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अम‌र्त्य सेन के बयान पर नीति आयोग का पलटवार, सुधार नहीं दिख रहा तो देश में कुछ वक्त गुजारें

नरेंद्र मोदी सरकार में हुए बदलावों को महसूस करने के लिए अम‌र्त्य सेन को देश में कुछ वक्त गुजारना चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 10:39 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 11:43 PM (IST)
अम‌र्त्य सेन के बयान पर नीति आयोग का पलटवार, सुधार नहीं दिख रहा तो देश में कुछ वक्त गुजारें
अम‌र्त्य सेन के बयान पर नीति आयोग का पलटवार, सुधार नहीं दिख रहा तो देश में कुछ वक्त गुजारें

नई दिल्ली, प्रेट्र। अर्थव्यवस्था पिछड़ने के नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अम‌र्त्य सेन के बयान पर नीति आयोग ने पलटवार किया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अम‌र्त्य सेन को सलाह देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में हुए बदलावों को महसूस करने के लिए उन्हें देश में कुछ वक्त गुजारना चाहिए।

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नोबेल विजेता अर्थशास्त्री ने हाल में कहा था कि 2014 के बाद से देश की अर्थव्यवस्था ने पीछे की ओर लंबी छलांग लगाई है। इस बयान पर टिप्पणी करते हुए कुमार ने कहा, 'मेरी इच्छा है कि प्रोफेसर अम‌र्त्य सेन भारत में कुछ समय बिताएं और देखें कि असल में जमीनी स्थिति कैसी है। इस तरह का बयान देने से पहले उन्हें कम से कम मोदी सरकार द्वारा किए गए पिछले चार साल के कामकाज की समीक्षा कर लेनी चाहिए।'

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने आगे कहा, 'मैं वास्तव में उन्हें चुनौती देना चाहूंगा कि वह मुझे कोई ऐसे चार साल बताएं, जिनमें भारत को स्वच्छ, समावेशी और बेहतर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इतने सारे काम किए गए हों।' उन्होंने कहा कि जो संरचनात्मक सुधार हुए हैं, उनमें सुनिश्चित किया गया है कि वृद्धि का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। यदि ये सब बदलाव उन्हें नहीं दिखाई देते, तो उन्हें कुछ समय यहां आकर बिताना चाहिए।

सात जुलाई को अपनी किताब के हिंदी संस्करण 'भारत और उसके विरोधाभास' के विमोचन के मौके पर सेन ने कहा था स्थितियां बुरी तरह से बिगड़ी हैं। देश ने 2014 के बाद से पीछे की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है। पिछड़ने के कारण भारत क्षेत्र में दूसरा सबसे बुरे हालात वाला देश बन गया है। इस मामले में पाकिस्तान ने हमसे आगे रहकर हमें सबसे बुरा होने से बचा लिया है।

गौरतलब है कि अम‌र्त्य सेन पहले भी मोदी सरकार के विरोध में अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। मई, 2014 में केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार उनके निशाने पर रही है।


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