पूर्व विदेश मंत्री कृष्णा ने कहा- राहुल देते थे मनमोहन सरकार के कामकाज में दखल
पूर्व विदेश मंत्री रहे एस एम कृष्णा के राहुल गांधी पर कई चौका देने वाले खुलासों के बाद कांग्रेसी नेता दिनेश गुंडू राव ने कहा कि पता नहीं किस कारण से वह ऐसी बातें कह रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की मनमोहन सरकार में विदेश मंत्री रहे कांग्रेस के पूर्व नेता एसएम कृष्णा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर कई आरोप लगाए। कृष्णा ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान राहुल गांधी केवल सांसद थे। उनके पास पार्टी में भी कोई पद नहीं था, लेकिन इसके बावजूद वह सरकार के कामकाज में लगातार दखल देते थे। राहुल के दखल के कारण ही मुझे यूपीए सरकार और कांग्रेस से अलग होना पड़ा। बता दें कि कृष्णा बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सीएम सिद्दारमैया के खिलाफ प्रचार किया था।
कृष्णा ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, लेकिन बहुत से फैसले बिना उनकी जानकारी के हो जाते थे। 2009 से 2014 के बीच की बात करें तो प्रधानमंत्री का सरकार पर से नियंत्रण पूरी तरह खत्म हो गया था।
कृष्णा ने आरोप लगाया कि पार्टी के साथ-साथ सरकार पर भी राहुल गांधी का ही नियंत्रण था। राहुल गांधी को कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव की कॉपी फाड़ने का भी अधिकार था। उनकी किसी के प्रति कोई जवाबदेही नहीं थी।
कांग्रेस नेता बोले-कृष्णा के लिए सम्मान खत्म हो गया
एसएम कृष्णा के बयान पर कांग्रेस नेता दिनेश गुंडू राव ने कहा कि राहुल गांधी पर उनके बयान को सुनने के बाद जो एक फीसदी सम्मान उनके लिए था वह भी खत्म हो गया है।
राव ने कहा कि कृष्णा की इस तरह की बयानबाजी से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि उनकी ही छवि बिगड़ेगी। राव ने कहा कि वृद्धावस्था में लोग ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसी हरकतें करते रहते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल, मनमोहन से अधिक शक्तिशाली थे और इससे देश में भ्रष्टाचार ग्राफ बढ़ा और राहुल गांधी ने ही फैसला किया था कि पार्टी को 80 साल से ऊपर के लोगों की जरूरत नहीं है। वहीं एसएम कृष्णा ने कहा कि साल 2009 से 2014 तक मैं यूपीए सरकार में सत्ता में था, तब मैं सभी अच्छी और बुरी चीजों के लिए समान रूप से जिम्मेदार था।
इसके बाद एसएम कृष्णा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरदार वल्लभभाई पटेल से तुलना करते हुए कहा कि अब देश को एकजुट रखने के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व की जरूरत है। अब देश को विकास की पटरी पर लाने और भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी शासन देने के लिए जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा ही देश के लिए प्रधानमंत्री चाहती है।