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पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उठाए सवाल, कहा- महाराष्ट्र में कोरोना से मौतों को छिपाने की हो जांच

फडणवीस के अनुसार मई के महीने की 500 एवं जून के महीने की 150 मौतें अभी तक दिखाई ही नहीं गई हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 11:14 PM (IST)
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उठाए सवाल, कहा- महाराष्ट्र में कोरोना से मौतों को छिपाने की हो जांच
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उठाए सवाल, कहा- महाराष्ट्र में कोरोना से मौतों को छिपाने की हो जांच

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों के मुताबिक मार्च से अब तक हुई मौतों एवं कोविड-19 के मरीजों का आंकड़ा जारी किया। नए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में मौतों की संख्या में अचानक 1,328 की बड़ी बढ़त दिखाई दी। इसे मुंबई महानगर पालिका एवं राज्य सरकार की बड़ी नाकामी बताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद फडणवीस ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

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महाराष्ट्र सरकार ने कमेटी बनाकर अलग दिशानिर्देश तय किए

फडणवीस के अनुसार आइसीएमआर एवं डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कौन सी मृत्यु कोविड श्रेणी की होगी, कौन सी नहीं। इसके बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने कमेटी बनाकर अलग दिशानिर्देश तय किए। ये कमेटी मौतों का विश्लेषण करके उनको कम करने की जगह मौतें छिपाने की कमेटी के रूप में काम कर रही है।

फडणवीस के अनुसार मई के महीने की 500 एवं जून के महीने की 150 मौतें अभी तक दिखाई ही नहीं गई हैं। जबकि नियम के अनुसार सात दिनों में इनका विश्लेषण करके उन्हें कोविड पोर्टल पर दिखाना चाहिए था। गौरतलब है कि देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण में महाराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा कोरोना के मामले सामने आए हैं।

महाराष्ट्र, गुजरात व यूपी ने निजी क्षेत्र से किया समझौता

वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि कोविड-19 के मरीजों को उचित स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने की कोशिश के तहत उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने निजी क्षेत्र के साथ समझौता किया है।

स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे की कमी की संभावना के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बिस्तरों की उपलब्धता व क्रिटिकल केयर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने और इन सेवाओं के लिए उचित व पारदर्शी शुल्क सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ बातचीत करने को कहा था।


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