भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्या मामले में मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपी बरी
भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्या मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय (Krishnanand Rai) हत्या मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने बुधवार को पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उनके भाई अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साल 2005 में हुए इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) और उनके भाई अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) समेत संजीव माहेश्वरी (Sanjeev Maheshwari), एजाजुल हक (Aijazul Haque), राकेश पांडेय (Rakesh Pandey), रामू मल्लाह (Ramu Mallah) और मुन्ना बजरंगी (Munna Bajrangi) को आरोपी बनाया गया था।
Delhi: CBI Special Court acquits all accused, including ex-MLA Mukhtar Ansari, and others in a murder case of BJP MLA Krishnanand Rai. pic.twitter.com/GrRQjBmdHF
— ANI (@ANI) July 3, 2019
पिछले साल नौ जुलाई की सुबह बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कृष्णानंद राय उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले (Ghazipur district) में मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र (Mohammadabad Assembly constituency) से निर्वाचित हुए थे। 29 नवंबर, 2005 को कृष्णानंद राय और उनके छह समर्थकों की दिनदहाड़े एके-47 से अंधाधुंध गोलीबारी करके हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में मुख्तार अंसारी को मुख्य साजिशकर्ता माना था। पोस्टमार्टम में राय के शरीर में 21 गोलियां पाई गई थीं।
उल्लेखनीय है कि इस हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में उबाल आ गया था। हत्यारों को सजा दिलाने की मांग करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने चंदौली में धरना दिया था। बाद में इस मामले को सीबीआई को सौंपा गया था। राय की पत्नी अल्का राय (Alka Rai) की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे। अब करीब 13 साल तक सुनवाई के बाद मुख्तार अंसारी को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया गया है।
मुख्तार मऊ विधानसभा क्षेत्र से पांच बार विधायक रह चुके हैं। बसपा ने 2010 में मुख्तार को निकाल दिया था।साल 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। साल 2002 में और 2007 में निर्दल प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी। साल 2007 में वह दोबारा बसपा में शामिल हो गए। साल 2009 में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन असफल रहे।