दिल्ली एम्स जैसा बनेंगे देश के दूसरे हिस्सों में 20 एम्स
दिल्ली एम्स में कर्मचारियों को मिल रही मेडिकल सुविधाओं को सभी एम्स में समान रूप से लागू करने का फैसला किया गया।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। दिल्ली के एम्स की तर्ज पर ही देश के दूसरे हिस्सों में खुल रहे 20 एम्स चलेंगे। सभी एम्स के कामकाज में एकरूपता लाने के लिए 'सेंट्रल इंस्टीट्यूट बॉडी ऑफ एम्स' (सीआइबी) नाम से एक नई संस्था बनाई गई है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई सीआइबी की पहली बैठक में सभी एम्स में कर्मचारियों को एक समान स्वास्थ्य सुविधाएं लागू करने का फैसला किया गया।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीआइबी में मौजूदा दिल्ली एम्स की इंस्टीट्यूट बॉडी के सभी सदस्यों को शामिल किया है। इसके साथ ही नए खुलने वाले एम्स के सभी निदेशक इसके सदस्य होंगे। इसमें लिए गए फैसलों को सभी एम्स में समान रूप से लागू किया जाएगा।
सीआइबी की पहली बैठक में दिल्ली एम्स में कर्मचारियों को मिल रही मेडिकल सुविधाओं को सभी एम्स में समान रूप से लागू करने का फैसला किया गया। इसके साथ ही सभी एम्स में फैकल्टी की कमी के मुद्दे पर विचार किया गया। बैठक में एक राय बनी कि एम्स की फैकल्टी के चयन की भर्ती के लिए एक ही जगह पर इंटरव्यू लिया जाए। ताकि फैकल्टी बनने के इच्छुक प्रोफेसरों को दूर-दूर फैले एम्स में अलग-अलग नहीं भटकना पड़े।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीआइबी की बैठक में छात्रों को अलग-अलग काउंसलिंग के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। फिलहाल एम्स और एनआइआइटी के लिए अलग-अलग परीक्षा और काउंसलिंग होती है। एम्स के अपने उच्च मानदंडों को देखते हुए प्रवेश परीक्षा को फिलहाल एनआइआइटी से अलग रखने का फैसला किया गया है। लेकिन छात्रों की काउंसलिंग को एनआइआइटी के साथ करने के लिए रास्ता निकालने की बात भी हुई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सीआइबी की अगली बैठक में एम्स और एनआइआइटी की एक साथ काउंसलिंग पर फैसला कर लिया जाएगा।
सीआइबी की बैठक में सभी एम्स में स्टाफ रखने के लिए मानक तय कर दिया गया है। इसके तहत नए खुलने वाले एम्स 950 और 750 बिस्तरों वालों दो तरह के होंगे और उसी के अनुरूप में उनमें नर्स, डाक्टर, प्रोफेसर आदि स्टाफ एक समान संख्या में रखे जाएंगे। इसमें सभी नए एम्स के लिए सरकार की ओर मिलने वाली राशि का 75 फीसदी मूल काम पर खर्च करने की सीमा भी तय कर दी गई। नए एम्स केंद्रीय सहायता का केवल 25 फीसदी ही अपनी मर्जी के अनुसार नए कामों खर्च कर पाएंगे। इससे नए एम्स के निर्माण कार्य समय पर पूरा हो सकेगा।