कर्नाटक मुद्दे के जरिए विपक्षी एकता को दुरस्त करने की कोशिश में कांग्रेस
कांग्रेस के कार्यकर्ता अब इसे लेकर 18 मई को देश भर में आंदोलन और धरना प्रदर्शन करेंगे।
By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 17 May 2018 10:12 PM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 10:12 PM (IST)
style="text-align: justify;">नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कर्नाटक की पूरी लड़ाई को भले ही कांग्रेस की सरकार बनाने की उत्सुकता के तौर पर देखा जा रहा हो, लेकिन वह इसे 2019 के हथियार और विपक्षी एकता को दुरुस्त करने के प्रयास के तौर पर उपयोग कर रही है। वह इसे भुनाने में पूरी शिद्दत से जुट गई है। इसके लिए उसने एक बड़े आंदोलन का ऐलान भी कर दिया है। पार्टी के कार्यकर्ता अब इसे लेकर 18 मई को देश भर में आंदोलन और धरना प्रदर्शन करेंगे। वहीं पार्टी के इस आंदोलन को बसपा व आरजेडी सहित कई राजनीतिक दलों के समर्थन से उसका उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया है।
कांग्रेस की कोशिश है कि वह 2019 के आम चुनावों को लेकर सारे विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट करे और उसका नेतृत्व करें। कर्नाटक में हालांकि उसे फौरी तौर पर जेडीएस जैसा एक साथी तो मिल गया है, लेकिन वह देश के दूसरे राज्यों में मौजूद क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की कोशिश में जुटी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कर्नाटक को लेकर चलाए जा रहे कांग्रेस के आंदोलन का समर्थन करके इस मुहिम को आगे बढ़ाया है। वहीं कर्नाटक के बहाने कांग्रेस को संवैधानिक संस्थाओं को लेकर सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया है। कांग्रेस पहले से ही सरकार पर सुप्रीम कोर्ट सहित दूसरी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाती रही है। गुरूवार को राहुल गांधी ने रायपुर में एक सभा के दौरान इस मुद्दे को फिर उठाया है। उन्होंने सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए तानाशाह तक बता दिया। साथ ही केंद्र की मौजूदा सरकार की तुलना पाकिस्तान तक से कर दी। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में जो नहीं हुआ, अब वह इस देश में हो रहा है।
कांग्रेस ने इसी बीच भाजपा को घेरने के लिए गोवा और बिहार का मुद्दा उठाया है। दोनों ही राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद कांग्रेस और आरजेडी सत्ता से बाहर है। कांग्रेस का दावा है कि वह इन दोनों ही राज्यों में सरकार बनाने का दावा करेगी। हालांकि इसे एक राजनीतिक स्टंट के तौर ही देखा जा रहा है। संवैधानिक तौर पर यह संभव नहीं है लेकिन कांग्रेस इसे गरमा कर रखना चाहती है।
वहीं कांग्रेस ने कर्नाटक को लेकर राज्यपाल के ऊपर अपने हमले को जारी रखा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने जिस तरीके से लोकंत्रत की हत्या की है, उसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा। उन्होंने येदियुरप्पा को 'एक दिन का सीएम' बताया और कहा कि इनमें भी अब कुछ ही घंटे बचे है।
कांग्रेस की कोशिश है कि वह 2019 के आम चुनावों को लेकर सारे विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट करे और उसका नेतृत्व करें। कर्नाटक में हालांकि उसे फौरी तौर पर जेडीएस जैसा एक साथी तो मिल गया है, लेकिन वह देश के दूसरे राज्यों में मौजूद क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की कोशिश में जुटी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कर्नाटक को लेकर चलाए जा रहे कांग्रेस के आंदोलन का समर्थन करके इस मुहिम को आगे बढ़ाया है। वहीं कर्नाटक के बहाने कांग्रेस को संवैधानिक संस्थाओं को लेकर सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया है। कांग्रेस पहले से ही सरकार पर सुप्रीम कोर्ट सहित दूसरी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाती रही है। गुरूवार को राहुल गांधी ने रायपुर में एक सभा के दौरान इस मुद्दे को फिर उठाया है। उन्होंने सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए तानाशाह तक बता दिया। साथ ही केंद्र की मौजूदा सरकार की तुलना पाकिस्तान तक से कर दी। उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में जो नहीं हुआ, अब वह इस देश में हो रहा है।
कांग्रेस ने इसी बीच भाजपा को घेरने के लिए गोवा और बिहार का मुद्दा उठाया है। दोनों ही राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद कांग्रेस और आरजेडी सत्ता से बाहर है। कांग्रेस का दावा है कि वह इन दोनों ही राज्यों में सरकार बनाने का दावा करेगी। हालांकि इसे एक राजनीतिक स्टंट के तौर ही देखा जा रहा है। संवैधानिक तौर पर यह संभव नहीं है लेकिन कांग्रेस इसे गरमा कर रखना चाहती है।
वहीं कांग्रेस ने कर्नाटक को लेकर राज्यपाल के ऊपर अपने हमले को जारी रखा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने जिस तरीके से लोकंत्रत की हत्या की है, उसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ेगा। उन्होंने येदियुरप्पा को 'एक दिन का सीएम' बताया और कहा कि इनमें भी अब कुछ ही घंटे बचे है।
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