दलबदल पर न्यायपालिका और स्पीकरों का रवैया चिंताजनक : एम वैंकैया नायडू
उप राष्ट्रपति नायडू ने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को हवा-हवाई वादे नहीं करने चाहिए। वही वादे करें, जिन्हें वह पूरा कर सकें।
अमरावती, प्रेट्र। उप राष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू ने सांसदों और विधायकों के दलबदल के मामलों में न्यायपालिका और स्पीकरों के रवैये पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दलबदल के मामलों का एक निश्चित समयसीमा के भीतर निपटारा किया जाना चाहिए। उप राष्ट्रपति, जो कि राज्यसभा के अध्यक्ष भी हैं, ने इसके लिए दलबदल विरोधी कानून में संशोधन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उप राष्ट्रपति ने यहां पत्रकारों और अपने कुछ मित्रों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा, 'इसमें ऐसा क्या है(यह तय करने में कि कोई सांसद या विधायक दल बदला है)? क्या यह मुश्किल काम है? जब कोई व्यक्ति अपना (राजनीतिक) झंडा, रंग, नेता और नारा बदलता है और आगे बढ़ता है तो क्या हम उसे समझ नहीं सकते हैं।'
उन्होंने कहा कि अदालतें भी याचिकाएं स्वीकार कर तारीख पर तारीख देती रहती हैं। वो जल्द फैसला नहीं सुनाती। अदालतों को तभी याचिकाएं स्वीकार करनी चाहिए जब वह उस पर जल्द फैसला सुनाने में सक्षम हों। अगर अदालतों के पास वक्त ना हो तो उन्हें इस तरह की याचिकाएं स्वीकार ही नहीं करनी चाहिए। लेकिन वह न याचिकाएं अस्वीकार करती हैं और न ही समय पर फैसले सुनाती हैं, जो गंभीर चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक और चुनाव संबंधित मामलों का एक साल के भीतर निपटारा करने के लिए न्यायाधिकरण और विशेष अदालतों का गठन किया जाना चाहिए।
आसमानी वादे ना करें पार्टियां
उप राष्ट्रपति नायडू ने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को हवा-हवाई वादे नहीं करने चाहिए। वही वादे करें, जिन्हें वह पूरा कर सकें। राजनीतिक दलों को राज्य के संपूर्ण आर्थिक हालात का आकलन करने के बाद ही कोई वादा करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए 'सब कुछ मुफ्त' के वादे ठीक नहीं। गौरतलब है कि तेलगु देशम पार्टी ने किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के चार साल बाद भी उस वादे को पूरा नहीं कर सकी है।