंबर तक फैसला आने में आशंका की ओर इशारा करता है।
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