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कश्मीर मुद्दे पर जेटली बोले, आतंकियों से निपटना 'बल प्रयोग' नहीं बल्कि कानून का राज कायम करना है

कांग्रेस और मानवाधिकार संगठनों पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री जेटली ने कहा कि समर्पण नहीं करने वाले आतंकियों से निपटना 'बल प्रयोग की नीति' नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था की समस्या है।

By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 09:22 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 09:27 PM (IST)
कश्मीर मुद्दे पर जेटली बोले, आतंकियों से निपटना 'बल प्रयोग' नहीं बल्कि कानून का राज कायम करना है
कश्मीर मुद्दे पर जेटली बोले, आतंकियों से निपटना 'बल प्रयोग' नहीं बल्कि कानून का राज कायम करना है

नई दिल्ली [प्रेट्र/आइएएनएस]। कांग्रेस और मानवाधिकार संगठनों पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि समर्पण नहीं करने वाले आतंकियों से निपटना 'बल प्रयोग की नीति' नहीं, बल्कि कानून का राज कायम करना है। राजनीतिक समाधान निकलने तक इसका इंतजार नहीं किया जा सकता।

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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद कांग्रेस नेताओं ने आशंका जताई है कि कश्मीर समस्या के हल के लिए अब संभवत: बल प्रयोग नीति की वापसी होगी। वहीं, राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में बल प्रयोग नीति कारगर नहीं होगी।

जवाब में अरुण जेटली ने फेसबुक पोस्ट के जरिये सवाल किया, 'जब एक आत्मघाती हमलावर मरने और मारने पर उतारू हो तो क्या उससे निपटने के लिए उसके समक्ष सत्याग्रह का प्रस्ताव दिया जाना चाहिए? जब वह मारने के लिए आगे बढ़े तो क्या उसका सामना करने वाले सुरक्षा बलों को उसे मेज पर बैठने और वार्ता के लिए कहना चाहिए?' उन्होंने कहा कि नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे घाटी के आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके, उन्हें आतंक से मुक्ति और बेहतर गुणवत्ता का जीवन और माहौल मिल सके।

जिहादियों-माओवादियों के खिलाफ नहीं बोलते मानवाधिकार संगठन
जेटली ने कहा कि जिहादी और माओवादी लगातार नागरिकों के अधिकारों को खतरे में डाल रहे हैं, लेकिन धुर वामपंथी विचारधारा वाले मानवाधिकार संगठन कभी इसके बारे में नहीं बोलते। उन्होंने कहा कि दो विचारधारा वाले समूह उग्रवाद और आतंकवाद में शामिल हैं। दोनों के बीच समन्वय साफ तौर पर दिखाई देता है। दोनों ही संवैधानिक रूप से चुनी हुई सरकारों को उखाड़ फेंकना चाहते हैं।

घाटी में अपने ही लोगों को निशाना बना रहे आतंकी
जेटली ने कहा कि पूरा कश्मीरी पंडित समुदाय राज्य से पलायन कर चुका है। शुरुआत में सिखों को छोड़ दिया गया था, लेकिन साल 2000 में छत्तीसिंहपुरा नरसंहार के बाद सिख समुदाय के भी ज्यादातर लोग पलायन कर चुके हैं। अब घाटी में बचे ज्यादातर लोग बहुसंख्यक समुदाय के हैं। पिछले कुछ साल से आतंकवादी जिन निर्दोष नागरिकों की हत्या कर रहे हैं वे उनके ही कश्मीरी भाई-बंधु हैं।

पर्यटक मौसम में हमले कर घाटी की अर्थव्यवस्था कर रहे चौपट
केंद्रीय मंत्री ने कहा, यह क्षेत्र ऐसा है जिसमें प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे समृद्ध राज्य बनने की क्षमता है, लेकिन आतंकवादियों ने राज्य को नष्ट कर दिया है। वे अप्रैल, मई और जून के महीनों में अपनी गतिविधियां बढ़ा देते हैं जिससे पर्यटक मौसम में घाटी की आर्थिक जीवनरेखा बुरी तरह प्रभावित हो रही है।


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