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स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली संवैधानिक संस्था सवालों के कठघरे में

उपचुनाव में इस्तेमाल की गई वीवीपैट मशीनों की खराबी के बाद चुनाव आयोग अब इसकी असलियत परखने में जुट गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 07:38 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 07:38 PM (IST)
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली संवैधानिक संस्था सवालों के कठघरे में
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली संवैधानिक संस्था सवालों के कठघरे में

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाल ही में हुए उपचुनाव में इस्तेमाल की गई वीवीपैट मशीनों की खराबी के बाद राजनैतिक दलों के निशाने पर आया चुनाव आयोग अब इसकी असलियत परखने में जुट गया है। चुनाव आयोग की ओर से इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है। आयोग ने उत्तर प्रदेश के कैराना और महाराष्ट्र के भंडारा-गोंदिया में अपनी दो टीमें भेजी हैं ताकि वीवीपैट मशीनों में खराबी और खामी के मामले सामने आने के कारणों का पता लगाया जा सके। इस मामले में रिपोर्ट पांच जून तक सौंपे जाने की संभावना है।

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दांव पर साख, चुनाव आयोग ने रवाना की दो जांच टीम

बता दें कि वीवीपैट और ईवीएम में खराबी के कारण मतदान में घंटों की देरी होने के बाद कैराना के 74 मतदान केंद्रों और भंडारा-गोंदिया के पांच विधानसभा क्षेत्रों के 49 मतदान केंद्रों पर फिर से मतदान के आदेश दिए गए थे। सूत्रों ने बताया कि इन टीमों में ईसीआईएल और बीईएल के सदस्य भी होंगे। ईसीआईएल और बीईएल दो ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां है जो ईवीएम एवं वीवीपैट का निर्माण करते हैं।

वीवीपैट खराब होने की शिकायतों ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसके कारण अब आयोग इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर रहा है। बता दे कि शुक्रवार को ही इस मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वैंकटेश्वर लू और भारत निर्वाचन आयोग के दो अधिकारी सहारनपुर सर्किट हाउस पहुंचे थे।

जांच टीम विधानसभा क्षेत्र में लगे सीडीओ, एसडीएम, आरओ, एआरओ, ईसीआईएल कंपनी के इंजीनियरों और अन्य अफसरों से मुलाकात करेंगी। बताया जा रहा है कि जांच टीम बयान लेने के लिए सारे जोनल मैजिस्ट्रेट और पीठासीन अधिकारियों से भी मिल सकती है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में चाहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा चुनाव आयोग से पहले सोशल मीडिया पर जारी होने का मामला हो या गुजरात और हिमाचल के चुनाव लंबे अंतराल पर कराने का निर्णय, या फिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने और बाद में हाईकोर्ट से उनकी सदस्यता बहाल होने का मसला हो, चुनाव आयोग के फैसलों पर सवाल उठे हैं।

विपक्षी पार्टियों ने आयोग को कठघरे में खड़ा किया है। इन घटनाओं ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली यह संवैधानिक संस्था सवालों के कठघरे में हैं। साथ ही इस संस्था से पूर्व में जुड़े रहे अधिकारियों का ध्यान भी खींचा है। देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों की राउंड-टेबल बैठक में भी आयोग की छवि को लेकर चर्चा की गई थी। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने आयोग को सलाह दी कि वह अपनी छवि से जुड़े इन सवालों की गहराई में जाए और तत्काल इसका समाधान करे।


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