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डोकलाम मुद्दे को सुलझाने में सरकार ने दिखाई थी समझदारी, इस रिपोर्ट से हुआ खुलासा

डोकलाम सुलझाने में सरकार ने दिखाई थी समझदारी विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति की रिपोर्ट में सरकार की तारीफ।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 08:27 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 08:27 PM (IST)
डोकलाम मुद्दे को सुलझाने में सरकार ने दिखाई थी समझदारी, इस रिपोर्ट से हुआ खुलासा
डोकलाम मुद्दे को सुलझाने में सरकार ने दिखाई थी समझदारी, इस रिपोर्ट से हुआ खुलासा

नई दिल्ली, जेएनएन।कांग्रेस के सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों पर संसदीय समिति ने चीन से निपटने को लेकर राजग सरकार की अभी तक की नीतियों को अपना समर्थन दिया है। संसद में आज पेश इस रिपोर्ट में मोटे तौर पर चीन के साथ रिश्तों को सुधारने को लेकर दोनो देशों के बीच हो रही बातचीत का समर्थन किया है और सरकार से कहा है कि चीन के साथ रिश्ते में सहयोग व समन्वयन वाले हिस्से और प्रतिस्पद्र्धा वाले हिस्से को अलग अलग करके देखे। दोनो देशों के बीच आने वाले दिनों में प्रतिस्पद्र्धा बढ़ने के हालात होने और चीन की तरफ से आने वाली नई चुनौतियों की संभावना को देखते हुए सरकार को सतर्क रहने को भी कहा है।

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समिति ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) की नीति पर सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों का भी समर्थन किया है। इसमें कहा गया है कि, चीन की बीआरआई (पुराना नाम - वन बेल्ट-वन रोड) परियोजना चीन की भू-राजनीतिक, वित्तीय व वाणिज्यिक हितों के विस्तार देने के लिए लागू की जा रही है और भारत इसका विरोध सही मकसद से कर रहा है।

खास तौर पर पाकिस्तान को ढ़ांचागत विकास से जोड़ने वाली चीन की सीपीईसी परियोजना दोहरे मानदंडों वाली है। चीन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को विवादित मानता है लेकिन वह इस परियोजना को वहीं पर लागू कर रहा है। भारत को इस मुद्दे को हर अंतरराष्ट्रीय फोरम में ले जाना चाहिए ताकि पूरी विश्व बिरादरी को हमारा पक्ष मालूम हो। इससे चीन पर दबाव बढ़ेगा।

समिति ने चीन का वैश्विक स्तर पर सामना करने के लिए जिस तरह से दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में सहयोग स्थापित करना शुरु किया है उसकी भी तारीफ करते हुए कहा है कि, दक्षिण एशिया व हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के तमाम देशों के साथ गहरे रिश्ते बनाने की कोशिश लगातार होनी चाहिए।

डोकलाम क्षेत्र में हुए विवाद पर सरकार ने जिस तरह से पूरे मामले को संभाला उससे भी संसदीय समिति संतुष्ट है और सरकार की कोशिशों की तारीफ की है। समिति ने कहा है कि चीन ने वहां घुसपैठ करके भारत के सैन्य हितों को प्रभावित करने की कोशिश की थी। यह वर्ष 1988 व 1998 में भूटान व चीन के बीच हुए समझौते का भी खुला उल्लंघन था। यह भारतीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती थी।

समिति ने भारतीय सैन्य बलों के साथ ही विदेश मंत्रालय के स्तर पर इससे निपटने को लेकर उठाये गये कदमों और कूटनीतिक पहल की तारीफ की है। समिति का मानना है कि चीन के साथ लगी सीमा का और गहनता से निगरानी होनी चाहिए, खास तौर पर डोकलाम से सटे इलाकों की निगरानी बढ़ा देनी चाहिए। इसके लिए सीमा पर सड़कों व अन्य ढांचागत सुविधाओं के विकास को प्राथमिकता के तौर पर लेना चाहिए।

सरकार को कहा गया है कि वह डोकलाम को लेकर भूटान को भी पूरी मदद करे कि वह चीन के दबाव के आगे न झुके। सनद रहे कि चीन भूटान पर दबाव बनाता रहा है कि वह डोकलाम के बदले कोई दूसरा भौगोलिक हिस्सा ले ले।


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