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राज्यपाल आरएन रवि को हटाने को लेकर नागा गुटों में मतभेद, पीएम मोदी तक पहुंचा मामला

नागालैंड जीबी फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि एनएससीएन की अनर्गल मांगों के कारण स्थायी शांति की दिशा में अंतिम पड़ाव तक पहुंच गए समझौते के छोड़ा नहीं जा सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 09:47 PM (IST)
राज्यपाल आरएन रवि को हटाने को लेकर नागा गुटों में मतभेद, पीएम मोदी तक पहुंचा मामला
राज्यपाल आरएन रवि को हटाने को लेकर नागा गुटों में मतभेद, पीएम मोदी तक पहुंचा मामला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागालैंड में स्थायी समाधान की राह में रूकावट बने एनएससीएन (IM) के खिलाफ वहां के अन्य संगठन खुलकर सामने आ गए हैं। सभी नागा गांव के प्रमुखों के संगठन नागालैंड जीबी फाउंडेशन ने राज्यपाल आरएन रवि को हटाने के एनएससीएन (IM) की मांग विरोध करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। नागालैंड जीबी फाउंडेशन ने साफ किया है कि एनएससीएन नागा लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और वह नागा लोगों के हितों के बजाय अपने नेताओं के तानाशाही रूख को ज्यादा तरजीह देता है।

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नागालैंड जीबी फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि एनएससीएन की अनर्गल मांगों के कारण स्थायी शांति की दिशा में अंतिम पड़ाव तक पहुंच गए समझौते के छोड़ा नहीं जा सकता है। ध्यान देने की बात है कि एनएससीएन सार्वजनिक तौर पर कहा रहा है कि नागालैंड के लिए अलग झंडे और अलग संविधान के बिना कोई समझौता नहीं होगा। लेकिन अनौपचारिक वार्ता में अब विधानपरिषद और लोकसभा की अतिरिक्त सीट की मांग पर अड़ गया है।

समझौते के अंतिम चरण पहुंचने के बाद एनएससीएन के अड़ियल रवैये के खिलाफ आरएन रवि ने सख्त रूख दिखाया और राज्य सरकार से उसके कैडर के जबरन वसूली के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। इससे नाराज एनएससीएन ने आरएन रवि के साथ बातचीत से इनकार कर दिया और उन्हें हटाने की मांग पर अड़ गया। लेकिन अब नागालैंड जीबी फाउंडेशन ने आरएन रवि का पक्ष लेकर एनएससीएन को सीधी चुनौती दी है।

नागालैंड में एनएससीएन (आइएम) की लोकप्रियता में आई गिरावट

गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में नागालैंड में एनएससीएन (IM) की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है और वहां के अन्य संगठन उसको मिल रहे विशेष प्रश्रय के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। दरअसल 1997 के युद्ध विराम समझौते के बाद से एनएससीएन (आइएम) के कैडर ने हर जिले में कमांड सेंटर बना लिए थे। ये कमांड सेंटर जबरन लेवी वसूली करते थे और हर सरकारी ठेके में इसका हिस्सेदारी तय होती है। युद्ध विराम समझौते और शांति वार्ता को देखते हुए सुरक्षा बल इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे थे।


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