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मध्यप्रदेश में दमोह विधानसभा उपचुनाव के नतीजे देंगे अगले विधानसभा चुनाव के संकेत

मध्यप्रदेश में दमोह विधानसभा उपचुनाव के नतीजे दो मई को सामने आएंगे। इस सीट की जीत या हार से भाजपा-कांग्रेस की सदस्य संख्या का आंकड़ा बदल सकता है लेकिन सत्ता और विपक्ष की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 18 Apr 2021 09:15 PM (IST)Updated: Sun, 18 Apr 2021 09:15 PM (IST)
मध्यप्रदेश में दमोह विधानसभा उपचुनाव के नतीजे देंगे अगले विधानसभा चुनाव के संकेत
राहुल लोधी की भाजपा नेता के तौर पर स्वीकार्यता की है परीक्षा।

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्यप्रदेश में दमोह विधानसभा उपचुनाव के नतीजे दो मई को सामने आएंगे। इस सीट की जीत या हार से भाजपा-कांग्रेस की सदस्य संख्या का आंकड़ा बदल सकता है, लेकिन सत्ता और विपक्ष की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है। इस सीट की जीत-हार के मायने दोनों दलों के लिए अलग परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण हैं।

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राहुल लोधी की भाजपा नेता के तौर पर स्वीकार्यता की है परीक्षा 

भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस छोड़कर आए हैं। ऐसे में उनकी जीत पार्टी में स्वीकार्यता पर मुहर लगने जैसी रहेगी। कांग्रेस की जीत से यह संदेश जाएगा कि पहले मिले जनादेश की अनदेखी करना राहुल लोधी को भारी पड़ा।

उपचुनाव के नतीजे देंगे अगले विधानसभा चुनाव के संकेत  

हालांकि राजनीतिक जानकार यह भी मानते हैं कि इस उपचुनाव के नतीजे दोनों दलों के लिए अगले विधानसभा चुनाव की रणनीति तय करने का संकेत होंगे। कांग्रेस यहां जीती तो पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होगा। विधानसभा की 28 सीटों पर उपचुनाव से पहले कांग्रेस से विधायक रहे राहुल लोधी ने इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली थी। इसी के चलते उपचुनाव हुआ। यहां कांग्रेस से अजय टंडन मैदान में हैं।

विधानसभा में दलीय स्थिति में भाजपा काफी मजबूत स्थिति में है 

विधानसभा में दलीय स्थिति का आंकलन करें तो भाजपा 126 सीटों के साथ काफी मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस 96 सीटों के साथ बहुमत से काफी पीछे है। बहुजन समाज पार्टी के दो, समाजवादी पार्टी के एक और निर्दलीय चार विधायक भी हैं। विधानसभा की 230 सदस्य संख्या पर बहुमत का आंकड़ा 116 का है। राहुल लोधी की जीत या हार का आंकलन इस रूप में किया जाएगा कि दमोह की जनता ने राहुल के दल बदलने के फैसले पर मुहर लगाई है या नहीं। वहीं, जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे अजय टंडन की मैदानी पकड़ की परीक्षा भी हो जाएगी। उपचुनाव में जीत या हार से दोनों दलों को अगले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी स्थिति का संकेत मिल जाएगा जिसके आधार पर वे आगे की रणनीति तय करेंगे।

जयंत मलैया की दोहरी मुश्किल 

दमोह क्षेत्र वरिष्ठ भाजपा नेता जयंत मलैया का कार्यक्षेत्र रहा है। अब यहां भाजपा नेता के तौर पर राहुल लोधी का उदय हुआ है। लोधी के भाजपा में आने के दौरान मलैया की नाराजगी को लेकर सुगबुगाहट थी। हालांकि यह कभी सतह पर नहीं आ सकी। बाद में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में मलैया ने लोधी के पक्ष में प्रचार भी किया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल लोधी की जीत के बाद मलैया का सम्मानजनक पुनर्वास बड़ा सवाल होगा। वहीं, राहुल लोधी यदि हार जाते हैं तो मलैया की सकियता पर सवाल उठाए जाएंगे।

दमोह की जनता भाजपा के पक्ष में

दमोह की जनता भाजपा के पक्ष में है, हमें इसका पूरा भरोसा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में जरूर हमें कुछ नुकसान हुआ था, लेकिन अब परंपरागत वोट भाजपा के साथ हैं-डॉ. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा।

दमोह उपचुनाव भाजपा के लिए अपना वजूद बचाने जैसा 

दमोह उपचुनाव भाजपा के लिए अपना वजूद बचाने जैसा है। कांग्रेस यह चुनाव लोकतंत्र को बचाने के लिए लड़ रही है। पूरा विश्वास है कि जनता कांग्रेस का ही साथ देगी-दुर्गेश शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस।


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