Donald Trump India Visit 2020: ट्रेड डील नहीं, इस बड़े मुद्दे पर काम कर रही मोदी सरकार
25 फरवरी 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हैदराबाद हाउस में होने वाली आधिकारिक बातचीत में एफटीए बहुत ही अहम मुद्दा रहेगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। इस बात को लेकर उहापोह की स्थिति समाप्त हो गई है कि राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा के दौरान अगले हफ्ते भारत व अमेरिका के बीत कोई ट्रेड एग्रीमेंट होगा या नहीं। इस यात्रा के दौरान कोई कारोबारी समझौता नहीं होगा लेकिन यह इसके पीछे वजह यह है कि भारत व अमेरिका के बीच एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर बातचीत हो रही है। 25 फरवरी, 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हैदराबाद हाउस में होने वाली आधिकारिक बातचीत में यह बहुत ही अहम मुद्दा रहेगा। दोनो देशों के प्रतिनिधियों के बीच इस बारे में पिछले कई महीनों से बात हो रही है। वैसे एफटीए वार्ता पर समझौता होने की संभावना संभवत: अक्टूबर, 2020 में होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद गठित होने वाली नई सरकार के कार्यकाल में ही संभव दिख रही है।
दोनो देशों के बीच फिलहाल कोई ट्रेड समझौता नहीं होगा
भारत यात्रा की तैयारियों में जुटे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि दोनो देशों के बीच फिलहाल कोई ट्रेड समझौता नहीं होने जा रहा है। इस बारे में पूछने पर सरकारी सूत्रों ने बताया कि, ''दोनो देश एक व्यापक एफटीए पर बात कर रहे हैं जिसमें सभी पक्षों के हितों की समान तौर पर रक्षा हो सके। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिका के ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) रोबर्ट लाइथाइजर के बीच कई दौर की बातचीत हुई है। दोनो पक्षों के बीच यह सहमति है कि कोई छोटी मोटी ट्रेड समझौते की जगह बड़े समझौते को तरजीह दी जानी चाहिए। इतना तय है कि जो भी होगा वह एकतरफा नहीं होगा, उदाहरण के तौर पर अगर अमेरिकी कंपनियों को भारत में पांच अरब डॉलर का बाजार मिलेगा तो अमेरिकी बाजार में भी भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा ही माहौल होना चाहिए। समझौते में दोनो देशों के लंबी अवधि के हितों का ख्याल रखा जाएगा।''
मोदी-ट्रंप के संयुक्त बयान में एफटीए को लेकर स्पष्टता आएगी
यह पहला मौका है जब दोनो देशों के बीच गंभीरता से एफटीए को लेकर बात हो रही है। अभी तक एक दूसरे को प्रमुख वरीयता वाले कारोबारी राष्ट्र यानी एमएफएन का दर्जा देने पर बात हो रही थी। यह भी बताते चलें कि मोदी सरकार एफटीए को लेकर काफी फूंक फूंक कर कदम उठा रही है। हाल ही में भारी दबाव के बावजूद आसियान देशों व चीन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व चीन के साथ होने वाले व्यापार समझौते आरसेप (रिजीनल कंप्रीहेंसिव इकोनोमिक पार्टनरशिप) से अलग हुआ है। अपने सबसे बडे़े आर्थिक साझेदार यूरोपीय संघ के दबाव के बावजूद उसके साथ एफटीए पर बातचीत शुरु नहीं की है। ऐसे में अमेरिका व भारत के साथ होने वाले एफटीए की अहमियत बढ़ जाती है। वैसे सरकारी सूत्रों ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि अंतिम समझौता कब होगा। ट्रंप का कार्यकाल अक्टूबर, 2020 तक ही हैं। भारत चुनाव तक इंतजार करना चाहेगा ताकि नई सरकार के साथ समझौते को अंतिम रुप दिया जाए दूसरी तरफ ट्रंप प्रशासन की कोशिश होगी कि चुनाव से पहले चीन के साथ ही भारत के साथ भी कारोबारी समझौता हो। सूत्रों ने बताया कि मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बातचीत के बाद जारी होने वाले संयुक्त बयान में एफटीए को लेकर स्पष्टता आएगी।
द्विपक्षीय कारोबार को हासिल करने की राह भी निकालेगा
माना जा रहा है कि आगामी समझौता भारत व अमेरिका के बीच 500 अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार को हासिल करने की राह भी निकालेगा। वर्ष 2014 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और पीएम नरेंद्र मोदी की पहली मुलाकात में इसका लक्ष्य रखा गया था लेकिन उसके बाद इस दिशा में गंभीर कोशिश नहीं की गई। सनद रहे कि राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार को यह बयान दिया है कि भारत अमेरिका के साथ कारोबारी क्षेत्र में अच्छा व्यवहार नहीं करता। उनका मकसद भारत की तरफ से अमेरिकी उत्पादों पर लगाये जाने वाले शुल्कों को लेकर है। इस बारे में सरकारी सूत्रों का कहना है कि जिन दिक्कतों की बात राष्ट्रपति ट्रंप ने कही है उसको लेकर विमर्श जारी है लेकिन इसके बावजूद दोनो देशों का द्विपक्षीय कारोबार 10 फीसद की रफ्तार से बढ़ रहा है।
भारत की तीन प्रमुख मांग
1. जीएसपी के तहत मिलने वाली रियायत फिर से बहाल की जाए
2. भारतीय कृषि व तकनीकी उत्पादों का ज्यादा आयात करे अमेरिका
3. भारतीय पेशवरों व कामगारों के लिए अड़चन बनाने का रवैया दूर हो
अमेरिका की तीन प्रमुख मांग
1. उसके कृषि उत्पादों व एल्कोहल उत्पादों पर शुल्क घटाई जाए
2. आटो कंपनियों के लिए भारतीय बाजार के दरवाजे और खोले जाए
3. ई-कामर्स कंपनियों के लिए बने नये नियमों को उदार बनाया जाए