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राहुल गांधी के साथ चर्चा में बोले पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन- सावधानी से हटाना होगा लॉकडाउन

राहुल गांधी के साथ हुई इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की चर्चा के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि एक प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि हमारी क्षमताएं सीमित हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 09:53 AM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 09:53 AM (IST)
राहुल गांधी के साथ चर्चा में बोले पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन- सावधानी से हटाना होगा लॉकडाउन
राहुल गांधी के साथ चर्चा में बोले पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन- सावधानी से हटाना होगा लॉकडाउन

नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को राहुल गांधी के साथ चर्चा में कहा कि लॉकडाउन हटाने और अपनी अर्थव्यवस्था को तरीके से खोलने के लिए भारत को चतुराई दिखाने की जरूरत है। क्योंकि यह काफी लंबे समय तक लोगों की मदद नहीं कर पाएगा।

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वह आज पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बातचीत में COVID -19 के आर्थिक प्रभाव पर विचार-विमर्श कर रहे थे।मौजूदा स्थिति में गरीबों की मदद के लिए कितने पैसे की जरूरत होगी इस बारे में गांधी के सवाल पर पूर्व RBI प्रमुख ने कहा कि भारत को महामारी के समय में गरीबों की मदद करने के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत है और कुल जीडीपी को देखते हुए, वह ऐसा करने का जोखिम उठा सकता है।राजन ने यह भी कहा कि भारत विशेष रूप से ऐसे समय में विभाजित घर नहीं बन सकता है जब चुनौतियां इतनी बड़ी हों। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य के विशेषज्ञों के साथ संवाद की अपनी श्रृंखला शुरू की है।जिसमें सबसे पहले आज उन्होंनें भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ चर्चा की। राहुल गांधी के साथ हुई इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की चर्चा के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि एक प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि हमारी क्षमताएं सीमित हैं। हमें यह तय करने की आवश्यकता है कि हम अर्थव्यवस्था को एक साथ कैसे रखें ताकि जब हम लॉकडाउन से बाहर आएं तो हम स्वयं बीमार बिस्तर से चलने में सक्षम हो और खत्म ना हों।

रघुरान राजन ने कहा कि हालांकि सबसे ज्यादा जरूरी मुझे लगता है कि लोग ठीक रहें और स्वस्थ रहें। राहुल गांधी के साथ बातचीत में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि आपको इस महामारी का इलाज एक ऐसी स्थिति के रूप में करना होगा जो अभूतपूर्व है।हमें जरूरत पड़ने पर इउससे निपटने के लिए मानदंडों को तोड़ना होगा, यह ध्यान में रखते हुए कि हमारे पास केवल इतने ही संसाधन हैं।


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