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नई शिक्षा नीति पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दो फाड़, मंत्री टीएस सिंहदेव ने किया समर्थन

सिंहदेव ने कहा है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादों के अनुरूप बहुत सारे मुद्दों को केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में शामिल किया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 08:54 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 08:54 AM (IST)
नई शिक्षा नीति पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस में दो फाड़, मंत्री टीएस सिंहदेव ने किया समर्थन

रायपुर, राज्य ब्यूरो। केंद्रीय शिक्षा नीति को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन और सरकार में असमंजस और मतभेद की स्थिति बन रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जहां नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं, वहीं प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव ने शिक्षा नीति का समर्थन कर दिया है। सिंहदेव ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादों के अनुरूप बहुत सारे मुद्दों को केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति में शामिल किया है। कांग्रेस संगठन भी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही है। नेता अलग-अलग बयान जारी कर रहे है।

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सिंहदेव ने ट्वीट करके कहा कि जनता से चर्चा के बाद तैयार कांग्रेस के जनघोषणा पत्र का असर केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति में दिखाई दे रहा है। इसे देखकर वास्तव में प्रसन्नता हो रही है। राज्य सरकार ने भी पहले शिक्षा के अधिकार को 12वीं तक बढ़ाने है और आंगनबाड़ी में प्री स्कूल की वकालत की थी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद कहा था कि शिक्षा को केंद्रीकृत किया जाना उचित नहीं है। संविधान के अनुसार शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, जो राज्य और केंद्र की अपनी-अपनी नीतियों से संचालित होता है। मूलभूत शिक्षा में राज्य का प्रमुख योगदान होता है। इस वजह से हर राज्य में अपनी अलग शिक्षा प्रणाली विकसित हुई है। शिक्षा के लिए नीति नियम बनाने की राज्यों को अभी स्वतंत्रता है, लेकिन नई नीति द्वारा पूरी व्यवस्था को केंद्रीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।

वहीं, कांग्रेस संगठन ने भी नई शिक्षा नीति का विरोध किया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने एक बयान जारी करके कहा कि मोदी सरकार नई शिक्षा नीति द्वारा देश की भावी पीढ़ी को अपने रंग में रंगने की तैयारी में है। नई शिक्षा नीति के नाम पर अधिनायकवादी मोदी सरकार शिक्षा के बाजारीकरण, निजीकरण और पूंजीवादी व्यवस्था थोपने पर आमादा है। कोरोना आपदाकाल मोदी सरकार के लिए जनविरोधी संशोधन, अध्यादेश लादने का अवसर है। यह मोदी सरकार का संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ कदम है।


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