भाजपा-कांग्रेस में बदजुबानी बढ़ी, 'शवराज' से लेकर 'मक्कार' जैसे अपशब्दों के चल रहे सियासी बाण
गली-मोहल्ले में झगड़े के दौरान जिस स्तरहीन भाषा में लोग बात करते हैं कमोबेश वैसी ही स्थिति इस समय मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में बनती जा रही है।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। आमतौर पर गली-मोहल्ले में झगड़े के दौरान जिस स्तरहीन भाषा में लोग एक-दूसरे को नीचा दिखाते हैं, कमोबेश वैसी ही स्थिति इस समय मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में बनती जा रही है। प्रदेश में 27 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव की आहट पाकर प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के बीच बदजुबानी शुरू हो गई है। कोई शवराज कहने से नहीं चूक रहा है तो किसी को दूसरे दल के नेता को मक्कार कहने में संकोच नहीं हो रहा है।
भाजपा-कांग्रेस के बीच छिड़ी जुबानी जंग
मतदाताओं के बीच जाने के लिए इन दलों ने जो सामग्री तैयार की है, उसमें भी स्तरहीन भाषा का उपयोग किया जा रहा है। प्रदेश में साढ़े चार महीने पहले कमल नाथ सरकार के गिरने के बाद उपचुनाव का बिगुल भी बज गया था और तभी से भाजपा-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है।
विधानसभा उपचुनाव के प्रचार में व्यक्तिगत स्तरहीन बयानबाजी दिख रही
चुनाव में जिस तरह राजनीतिक दल अपनी और विरोधी दल की नीतियों व एक-दूसरे की सरकारों के कामकाज को लेकर आमने-सामने होते हैं, वह प्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी से नदारद है। इसमें व्यक्तिगत स्तरहीन बयानबाजी ज्यादा दिख रही है।
सिंधिया-शिवराज पर व्यक्तिगत हमले
सरकार गंवाने के बाद कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर व्यक्तिगत हमले किए थे। उन्हें गद्दार कहकर पूर्वजों को भी कठघरे में खड़ा किया था। सिंधिया को कांग्रेस नेताओं ने 'श्रीअंत' कहकर भी संबोधित किया। साथ ही पार्टी और विधायकी छोड़ने वाले नेताओं को कांग्रेस की ओर से बिकाऊ तक कहा गया था। इसके अलावा कांग्रेस नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को शवराज तक कहने से नहीं चूके हैं।
कमल नाथ को मक्कार कहने से नहीं परहेज
हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसे कथित रूप से भाजपा द्वारा तैयार किया जाना बताया गया है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की 15 महीने की सरकार के कामकाज के आधार पर नाथ को मक्कार कहने से भी परहेज नहीं किया गया। इसकी टैग लाइन ही मक्कार दी है।
कांग्रेस के पास तथ्य और तर्क नहीं
कांग्रेस के पास सरकार पर आरोप लगाने के लिए मुद्दे नहीं हैं। तथ्य और तर्क नहीं होने से उस पर हताशा और निराशा हावी हो रही है। इसलिए उसके नेता अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं- रजनीश अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता, मप्र भाजपा।
सम्मान वाली भाषा के लिए करें प्रेरित
बड़े व्यक्ति के खिलाफ छोटा व्यक्ति स्तरहीन टिप्पणी करता है और दल उसे उसकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। राजनीतिक दल सम्मान वाली भाषा का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें और अमर्यादित बयानों पर नियंत्रण लगाएं- जेपी धनोपिया, प्रवक्ता, मप्र कांग्रेस कमेटी।