बंद कमरे में होने वाली दिग्विजय-सिंधिया की मुलाकात सड़क पर सिमटी, नहीं हुई चर्चा
दिग्विजय और सिंधिया के बीच गुना में बहुप्रतीक्षित मुलाकात बंद कमरे की जगह सड़क पर सिमट गई। दोनों ने एक-दूसरे को हार पहनाया और गले मिलकर स्वागत किया। लेकिन कोई बात नहीं हुई।
भोपाल,जेएनएन। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच गुना में बहुप्रतीक्षित मुलाकात बंद कमरे की जगह सड़क पर सिमट गई। दोनों ने समर्थकों के बीच एक-दूसरे को हार पहनाया और ठहाके लगाते हुए गले मिलकर स्वागत किया। नेताओं के बीच चंद मिनट की मुलाकात हुई।समर्थकों के बीच मौजूद दोनों नेताओं के बीच यहां कोई बात नहीं हो सकी।
दिग्विजय- सिंधिया एक दूसरे से मिले लेकिन नहीं हो सकी औपचारिक चर्चा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति जिन नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है, उनमें दिग्विजय और सिंधिया प्रमुख हैं। इन दोनों नेताओं के बीच पार्टी के कार्यक्रमों, बैठकों के अलावा यदाकदा ही मुलाकात होती है। दोनों के बीच ऐसी मुलाकात तीन दिन से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई थी, जिसमें दोनों नेताओं के गुना सर्किट हाउस में मिलने का कार्यक्रम था। हालांकि इस कार्यक्रम को लेकर सिंधिया ने कभी अपने दौरा कार्यक्रम में उल्लेख नहीं किया, जबकि दिग्विजय ने अपने दौरे में सोमवार को मुलाकात का जिक्र किया था।
इस प्रकार यह माना जा रहा था कि दिग्विजय सिंह, सिंधिया से मुलाकात की पहल कर रहे हैं। दिग्विजय अपने कार्यक्रम के मुताबिक गुना पहुंचे, लेकिन सिंधिया भोपाल से गुना जाते समय सड़क मार्ग पर स्वागत और कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात की वजह से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गुना नहीं पहुंच सके। दिग्विजय ने पहल की अंतिम कोशिश करते हुए सिंधिया के काफिले तक पहुंचकर उनसे मुलाकात की। दोनों नेता गुना की सड़क पर गाडि़यों से उतरे और फूल मालाएं पहनाकर एक-दूसरे का स्वागत किया। ठहाकों के बीच दोनों ने अभिवादन किया, लेकिन कार्यकर्ताओं की नारेबाजी के कारण उनके बीच औपचारिक चर्चा भी नहीं हो सकी।
दिग्विजय की सिंधिया से मुलाकात की पहल के मायने
दिग्विजय-सिंधिया के बीच मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। पहला उद्देश्य राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह का कार्यकाल नौ अप्रैल को समाा हो रहा है और कांग्रेस को मिलने वाली दो सीटों में से एक सीट लेकर दूसरी बार मौका पाना है। राज्यसभा प्रत्याशी बनने के लिए सिंधिया का नाम भी चर्चा में है। दोनों नेताओं की मुलाकात का दूसरा अर्थ नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले पर सर्वसम्मति बनाना माना जा रहा है। दिग्विजय-मुख्यमंत्री कमलनाथ के संबंध अच्छे हैं और इस समय कहा जा रहा है कि सिंधिया वचन पत्र को लेकर सरकार से नाराज हैं। उनकी इस नाराजगी को दूर करने के लिए दिग्विजय मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं।
सिंधिया ने कहा-जनता के लिए लड़ता हूं, सरकार से लड़ना विपक्ष का काम
दिग्विजय-सिंधिया की इस मुलाकात का प्रदेश कांग्रेस की राजनीति का माहौल बदलेगा। दिग्विजय कार्यकर्ताओं में यह संदेश देने में सफल रहे कि कांग्रेस के सभी नेता एक हैं, किसी के बीच मतभेद नहीं है। वहीं, सिंधिया ने भी कमोबेश यही संदेश देने का प्रयास किया है। उन्होंने भोपाल में दिग्विजय से गुना में मुलाकात को लेकर मीडिया से कहा कि वे दिग्विजय सिंह से मिलते रहते हैं। वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। सिंधिया ने अपनी नाराजगी पर यह भी कहा कि उनकी सरकार से कोई नाराजगी नहीं है। सरकार से लड़ने का काम विपक्ष का है। उन्होंने कहा कि वे जनता के लिए लड़ते हैं। सरकार को एक साल हुआ है और वचन पत्र पांच साल के लिए है। अगर पांच साल में वचन पूरे नहीं हुए तो सभी सड़क पर उतरेंगे।